पहचान का संकट और हमारी लापरवाही
हम हिंदू अपने सबसे बुनियादी कर्तव्य में विफल रहे हैं—सनातन धर्म और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने में। हम गर्व से खुद को दुनिया के सबसे प्राचीन और गहरे आध्यात्मिक धर्म के अनुयायी कहते हैं, लेकिन सच तो यह है कि हम स्वयं अपने धर्म का सही ढंग से पालन नहीं करते और इसे अपने बच्चों को भी नहीं सिखाते।
ईसाई और मुस्लिम परिवारों में धर्म रोजमर्रा के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा होता है। उनके माता–पिता यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके बच्चे धार्मिक शिक्षाओं और संस्कृति में अच्छी तरह प्रशिक्षित हों। लेकिन हिंदू बच्चों को उनके माता–पिता ना सही धार्मिक शिक्षा देते हैं और ना ही उनकी पहचान को मज़बूत करने का प्रयास करते हैं।
इसका परिणाम यह हुआ है कि हमारी नई पीढ़ी वामपंथी, धर्मनिरपेक्षतावादियों (सेक्युलर), उदारवादियों (लिबरल्स), ईसाइयों और मुसलमानों के प्रभाव में फंसकर अपनी पहचान खो रही है। दूसरी ओर, ईसाई और मुस्लिम बच्चे अपने धर्म और संस्कृति से पूरी तरह अवगत रहते हैं, वे अपने धर्म के सिद्धांतों पर गर्व करते हैं और हिंदू बच्चों के साथ तर्क–वितर्क में जीतते हैं।
हमारे आध्यात्मिक नेता कहाँ हैं?
उनके धार्मिक नेता शिक्षा, एकता और सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन हमारे कई धार्मिक गुरु सिर्फ दान–दक्षिणा इकट्ठा करने में व्यस्त रहते हैं। वे हिंदू युवाओं को शिक्षित और संगठित करने की बजाय सिर्फ कर्मकांडों और अनुष्ठानों तक सीमित कर देते हैं।
मजहबी आर्थिक मॉडल की तुलना करें:
✅ इस्लामिक ज़कात – मुस्लिम समाज में एक व्यवस्थित चैरिटी सिस्टम है, जहाँ उनकी कमाई का एक हिस्सा गरीबों और मजहबी गतिविधियों के लिए लगाया जाता है।
✅ ईसाई मिशनरी फंडिंग – चर्च अपने अनुयायियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सेवाओं का संचालन करता है।
✅ हिंदू मंदिरों का धन – हिंदू मंदिरों से करोड़ों की आमदनी होती है, लेकिन यह धन हिंदू शिक्षा और सशक्तिकरण में नहीं लगाया जाता।
क्या यह हमारी गलती नहीं है कि हमारा पैसा हमारे ही धर्म को मजबूत करने में नहीं लगता?
धार्मिक एकता बनाम हिंदू विभाजन
मुसलमान एक अल्लाह के नाम पर संगठित हैं। ईसाई एक यीशु के नाम पर एकजुट हैं। लेकिन हम हिंदू जाति, संप्रदाय और परंपराओं में बंटे हुए हैं।
🚨 इसका परिणाम क्या हुआ?
- हिंदू समाज आपस में ही झगड़ता रहता है।
- हम कभी एक संगठित आवाज़ बनाकर अपनी मांगें नहीं रख पाते।
- हमारे बच्चे अपनी धार्मिक पहचान पर गर्व करने की बजाय शर्मिंदगी महसूस करने लगते हैं।
- हमारा धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभाव लगातार कम हो रहा है।
स्वतंत्रता के बाद से हिंदुओं का दमन
1947 के बाद से भारत सरकार ने मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति अपनाई है। उन्हें विशेष सुविधाएं, सरकारी फंडिंग और कई तरह के लाभ दिए जाते हैं, जबकि हिंदुओं को हमेशा दबाया जाता है।
👉🏻 मुस्लिम गरीबों को मस्जिद और मदरसे से सहायता मिलती है।
👉🏻 ईसाई मिशनरियाँ गरीबी हटाने के नाम पर धर्मांतरण करवा रही हैं।
👉🏻 हिंदू गरीबों की कोई चिंता नहीं करता, जिससे वे ईसाई और मुस्लिम मिशनरियों के आसान शिकार बन जाते हैं।
अब हमें क्या करना चाहिए?
