सनातन शक्ति हमें सिखाती है कि चुनौतियों का सामना साहस, सामूहिक प्रतिरोध और आर्थिक बहिष्कार से ही किया जा सकता है। यही समय की सच्ची पुकार है।
सनातन शक्ति
- करीब तीस साल पहले की बात है।
मैं एक ट्रेन यात्रा पर था। डिब्बे में तरह-तरह के यात्री बैठे थे, और अचानक बातचीत का विषय मुसलमानों की कट्टरता पर आ गया। - किसी यात्री ने कहा —
“ये बहुत कट्टर होते हैं… किसी को जान से मारने में इन्हें कोई झिझक नहीं होती।“ - उसी डिब्बे में संघ के एक वयोवृद्ध प्रचारक जी भी बैठे थे। वे बेहद मृदुभाषी, शांत और ठहर-ठहर कर बोलने वाले व्यक्ति थे।
शुरू में उन्होंने कुछ नहीं कहा, बस चुपचाप सुनते रहे। - फिर जब चर्चा थोड़ी आगे बढ़ी, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए बोलना शुरू किया —“अर्धसत्य सबसे खतरनाक होता है…”
- “ये कहना कि ‘मियां कट्टर होते हैं’, पूरा सच नहीं है। असलियत ये है कि इनके भीतर गहरी कायरता छिपी होती है।“
“ये समूह में जमा हो सकते हैं, सियारों की तरह शोर मचा सकते हैं, लेकिन जैसे ही इन्हें लगता है कि सामने से जोर का प्रतिकार होगा — ये तुरंत भाग खड़े होते हैं।“
उन्होंने कई उदाहरण दिए:
- दंगों में अक्सर देखा गया है कि एक दृढ़ हिंदू युवक बीस मुसलमानों पर भारी पड़ जाता है, बशर्ते वह मरने-मारने का मन बना ले।
- इतिहास गवाह है कि सीधे युद्ध में ये कभी टिके नहीं — छल, कपट और सामूहिक हमले इनकी रणनीति रही है।
- अफगानिस्तान में तालिबानियों के डर से, इन्होंने अपनी ही बहन-बेटियों को हवाले कर दिया और खुद भाग खड़े हुए।
फिर उन्होंने गहरी बात कही —
- “संघर्ष टालना समझदारी है। लेकिन अगर घिर जाएं, तो एक लाठी या पत्थर लेकर भी डटकर खड़े हो जाइए। हिंदू विश्व की सबसे वीर जाति है। सदियों से युद्ध करते हुए भी हमने हार नहीं मानी — यही सनातन सत्य है।“
- जब-जब हम हारे हैं, उसकी जड़ में हमेशा आंतरिक गद्दार ही रहे हैं, लेकिन हर बार हमने दोबारा उठकर अपनी खोई हुई भूमि और शक्ति वापस पाई है।
- अब हमें आंतरिक गद्दारों से इतनी कड़ी सज़ा के साथ निपटना होगा कि वे दोबारा गद्दारी करने की हिम्मत न कर सकें।
🔴 आर्थिक मोर्चा — हमारी जेब, हमारी शक्ति
आज का युद्ध केवल हथियारों से नहीं लड़ा जाता, बल्कि आर्थिक ताक़त से भी लड़ा जाता है। पिछले साल केवल चार अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत से ₹1.16 लाख करोड़ (≈ USD 14 अरब) का मुनाफ़ा कमाया:
- Apple – ₹67,122 करोड़
- Amazon Marketplace – ₹25,406 करोड़
- Hindustan Coca-Cola Beverages – ₹14,022 करोड़
- PepsiCo India – ₹9,097 करोड़
अगर हम में से आधे लोग भी सिर्फ़ 6 महीने तक इनका बहिष्कार करें, तो इन कंपनियों को लगभग ₹58,000 करोड़ (≈ USD 7 अरब) का झटका लगेगा।
> लेकिन यह केवल विदेशी कंपनियों तक सीमित नहीं है।
