देश में कुछ तत्व संविधान की आड़ लेकर पाखंड और राष्ट्रद्रोह गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। यह लेख ऐसे षड्यंत्रों का सच सामने लाता है।
भारत को भीड़तंत्र से निकालकर राष्ट्रतंत्र की ओर ले जाने का आह्वान
🔨 1. बुलडोजर पर रोना क्यों? – देशद्रोहियों पर करुणा, संविधान की हत्या
- जब कोई व्यक्ति या समुदाय:
- सार्वजनिक संपत्ति जलाता है,
- पुलिस पर पत्थर फेंकता है,
- ट्रेन/बस/दुकानें फूंकता है,
- पुलिसकर्मियों को घायल करता है,
- धार्मिक दंगे भड़काता है —
- तो वो संविधान का कौन सा अनुच्छेद लागू कर रहा है?
और जब सरकार उन पर बुलडोजर चलवाती है, तो वही लोग “संविधान” की दुहाई देने लगते हैं?
- क्या अपराधी को सज़ा देना अलोकतांत्रिक है?
- नहीं!बल्कि अपराधी को बचाना लोकतंत्र के साथ बलात्कार है।
⚖️ 2. जातिगत आरक्षण: 75 साल पुरानी विभाजनकारी राजनीति
भारत में जब भी “बराबरी” की बात होती है, तो सवर्णों पर सबसे पहले हमला होता है।
- 8 लाख की आय वाला OBC ‘गरीब’,
लेकिन 3 लाख वाला General ‘अमीर’? - IIT-JEE या UPSC जैसी परीक्षाओं में General को 50% पर भी चयन नहीं मिलता, जबकि SC/ST/OBC को 30% पर सीट मिल जाती है।
- यह असमानता न केवल देश के टैलेंट को निराश करती है और ब्रेन ड्रेन बढ़ाती है, बल्कि योग्यता को दबाकर राष्ट्र की प्रगति में बाधा डालती है। जब संविधान की आड़ में ऐसी नीतियाँ चलाकर समाज में जानबूझकर विभाजन और नाराज़गी पैदा की जाती है, तो यह केवल अन्याय नहीं—बल्कि राष्ट्रद्रोह के समान है।
- क्या यही है ‘समता का संविधान’?
🐐 3. गांधीजी की ‘अहिंसा‘: सिर्फ चुनावी रणनीति या वास्तविक दर्शन?
- गांधीजी ने अंग्रेजों के विरुद्ध सत्याग्रह और उपवास किए,
- लेकिन जब भारत में बकरे, ऊंट और गाय की कुर्बानी खुलेआम होती रही,
- तो उन्होंने मौन क्यों धारण किया?
- क्या अहिंसा सिर्फ राजनीति के लिए थी?
हिंदू पर्वों पर मोहर लगा देने वाले गांधी क्या पशुबलि पर मौन रहकर ‘हिंसा‘ के साझेदार नहीं बने?
🛑 4. इमरजेंसी का सच: लोकतंत्र पर कांग्रेस का काला धब्बा
25 जून 1975 —
- प्रेस सेंसरशिप
- विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी
- संविधान का खुला उल्लंघन
क्या इस समय राहुल गांधी को लोकतंत्र याद नहीं आता?
- कांग्रेस आज संविधान की दुहाई देती है,
- पर इतिहास गवाह है कि उसी ने संविधान को सबसे पहले रौंदा।
🇵🇰 5. पाकिस्तानी कलाकार और भारत में ‘ग़द्दार–प्रेम’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सटीक कहा —
“पाकिस्तानी कलाकारों की फिल्म भारत में रिलीज नहीं होगी।”
पाकिस्तान:
- आतंक भेजता है
- हमारे सैनिकों के सिर काटता है
- फिर भारत में उसके कलाकारों के लिए रेड कारपेट बिछती है?
- यह कैसा राष्ट्रवाद है?
- भारत में जो पाकिस्तान जिंदाबाद बोले —
- उसे लोकतंत्र नहीं, राष्ट्रद्रोह की धारा में बंद करो।
🧨 6. मिनी–कश्मीर बनते शहर: खतरे की घंटी
मल्टीकल्चरिज्म और सेक्युलरिज्म के नाम पर:
- हर राज्य में एक इलाका कट्टरपंथियों का गढ़ बन रहा है।
- वहां पुलिस की नहीं, शरिया की चलती है।
- डीजे और गरबा नहीं, मगर कुर्बानी और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ पर विरोध होता है।
क्या हम दोबारा कश्मीर पंडितों जैसी त्रासदी का इंतजार कर रहे हैं?
💪 7. अब ‘मर्द’ सरकार है — जो आतंकियों को वहीं खत्म करती है
मोदी-योगी राज में:
- उरी का बदला सर्जिकल स्ट्राइक से
- पुलवामा का बदला एयर स्ट्राइक से
- यूपी में अपराधी या तो जेल में या कब्र में
पहले सरकारें आतंकियों से डरती थीं — अब आतंकवादी भारत से डरते हैं।
💊 8. मोदी से कौन नाराज़ है? जिनके धंधे बंद हो गए
- बिचौलियों का कमीशन बंद — नाराज़
- 800 से ज्यादा दवाएं सस्ती — मेडिकल माफिया नाराज़
- नकली विश्वविद्यालय बंद — शिक्षा माफिया नाराज़
- नोटबंदी — हवाला कारोबारी नाराज़
- बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई — दलाल और नेता नाराज़
यही मोदी की असली सफलता है।
🚨 9. भ्रमित हिन्दू = भविष्य का खतरा
- एक वर्ग ऐसा है जो जाति, क्षेत्र या किसी नेता की वजह से भारत विरोधी मानसिकता को वोट देता है।
- मोदी से नाराज़ होकर राहुल या केजरीवाल को चुनना,
स्वयं को गुलामी की ओर धकेलना है।
यह सिर्फ वोट नहीं, धर्म, राष्ट्र और संस्कृति का भविष्य तय करता है।
✊ अंतिम संदेश:
- ये लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस की नहीं है,
- ये लड़ाई संविधान और पाखंड के बीच है।
- ये लड़ाई राष्ट्र और वोटबैंक के बीच है।
- ये लड़ाई आपकी आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा की है।
- जब संविधान की आड़ में पाखंड और राष्ट्रद्रोह फैलाकर समाज को बांटा जाता है, तो चुप रहना भी अपराध बन जाता है।
अब मौन रहना पाप है। जागिए, बोलिए, और संगठित हो जाइए।
भारत को राष्ट्रतंत्र बनाना ही संविधान और राष्ट्र की सच्ची रक्षा है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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