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सनातनी, सनातन धर्म

जब नेतन्याहू ने अपनाई गीता और शिवाजी – और हम हिंदू भूल गए अपने ही मूल्यों को

🕉️ हर उस सनातनी के लिए एक शक्ति-पुंज संदेश जो भारत और धर्म से सच्चा प्रेम करता है।

यह संदेश हर उस सनातनी के लिए है जो धर्म, स्वाभिमान और राष्ट्र की रक्षा को अपना कर्तव्य मानता है। गीता, शिवाजी और नेतन्याहू की प्रेरणा से यह एक संगठन और प्रतिकार का आह्वान है — धर्म ही जीवन का आधार है।

🌐 एक यहूदी प्रधानमंत्री जो गीता को जीवन में उतार चुका है

जब इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू कहते हैं –

“भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि शास्त्र के साथ शस्त्र भी जरूरी है। जो जिस भाषा को समझे, उसी में उत्तर दो।”

तो वह केवल धार्मिक भाषण नहीं दे रहे होते, बल्कि गीता के सिद्धांतों को अपने जीवन और देश की नीति में लागू कर रहे होते हैं।

नेतन्याहू आगे कहते हैं –

“गीता सिर्फ धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि हिंदुओं के लिए एक संविधान है। जब शांति के सभी मार्ग बंद हो जाएं, तो युद्ध करना ही धर्म बन जाता है।”

यही विचारधारा आज इज़राइल को एक अडिग, साहसी और आत्मगर्वित राष्ट्रबनाती है, जहां लोग धर्म और राष्ट्र के लिए तन-मन-धन से समर्पित रहते हैं।

🛡️ नेतन्याहू का आदर्श हैं छत्रपति शिवाजी – जिन्हें हमने ही भुला दिया

नेतन्याहू छत्रपति शिवाजी महाराज को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं –

  • जिन्होंने धर्म के लिए युद्ध किया,
  • इस्लामी अत्याचार के विरुद्ध हिन्दवी स्वराज्य स्थापित किया,
  • और साहस, चातुर्य और संगठन शक्ति का अनुपम उदाहरण बने।

इज़राइल ने शिवाजी से प्रेरणा लेकर अपने राष्ट्र के लिए स्पष्ट नीति अपनाई –
“सहन नहीं, उत्तर दो। कायरता नहीं, प्रतिरोध करो।”

लेकिन दुर्भाग्य से भारत में आज शिवाजी को

  • या तो सिर्फ मराठा नेता तक सीमित कर दिया गया,
  • या उन्हें पाठ्यक्रमों से बाहर कर दिया गया,
  • और हिंदू समाज को ऐसा बनाया जा रहा है कि अपनी पहचान पर शर्म महसूस हो।

😔 हिंदू समाज का आत्मविस्मरण और गिरता आत्मबल

जहाँ हमारे पास हैं:

  • भगवदगीता – धर्म और युद्ध का दिव्य मार्गदर्शन,
  • रामायण – मर्यादा और विजय की प्रेरणा,
  • महाभारत – नीति और धर्म युद्ध की पराकाष्ठा,
  • शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह, विवेकानंद, सुभाष चंद्र बोस, नाथूराम गोडसे और गोपाल पांथाजैसे महायोद्धा।

फिर भी आज हिंदू:

  • पश्चिमी जीवनशैली के पीछे भाग रहा है,
  • अपने ही त्योहारों, परंपराओं और संतों का मज़ाक सहता है,
  • और इस्लामी जिहाद, लव जिहाद, धर्मांतरण और हिंदू विरोधी राजनीति के खिलाफ मौनधारी बना हुआ है।

📖 गीता क्या सिखाती है?

  • “यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत…”
    “जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मैं जन्म लेता हूँ।”
  • “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।”
    “कर्म करना तुम्हारा धर्म है, फल की चिंता मत करो।”

यह उपदेश केवल आत्मिक जीवन के लिए नहीं — वास्तविक संघर्षों और शत्रु के प्रतिकार के लिए भी हैं।

⚔️ हमें इज़राइल और नेतन्याहू से क्या सीखना चाहिए?

✅ अपनी पहचान पर गर्व करें: जैसे यहूदी अपने धर्म को खुलकर अपनाते हैं, वैसे ही हमें भी हिंदू कहलाने पर गर्व करना चाहिए।
✅ जात-पात से ऊपर उठें: जैसे इज़राइल एकजुट है, हमें भी जाति, भाषा और क्षेत्र से ऊपर उठकर एक सनातनी शक्ति बनना होगा।
✅ शत्रु को पहचानो और उत्तर दो: जैसे इज़राइल आतंकवाद का समूल नाश करता है, वैसे ही हमें जिहाद, धर्मांतरण और राजनीतिक हिंदूविरोधका हर स्तर पर प्रतिकार करना चाहिए।
✅ सही नायकों को याद करो: यहूदी अपने रक्षकों को पूजते हैं, हमें भी शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह, गोपाल पांथा, नाथूराम गोडसे जैसे नायकों को अपने बच्चों के आदर्श बनाना चाहिए।

🧱 अब समय है – केवल पूजा-पाठ नहीं, प्रतिकार और संगठन का

सनातन धर्म का अर्थ केवल:

  • मंदिर जाना,
  • भजन करना,
  • या कथा सुनना ही नहीं है।

बल्कि धर्म का मर्म है:

  • धर्म की रक्षा करना,
  • भारत माता के सम्मान की रक्षा करना,
  • और हर हिंदू को साहसी, संगठित और सशक्त बनाना।

कर्म ही धर्म है। निष्क्रियता पाप है।
अब समय है:

  • खड़े होने का,
  • शिक्षित और जागरूक बनने का,
  • संगठित होने का,
  • और आवश्यकता पड़ने पर प्रतिकार का।

🔥 इन धर्मयोद्धाओं को फिर से स्मरण करो

गोपाल पांथा, जिन्होंने बंगाल में 1946 में हिंदुओं की रक्षा के लिए शस्त्र उठाया।

नाथूराम गोडसे, जिन्होंने — सही या गलत — यह समझा कि राष्ट्र की रक्षा के लिए कठोर निर्णय भी आवश्यक होते हैं।

छत्रपति शिवाजी, जिन्होंने मुगल साम्राज्यों को ध्वस्त कर हिन्दवी स्वराज की स्थापना की।

गुरु गोविंद सिंह, जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपने चारों पुत्रों की आहुति दी।

🗣️ यदि यह संदेश आपके अंतर्मन को जाग्रत करता है, तो इसे हर हिंदू, हर सनातनी तक पहुंचाइए — यही धर्मयुद्ध की शुरुआत है।

🙏 जय सनातन धर्म, जय भारत

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