📌 हमें उन देशों और कंपनियों से भी परहेज़ करना होगा जो भारत का विरोध करते हैं, पाकिस्तान का समर्थन करते हैं, और आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।
📌 हमें देश के भीतर भी उन व्यवसायों, दुकानों, सेवाओं और रोजगार देने वालों का बहिष्कार करना होगा जो भारत–विरोधी ताक़तों और जिहादी गतिविधियों में सहयोगी हैं।
🔥 इतिहास का सबक — जब हम एकजुट हुए, दुश्मन भागा
- भारत ही वह एकमात्र सभ्यता है जिसने मुग़लों जैसे आक्रांताओं को प्रतिरोध देकर बाहर खदेड़ा।
- जहाँ अन्य देशों ने घुटने टेक दिए, वहीं भारत ने मेवाड़, मराठा, विजयनगर और सिख योद्धाओं की परंपरा से उन्हें वापस भगाया।
📌 गुजरात — 2002 गोधरा कांड के बाद सामूहिक प्रतिरोध हुआ। इसके बाद पिछले 20 वर्षों में कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ।
📌 दिल्ली — 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख अलगाववादियों को सबक मिला। तब से दिल्ली में खालिस्तानी दंगे ख़त्म हो गए।
📌 नागपुर — सामूहिक प्रतिरोध न होने के कारण आज भी हिंदू त्यौहारों और जुलूसों पर हमले होते हैं।
सबक साफ़ है:
- जहाँ सामूहिक प्रतिरोध हुआ, वहाँ दुश्मन भागा।
- जहाँ नरमी दिखाई, वहाँ हमले बढ़े।
- हमें एकजुट होकर उनका प्रचंड प्रतिकार करना होगा।
⚔️ धर्म बनाम अधर्म — कोई दया नहीं
हमारे शास्त्र स्पष्ट कहते हैं —
- अधर्म का नाश करना ही धर्म की रक्षा है।
- जो लोग हमारी संस्कृति, धर्म और अस्तित्व पर हमला कर रहे हैं, वे किसी भी दया के पात्र नहीं हैं।
- इसमें वे ग़द्दार भी शामिल हैं जो दुश्मनों का बचाव करते हैं — चाहे राजनीति में हों, मीडिया में हों या व्यापार में।
✅ सामूहिक समाधान — हर हिन्दू का योगदान
1️⃣ अमेरिकी और पश्चिमी ब्रांड्स का बहिष्कार करें।
2️⃣ भारतीय विकल्प अपनाएं — ये गुणवत्ता में किसी से कम नहीं। (पंतजलि, टाटा, अमूल, गोदरेज, Fabindia, Manyavar, Nykaa, Mamaearth, Café Coffee Day आदि)
3️⃣ देश और विदेश दोनों जगह भारत–विरोधी ताक़तों को आर्थिक झटका दें।
4️⃣ हर हमले का सामूहिक प्रतिरोध करें, ताकि दुश्मन दोबारा हिम्मत न कर सके।
5️⃣ ग़द्दारों की पहचान करें और उन्हें उनका भी प्रतिकार करें।
✨ निष्कर्ष — हमारी एकता ही हमारी ढाल और तलवार है ✨
- भारत के 140 करोड़ हिंदुओं की सामूहिक ताक़त ही सबसे बड़ा हथियार है।
जब हम साहस दिखाएंगे और अपने पैसे और अपनी सामूहिक शक्ति का सही उपयोग करेंगे, तब देश और दुनिया की हर विरोधी ताक़त या तो सुधरेगी, या भाग जाएगी। - यह केवल आर्थिक युद्ध नहीं है — यह धर्मयुद्ध है।
और धर्मयुद्ध का एक ही सिद्धांत है:
अधर्म का नाश करो, धर्म की रक्षा करो।
📢 आइए मिलकर दिखाएं कि भारत को न कोई झुका सकता है, न डरा सकता है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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