सनातन धर्म पर एक और हमला
तमिलनाडु और पूरे भारत में बढ़ता सनातन विरोधी उग्रवाद – भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान पर हमला
पावन विजयादशमी पर जब पूरा भारत सनातन धर्म की अधर्म पर विजय मना रहा था, उसी समय तमिलनाडु के त्रिची में एक चिंताजनक घटना घटी।
- एन्थेम तमिलर संगम नामक एक उग्र संगठन ने भगवान श्रीराम का पुतला सार्वजनिक रूप से जलाया।
- उस पुतले को चप्पल पहनाई गई और उसे “रावण लीला” का नाम दिया गया, जिसमें रावण की विद्रोही भूमिका का महिमामंडन किया गया।
- यह केवल अज्ञानता नहीं, बल्कि सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों पर सोचा-समझा हमला था — जो भारत की 5000 वर्षों पुरानी सांस्कृतिक धरोहर का आधार हैं।
इन कृत्यों का उद्देश्य अच्छाई-बुराई की परिभाषा को उलट देना, रावण जैसे दुष्ट पात्रों को नायक बनाना, और हिंदू आस्था को अपमानित करना है।
पुलिस की कार्रवाई और जनाक्रोश
- इस अपमानजनक घटना का वीडियो “फिफ्थ तमिल संगम” नामक फेसबुक पेज से वायरल हुआ, जिससे पूरे भारत में आक्रोश फैल गया।
- विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल जैसे संगठनों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
- तमिलनाडु पुलिस ने कई धाराओं के तहत मामला दर्ज कर चार आरोपियों को गिरफ्तार किया।
यह घटना बढ़ते हिंदू-विरोधी रुझानों और सांस्कृतिक पतन का गंभीर संकेत है।
सुनियोजित हिंदू-विरोधी असहिष्णुता और राजनीतिक छल
- पूरे भारत में सनातन धर्म के प्रतीकों, देवताओं और त्योहारों पर वैचारिक और राजनीतिक हमले तेज हो रहे हैं।
- तमिलनाडु — जो कभी शिव और विष्णु भक्ति की भूमि थी — अब खुलेआम हिंदू-विरोधी बयानबाज़ी का केंद्र बन चुका है।
- मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से की — और इसे राजनीतिक रूप से सराहा गया।
- हाल ही में उन्होंने तमिलनाडु के स्कूल पाठ्यक्रम में पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं को शामिल करने की मांग की — जिसे हिंदू समुदाय अपनी सांस्कृतिक विरासत के क्षरण के रूप में देखता है।
- स्टालिन की “हिंदी-विरोधी” राजनीति लंबे समय से हिंदुओं को भाषाई आधार पर विभाजित कर सत्ता बनाए रखने का साधन रही है।
- यह रणनीति हिंदू समाज की एकता को तोड़ने और भारत की आध्यात्मिक नींव को कमजोर करने का प्रयास है।
यह “ठगबंधन” दरअसल एक धोखेबाज़ गठबंधन है जो देश और संस्कृति दोनों के लिए खतरा है।
जब अधिकार हथियार बन जाते हैं और अभिव्यक्ति धर्म पर हमला
- संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, परंतु सांप्रदायिक नफरत फैलाने पर रोक लगाता है।
- फिर भी, हिंदू देवताओं का अपमान आम बात बन चुकी है, जबकि अन्य धर्मों की आलोचना पर कड़ी सजा दी जाती है।
- देवी काली को धूम्रपान करते दिखाना, रामलीला का विकृत चित्रण — ये सब सांस्कृतिक युद्ध के हथियार बन चुके हैं।
- उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में एक ईसाई धर्म अपनाने वाली महिला ने मां दुर्गा पर अपमानजनक टिप्पणी की और गिरफ्तार हुई — यह दर्शाता है कि हिंदू परंपराओं पर एक वैचारिक युद्ध चल रहा है।
- इस सबका उद्देश्य हिंदू समाज के आत्मसम्मान और विश्वास को तोड़ना है।
धार्मिक नेतृत्व की भूमिका — केवल प्रवचन नहीं, सुरक्षा भी
- आज यह प्रश्न जरूरी है: क्या हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक नेता केवल प्रवचन, दान और आरामदायक जीवन तक सीमित रहेंगे?
