सनातन धर्म केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक सनातन सभ्यता है जो करुणा, प्रेम, शांति, परस्पर सम्मान और सद्भाव के मूल्यों पर आधारित है। वैदिक युग से लेकर आज तक, हमारे ऋषि-मुनियों ने पूरी मानवता को धर्म – यानी न्याय, सह-अस्तित्व और आध्यात्मिक विवेक – के मार्ग पर चलना सिखाया।
🕉️ हम सभी धर्मों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करते हैं।
🕊️ हम “सर्व धर्म समभाव“ में विश्वास करते हैं।
🌍 हम “वसुधैव कुटुंबकम्“ की भावना को आत्मसात करते हैं।
लेकिन यह सहिष्णुता कभी भी हमारी कमजोरी नहीं बननी चाहिए।
⚔️ धर्म बनाम अधर्म: जब धर्म की रक्षा आवश्यक हो
हमारे ग्रंथ और इतिहास हमें बार-बार यह सिखाते हैं कि जब अधर्म – जैसे कि:
- धार्मिक हिंसा
- आतंकवाद को धार्मिक रंग देना
- जबरन धर्मांतरण
- मंदिरों का विध्वंस और अपमान
- संस्कृति, देवताओं और सभ्यता पर सुनियोजित हमले
बढ़ते हैं, तो प्रत्येक धर्मनिष्ठ व्यक्ति का यह पवित्र कर्तव्य बन जाता है कि वह धर्म की रक्षा के लिए उठ खड़ा हो।
भगवान राम ने भी रावण रूपी अधर्मी के विनाश के लिए शस्त्र उठाया।
भगवान श्रीकृष्ण, जिन्होंने प्रेम और करुणा की शिक्षा दी, उन्होंने भी महाभारत का युद्ध धर्म की रक्षा के लिए कराया।
उन्होंने केवल बल से नहीं, बल्कि रणनीतिक नीति से विजय प्राप्त की, जिसे कहते हैं “पंचनीति“:
- साम – संवाद और समझौता
- दाम – न्यायोचित प्रलोभन या सहयोग
- दंड – आवश्यक दंड या प्रतिकार
- भेद – शत्रु की एकता को तोड़ना
- छल – रणनीतिक उपाय और चतुराई
ये घृणा के उपकरण नहीं हैं, बल्कि जब अधर्मी ताकतें सक्रिय हो जाएं तो धर्म की रक्षा के लिए उपयोगी उपाय हैं।
आप अधर्मी के साथ नैतिकता का खेल नहीं खेल सकते
जो लोग:
- धर्म के नाम पर हिंसा को उचित ठहराते हैं
- आतंकवाद को “जिहाद” का नाम देते हैं
- केवल अपने धर्म को श्रेष्ठ बताकर दूसरों को “काफिर” या नास्तिक कहते हैं
- जनसंख्या असंतुलन और कट्टरता फैलाते हैं
- राष्ट्र की एकता को तोड़ते हैं और विदेशी एजेंडे को बढ़ाते हैं
…वो ईश्वर का नहीं, अधर्म और अज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं – और उनका साहसपूर्वक विरोध और आवश्यक होने पर पराजय आवश्यक है।
🌟 भारत की विशेष चुनौती: धर्म की सहिष्णुता बनाम कट्टरपंथ
भारत ने हमेशा पीड़ित समुदायों को शरण दी – यहूदी, पारसी, तिब्बती और अनेक अन्य यहाँ सुरक्षित रहे।
लेकिन आज, इसी सहिष्णुता का दुरुपयोग हो रहा है:
- हिंदू मंदिरों पर कानूनी रोक, लेकिन अन्य धर्मों को खुली छूट
- सनातन संस्कृति का मजाक, जबकि कट्टर विचारधाराओं को समर्थन
- धर्म की बात करने वालों को “सांप्रदायिक” कहा जाता है, परंतु जेहादी विचारधाराएं सम्मानित होती हैं
- हिंदुओं को हर त्योहार मनाने को कहा जाता है, लेकिन उनके अपने त्योहारों पर रोक और न्यायालयी हस्तक्षेप होता है
यह समानता नहीं, पक्षपात है।
यह धर्मनिरपेक्षता नहीं, वोटबैंक की राजनीति है।
🌟 भारत की विशेष चुनौती: धर्म की सहिष्णुता बनाम कट्टरपंथ
भारत ने हमेशा पीड़ित समुदायों को शरण दी – यहूदी, पारसी, तिब्बती और अनेक अन्य यहाँ सुरक्षित रहे।
लेकिन आज, इसी सहिष्णुता का दुरुपयोग हो रहा है:
- हिंदू मंदिरों पर कानूनी रोक, लेकिन अन्य धर्मों को खुली छूट
- सनातन संस्कृति का मजाक, जबकि कट्टर विचारधाराओं को समर्थन
- धर्म की बात करने वालों को “सांप्रदायिक” कहा जाता है, परंतु जेहादी विचारधाराएं सम्मानित होती हैं
- हिंदुओं को हर त्योहार मनाने को कहा जाता है, लेकिन उनके अपने त्योहारों पर रोक और न्यायालयी हस्तक्षेप होता है
यह समानता नहीं, पक्षपात है।
यह धर्मनिरपेक्षता नहीं, वोटबैंक की राजनीति है।
🔥 अब समय है – धर्म के लिए जागरण का
सनातन धर्म घृणा नहीं सिखाता,
वह हमें सिखाता है कि:
- सत्य के लिए डट जाएं
- अन्याय का डटकर प्रतिकार करें
- निर्बलों की रक्षा करें
- अधर्म का सामना बुद्धि और शक्ति दोनों से करें
आज यह समय फिर आया है –
घृणा से नहीं, धर्म और सत्य की शक्ति से खड़े होने का।
🙏 आइए, इस पवित्र मिशन में एकजुट हों:
- धर्मनिष्ठ नेताओं, संस्थाओं और संगठनों का समर्थन करें
- अपने बच्चों को सनातन संस्कृति और इतिहास का बोध कराएं
- जबरन धर्मांतरण और कट्टरता का विरोध करें
- जाति, भाषा और प्रांत से ऊपर उठकर एक हों
- और साम, दाम, दंड, भेद और चाल – जब आवश्यक हो, उनका प्रयोग करें – जैसे हमारे पूर्वजों ने धर्म की रक्षा के लिए किया।
🕉️ “धर्म तभी सुरक्षित रहेगा जब धर्मनिष्ठ जन उसकी रक्षा करेंगे।“
🛕 “धर्मो रक्षति रक्षितः” – जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।
📿 उठो, जागो, और लक्ष्य की प्राप्ति तक रुको मत
🙏 जय सनातन धर्म!
🙏 जय भारत! वंदे मातरम्!
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