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हिंदू समाज के अस्तित्व की पुकार

समय रहते जागो और समझो — हिंदू समाज के अस्तित्व की पुकार

हिंदू समाज के अस्तित्व की पुकार

यह संदेश हिंदू समाज को समय रहते जागने और अपनी संस्कृति, परंपरा और अस्तित्व की रक्षा के लिए एकजुट होने की प्रेरणा देता है।

I. असली समस्या क्या है?

हर बार जब कोई हिंदू त्योहार आता है, कुछ शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं।
वे दिखावे, पर्यावरण या आधुनिकता के नाम पर हिंदू परंपराओं को निशाना बनाती हैं। लेकिन यह केवल त्योहारों तक सीमित नहीं है।

  • उन्हें आपकी खुशियों से परेशानी है।
  • उन्हें आपकी एकजुटता से भय है।
  • उन्हें उस आत्मा से डर है जो सनातन को अनंत बनाती है।
  • विरोध आपकी परंपराओं से अधिक, आपके अस्तित्व से है।

जब तक हिंदू की पहचान बची है — तब तक भारत की पहचान मिटाई नहीं जा सकती।

II. जड़ क्या है?

  • यह घृणा किसी व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक कट्टर विचारधारा का परिणाम है।
  • उनके अनुसार जब तक “काफ़िर” यानी हिंदू जीवित है, उनका मिशन पूरा नहीं होगा।
  • यह विचार पुस्तकों और पीढ़ियों तक प्रचारित किया गया।
  • बच्चों को मदरसों मैं यह सिखाया जाता है: ‘जो हमारे रास्ते पर नहीं, वह शत्रु है।’
  • यह सोच खुले मंचों, सोशल मीडिया और कट्टर सभाओं में फैलती रही।
    राजनीतिक संरक्षण या धार्मिक आवरण मिलने पर इसका परिणाम अराजकता और विभाजन होता है।

III. बरेली: चेतावनी का प्रतीक

जब कोई समाज सतर्क नहीं होता, तो कुछ लोग उसकी नींद का फायदा उठाकर सत्ता स्थापित करते हैं।

खुलेआम कट्टरपंथ का प्रदर्शन।

  • मौलवी तौकीर रज़ा जैसे लोग भाषणों में 40 हज़ार “तैयार जिहादी” की बात कर रहे हैं।
  • यह केवल डराने वाला बयान नहीं, बल्कि चेतावनी है: अगर अब भी नहीं समझे तो बहुत देर हो जाएगी।

बरेली केवल बरेली तक सीमित नहीं।

  • यह मानसिकता पूरे देश में फैल रही है, जहाँ हिंदू समाज बिखरा और निश्चिंत है।

IV. कांग्रेस और ठगबंधन हिंदू विरोधी राजनीति

इतिहास गवाह है कि कांग्रेस और उसके गठबंधन ने हमेशा हिंदू हितों को नुकसान पहुँचाया और मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति की।

  • धर्मांतरण और मिशनरी गतिविधियां: हिंदू-समृद्ध क्षेत्रों में सक्रिय, लेकिन वोट बैंक प्रभावित नहीं होता, इसलिए कार्रवाई नहीं।
  • खालिस्तान आंदोलन: हिंदुओं को प्रभावित करता रहा, लेकिन वोट बैंक पर असर नहीं पड़ा।
  • हिंदू नरम लक्ष्य बने, जिससे उनकी जनसंख्या कम हुई।
  • विघटनकारी घटनाएं बढ़ाईं गईं ताकि जनता का ध्यान असली समस्याओं से हट जाए और भ्रष्टाचार छिपा रहे।

कांग्रेस की राजनीति हमेशा हिंदू हितों के खिलाफ और मुस्लिम वोट बैंक के पक्ष में रही है।

V. न्यायपालिका विकास की राह में बाधा

भारत की प्रगति में सबसे बड़ा रोड़ा न्यायपालिका की धीमी गति और पक्षपातपूर्ण निर्णय बन गया है।

  • लंबित मामलों और धीमी सुनवाई ने देशभक्त मामलों में देरी पैदा की।
  • देशविरोधियों के विरुद्ध मामलों मैं त्वरित कार्यवाही होती है। सुप्रीम कोर्ट आधी रात को खुलता है उन के लिए।
  • कानून का कार्यान्वयन व्यक्ति और स्थिति पर निर्भर करता है।
  • कई बार न्यायपालिका देशभक्ति और सनातन धर्म के प्रति उदासीन रही।

परिणाम: भ्रष्ट और देशद्रोही तत्व बिना रोक-टोक काम कर पा रहे हैं।
इसलिए सुधार कार्यों के लिए प्रशासनिक प्रयास के साथ सामाजिक और राजनीतिक समर्थन भी बहुत जरूरी है।

VI. जागरूकता और आत्मशक्ति की आवश्यकता

हिंदू समाज बार-बार भूल करता है — जब तक संकट अपने दरवाज़े तक नहीं आता, तब तक खतरे को कल्पना मानता है।

  • सुरक्षा तब तक संभव है जब सजगता जीवित है।
  • सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक एकता सबसे मजबूत कवच है।
  • इतिहास से सबक लेना ही भविष्य को सुरक्षित बनाता है।

यह जागरूकता किसी अन्य समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए है।

VII. समाधान एकता और आत्मशक्ति

आज आवश्यकता है तीन बड़े कदमों की:

सांस्कृतिक पुनर्जागरण:

  • बच्चों को मंदिर, शास्त्र और परंपरा से जोड़ें।
  • अपनी जड़ों का गर्व सिखाएँ।

सामाजिक एकता:

  • जाति, वर्ग और क्षेत्र की दीवारें तोड़कर एक राष्ट्र के रूप में खड़े हों।
  • हर त्योहार, भाषा और परंपरा सनातन की शक्ति का प्रतीक है।

धार्मिक चेतना:

  • धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन का अनुशासन है।
  • उसे केवल मानने की नहीं, जीने की आवश्यकता है।

जब समाज संगठित होता है, तो कोई ताक़त उसे कमजोर नहीं कर सकती।

VIII. समय आ गया है

यह युग सरल नहीं — यह युद्ध विचारों और पहचान का है।

  • जो आज सोएगा, वह कल अपने अस्तित्व की खोज करेगा।
  • हर मंदिर, हर पूजा, हर परंपरा हमारी आत्मा का प्रतीक है।
  • इसे मिटाने का प्रयास केवल धर्म परिवर्तन नहीं, बल्कि संस्कृति विनाश है।
  • जो इसे समझ गया, वही सनातन का सच्चा रक्षक बनेगा।

हिंदू समाज अब निर्णय करे — क्या इतिहास दोहराना है या नया इतिहास रचना है?
समय कम है, पर अवसर अभी भी है।

IX. आत्मसंरक्षण = राष्ट्रसंरक्षण

  • स्वयं को सशक्त बनाइए।
  • सामाजिक रूप से संगठित रहिए।
  • बच्चों को पहचान, संस्कार और सम्मान का पाठ पढ़ाइए।
  • अपने भीतर के हिंदू को जगाइए।

> जब तक एक हिंदू जागा हुआ है — तब तक भारत जिंदा है।
> जब तक भारत जिंदा है — तब तक सनातन अमर है।

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮

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