- आज सबसे बड़ी आवश्यकता है कि वे सशक्त होकर सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और हिंदू समाज की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं।
- सच्चा नेतृत्व वह है जो ज्ञान के साथ साहस रखे और धर्म-द्रोहियों का सामना करे।
- कई बड़े संस्थान हैं, पर उन्होंने अभी तक अपने अनुयायियों को राष्ट्र की रक्षा के लिए एकजुट नहीं किया।
- आज राष्ट्रभक्ति का अर्थ है — विश्वसनीय सरकार और राष्ट्रवादी नीतियों का समर्थन करना।
- यदि धार्मिक नेतृत्व निष्क्रिय रहा, तो भारत की सांस्कृतिक स्थिरता खतरे में पड़ जाएगी।
मोदी सरकार के प्रयास और सांस्कृतिक संघर्ष
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने हिंदू संस्कृति और मंदिरों की गरिमा को पुनर्स्थापित करने के लिए अनेक प्रयास किए हैं।
- लेकिन तथाकथित सेक्युलर और उदारवादी ताकतें लगातार सांस्कृतिक आक्रमण में लगी हैं।
- कई बार राजनीतिक शिष्टाचार के नाम पर सच्चाई बोलने वालों की आवाज दबा दी जाती है।
- अब समय है कि भारतीय अपने सांस्कृतिक गौरव से पुनः जुड़ें और उन शक्तियों को उजागर करें जो झूठे बहाने बनाकर हिंदुत्व को निशाना बनाती हैं।
रामलीला का विकृतिकरण और सांस्कृतिक पतन
- रामलीला कभी सत्य, साहस और धर्म का प्रतीक हुआ करती थी।
- आज यह परंपरा अश्लीलता और अपमान का शिकार हो रही है।
- दिल्ली में अभिनेत्री पूनम पांडे को मंदोदरी के रूप में प्रस्तुत करने की योजना बनाई गई थी, जिसे भारी विरोध के बाद रद्द किया गया।
- यह प्रयास भी हिंदू परंपराओं का अपमान और सनातन धरोहर को कमजोर करने का हिस्सा है।
तमिलनाडु — आध्यात्मिक भूमि से राजनीतिक युद्धक्षेत्र तक
- तमिलनाडु, जहां 88% से अधिक लोग हिंदू हैं, अब वैचारिक संघर्ष का केंद्र बन गया है।
- आदि शंकराचार्य, तिरुवल्लुवर और भारतियार की भूमि आज रावण की जयकार और राम के अपमान की घटनाओं से कलंकित हो रही है।
- द्रविड़ आंदोलन का पुराना ब्राह्मण-विरोध अब खुला सनातन-विरोध बन चुका है।
- पैगंबर की शिक्षाओं को पाठ्यक्रम में जोड़ने और हिंदी-विरोधी रुख जैसी नीतियाँ हिंदू एकता तोड़ने और अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के औजार हैं।
- समाज को इन राजनीतिक चालों को पहचानकर इस “ठगबंधन मानसिकता” से मुक्त होना होगा।
- समाज को इन षड्यंत्रों को पहचानकर इस “ठगबंधन मानसिकता” को पूरी तरह अस्वीकार करना होगा।
सभी ठगबंधन शासित राज्यों मैं हिन्दू धर्म का विरोध और हिंदुओं को राजनीतिक और मानसिक रूप से कमजोर करना विपक्ष की राजनीति का एक हिस्सा बन गया है।
मीडिया की पक्षपातपूर्ण भूमिका और नैतिक दोहरापन
- मुख्यधारा का मीडिया अक्सर हिंदू-विरोधी घटनाओं पर चुप रहता है, जबकि अन्य धर्मों की मामूली बातों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है।
- मंदिरों की तोड़फोड़ को “दबे हुए वर्ग की प्रतिक्रिया” कहा जाता है।
- मूर्तियों की तोड़फोड़ को “कला की स्वतंत्रता” कहा जाता है।हिंदू देवताओं का अपमान “प्रगतिशील अभिव्यक्ति” कहलाता है, जबकि अन्य धर्मों पर प्रश्न उठाना “घृणा अपराध” बन जाता है।
- यह दोहरा मापदंड न केवल हिंदुओं में असुरक्षा बढ़ाता है, बल्कि नफरत फैलाने वालों को प्रोत्साहित करता है।
आगे का मार्ग — सनातन गौरव और शक्ति की पुनर्स्थापना
- सनातन समाज को जागरूक होकर, एकजुट होकर और गर्व के साथ खड़ा होना होगा।
- धर्मस्थलों और परंपराओं की कानूनी व सांस्कृतिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
- युवाओं को भारत के प्राचीन ज्ञान और आदर्शों को आत्मसात कर विभाजनकारी विचारधाराओं को अस्वीकार करना होगा।
- सनातन धर्म साहस और धैर्य सिखाता है — यही गुण हमें इस सभ्यतागत युद्ध से लड़ने की शक्ति देंगे।
- भारत या तो आध्यात्मिक नेतृत्व का केंद्र बनेगा या विखंडन का शिकार होगा।
क्यों अभी कदम उठाना आवश्यक है
- हिंदुत्व, सनातन धर्म और सांस्कृतिक एकता पर हो रहे हमले आकस्मिक नहीं हैं — यह भारत की आत्मा पर सुनियोजित प्रहार हैं।
- देशभक्त नागरिकों, युवाओं और आध्यात्मिक नेताओं को एकजुट होकर धर्म की गरिमा को पुनः स्थापित करना होगा।
- केवल सत्य को पहचानकर, विभाजन का विरोध कर, और राष्ट्र-विरोधी नीतियों का प्रतिकार करके ही भारत अपनी वास्तविक महिमा प्राप्त कर सकता है।
- हमें अपने वर्तमान राष्ट्रवादी और प्रो-सनातन सरकार का दृढ़ता से समर्थन करना चाहिए और अपने धर्म, संस्कृति और देश की रक्षा के लिए सभी राज्यों से ठगबंधन सरकारों को जड़ से समाप्त करना चाहिए।
हमारा भविष्य इस बात पर निर्भर है कि हम आज कितनी दृढ़ता और एकता के साथ खड़े होते हैं।
भारत की आत्मा की रक्षा का संघर्ष
- त्रिची में भगवान राम का पुतला जलाया जाना कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि चेतावनी है कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा पर खतरा मंडरा रहा है।
- झूठ फैलाने और सांस्कृतिक विनाश करने वालों को बेनकाब कर सत्ता से बाहर करना होगा।
- भारत को अपनी प्राचीन पहचान, धर्म और राष्ट्रभक्ति के साथ पुनः खड़ा होना होगा।
- विजयादशमी हमें याद दिलाती है — जब अधर्म बढ़ता है, तब धर्म को और भी दृढ़ होकर अधर्म का नाश करना पड़ता है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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