हमें अब अपनी गलतियों से सीखकर तुरंत एक ठोस कार्य योजना बनानी होगी।
1. परिवार से शुरुआत करें – हिंदू संस्कार घर से शुरू होते हैं
✅ अपने घर में सनातन धर्म की दैनिक प्रैक्टिस करें।
✅ बच्चों को गीता, रामायण, उपनिषद और वेदों का ज्ञान दें।
✅ संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा दें और बच्चों को मंदिर, सत्संग, और धार्मिक आयोजनों से जोड़े रखें।
✅ हिंदू बच्चों में गर्व और आत्मविश्वास बढ़ाएं ताकि वे कभी अपने धर्म को नीचा न समझें।
2. हिंदू शिक्षा और जागरूकता बढ़ाएं
✅ हिंदू स्कूल और शिक्षण संस्थान स्थापित करें।
✅ धर्मविरोधी इतिहास और झूठे पाठ्यक्रमों को बदलने की मांग करें।
✅ हिंदू समाज को सही जानकारी देने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन एजुकेशनल प्लेटफॉर्म बनाएं।
3. हिंदू आर्थिक और सामाजिक शक्ति बढ़ाएं
✅ मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराएं और धन का उपयोग हिंदू कल्याण के लिए करें।
✅ हिंदू व्यापारियों और उद्यमियों को एकजुट करें ताकि आर्थिक रूप से मजबूत हों।
✅ समुदाय के गरीबों की मदद के लिए हिंदू फंडिंग सिस्टम बनाएं।
4. धार्मिक नेतृत्व और एकता को पुनर्जीवित करें
✅ धार्मिक गुरुओं से जवाबदेही मांगें—वे सिर्फ अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि हिंदू जागरूकता और शक्ति बढ़ाने का काम करें।
✅ वैष्णव, शैव, शाक्त, आर्यसमाज, और अन्य संप्रदायों को एक साथ लाएं।
✅ हिंदू योद्धा परंपरा को पुनर्जीवित करें—हमें अपनी रक्षा करने के लिए तैयार रहना होगा।
5. राजनीतिक जागरूकता और हिंदू लामबंदी
✅ हिंदू वोट कभी बंटने नहीं चाहिए—हमें उन नेताओं का समर्थन करना होगा जो हिंदू हितों की रक्षा करते हैं।
✅ हिंदू–विरोधी नीतियों, राजनीतिक पक्षपात और कट्टरपंथी तत्वों के तुष्टिकरण को उजागर करें।
✅ हिंदू एडवोकेसी ग्रुप बनाएं जो मीडिया, राजनीति और नीति–निर्माण में हमारी आवाज़ को मज़बूत करें।
अब जागने और कार्रवाई करने का समय है
सनातन धर्म कमजोर नहीं है—हमने खुद इसे कमजोर बना दिया है। अब हमें अपने घरों, समाज और संस्थानों को बदलने के लिए संगठित प्रयास करना होगा।
इस भगवान राम, कृष्ण,बुद्ध, महावीर, नानक और बिरसा मुंडा के सनातनी देश मे जातिवाद और प्रांतवाद को त्याग कर राष्ट्रवाद को अपनाते हुए, सनातन को पूर्ण स्थापित करते हुए भारत सरकार को संवैधानिक रूप से भारत को सनातन हिन्दू राष्ट्र अतिशीघ्र घोषित कर देना चाहिए।
✊🏻 “उत्तिष्ठत! जाग्रत! प्राप्य वरान्निबोधत!”
(उठो! जागो! और जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो, तब तक रुको मत!)
🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम।