सॉफ्ट स्टेट से ज़ीरो टॉलरेंस तक की राष्ट्रीय सुरक्षा यात्रा (2004–2024)
- भारत की सीमाओं पर जो दृश्य आज दिखाई देता है—घुसपैठ में गिरावट, दृढ़ कार्रवाई, सैनिक मनोबल में वृद्धि, और कठोर सीमा सुरक्षा—यह अचानक नहीं हुआ।
- यह 2014 के बाद राष्ट्रीय राजनीतिक इच्छा–शक्ति (Political Will) के पुनर्जन्म का परिणाम है।
1. 2014 से पहले: सॉफ्ट बॉर्डर, सॉफ्ट स्टेट, सॉफ्ट सुरक्षा
2014 से पूर्व भारत की सीमाएँ दीवार नहीं, खुला दरवाज़ा थीं। सुरक्षा बलों के पास अधिकार तो थे, लेकिन उन्हें उपयोग करने की अनुमति नहीं थी।
मुख्य परिस्थितियाँ (2004–2014)
- गैर–घातक हथियार नीति (2011) ने BSF को केवल Pump Action Guns तक सीमित कर दिया
- तस्करों, घुसपैठियों और कट्टर समूहों में Deterrence समाप्त
- अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ लाखों के पैमाने पर
- राजनीतिक संरक्षण के तहत राशन कार्ड, वोटर ID, आवास प्रदान किए गए
- सेना और BSF पर निरंतर जांच, कोर्ट ऑफ इंक्वायरी और कार्रवाई
- रोहिंग्या बसावट—जम्मू, दिल्ली, मेवात, हैदराबाद तक
- IMDT Act (असम) जैसी नीतियाँ—घुसपैठ रोकने नहीं, वैधता देने के लिए
परिणाम:
- अवैध आबादी विस्फोट और डेमोग्राफिक परिवर्तन
- सीमा–क्षेत्र में माफिया, हथियार और पशु–तस्करी गैंगों का नेटवर्क
- BSF घायल—तस्कर सुरक्षित
- सैनिक मनोबल में भारी गिरावट
सीमा पर जवान खड़े थे… पर उनके पीछे खड़ी सरकार नहीं थी।
2. 2014 के बाद: टैक्टिक्स नहीं, नैतिक–राष्ट्रीय परिवर्तन
2014 के बाद सबसे बड़ा बदलावा नीतियों का नहीं, नीयत का था।
परिवर्तन के मुख्य आधार
- ज़ीरो टॉलरेंस टू क्रॉस–बॉर्डर टेरर
- सेना और BSF को Active Rules of Engagement
- गैर–घातक से वापसी कर घातक अधिकार पुनः प्रदान
- सीमा पर Retaliatory Sovereignty Doctrine लागू
अब निर्देश स्पष्ट हैं:
- सीमा लांघो → जवाब मिलेगा
- जवान पर हमला → तत्काल प्रतिक्रिया
- तस्करी, ड्रग, कट्टर नेटवर्क → राष्ट्रीय सुरक्षा अपराध
अब घुसपैठ सीमा–अपराध नहीं, राष्ट्रीय आक्रमण है—और उत्तर भी उसी स्तर का।
3. 2014 के बाद क़ानूनी एवं रणनीतिक ढांचा
सख्त कदम
- CAA, NRC ढांचा
- FATF अनुपालन के तहत अवैध फंडिंग रोकथाम
- PFI, SIMI, ISIS मॉड्यूल ध्वस्त
- सीमा प्रबंधन परियोजना: स्मार्ट फेंसिंग, सेंसर, UAV, नाइट–इंटेलिजेंस
- BSF अधिकार–क्षेत्र 15 km → 50 km तक विस्तारित
इसके परिणाम:
- 85% से अधिक घुसपैठ–नियंत्रण
- पूर्वोत्तर–बंगाल सीमा पर तस्करी नेटवर्क ध्वस्त
- पाकिस्तान–बांग्लादेश पैटर्न बाधित
- म्यांमार–रूट का ड्रग–हथियार कार्टेल नियंत्रित
4. 2014 के बाद सैन्य क्षमता में निर्णायक उछाल
रक्षा आधुनिकीकरण:
- Rafale, S-400, Apache, Chinook, Tejas Mk1A
- Made in India ड्रोन, तोप, मिसाइल, surveillance radars
- Agnipath: सैन्य–मानव संसाधन पुनर्गठन
- रक्षा निर्यात 14 गुना वृद्धि
जो पहले अम्मुनिशन कमी में संघर्ष कर रही सेना थी, आज निर्यातक राष्ट्र है।
5. अगर 2014 से पहले की नीति जारी रहती…
भारत आज:
- सीरियाई जैसे गृह–संकट में,
- पाकिस्तान जैसे आतंकी–कब्जे में,
- बांग्लादेश जैसे आर्थिक पतन वाली अवस्था में होता।
संभावित ख़तरे (जिन्हें 2014 के बाद टाला गया)
- पूर्ण डेमोग्राफिक असंतुलन
- पंजाब–बंगाल–असम–कश्मीर में कट्टर भूगोल निर्माण
- अवैध प्रवासियों का चुनाव, पुलिस, भूमि, संसाधन पर नियंत्रण
- वैश्विक FATF प्रतिबंध और आर्थिक डूब
एक और दशक सॉफ्ट स्टेट का और भारत नक्शे में तो रहता—पर राष्ट्र नहीं रह जाता।
6. आर्थिक परिवर्तन: सुरक्षा = विकास
आज का परिदृश्य
- भारत: विश्व की 4th सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
- रिकॉर्ड FDIरिकॉर्ड बुनियादी ढांचा
- UPI–आधारित वित्तीय पारदर्शिता
- डिजिटल सीमा निगरानी और इंटेलिजेंस एकीकरण
>सीमाएँ सुरक्षित होती हैं → निवेश बढ़ता है
?निवेश बढ़ता है → अर्थव्यवस्था स्थिर होती है
>स्थिरता बढ़ती है → राष्ट्र महाशक्ति बनता है
7. क्यों आवश्यक है दीर्घकालिक स्थिर नेतृत्व
- सीमा–सुरक्षा, जनसंख्या संतुलन, आर्थिक स्थिरता और कट्टरवाद–निरोध
1-2 वर्ष में नहीं, 20–25 वर्षों में स्थिर होते हैं।
भारत को अगले कुछ दशकों तक आवश्यकता है:
- सुसंगत नीति
- स्पष्ट जनसंख्या नियंत्रण
- घुसपैठ–निरोध
- सीमाओं पर निरंतर कठोरता
- सैन्य–आधुनिकीकरण निरंतरता
- डिजिटल सुरक्षा
राष्ट्र उतना ही सुरक्षित है जितनी स्थिर उसकी नीतियाँ और नेतृत्व।
भारत आज सुरक्षा–राज्य नहीं, संप्रभु–सुरक्षा प्रतिमान है
- 2014 से पहले भारत खुली भूमि था
- 2014 के बाद संप्रभु सीमा–राष्ट्र
आज सीमाएँ सिर्फ तारों से नहीं, राष्ट्रीय इरादेसे सुरक्षित हैं। BSF के पीछे आज दिल्ली की रीढ़ सीधी है।
यदि हम चाहते हैं कि भारत:
- पाकिस्तान–बांग्लादेश की तरह टूटे नहीं,
- बल्कि वैश्विक महाशक्ति बनें,
तो नागरिक, समाज और राजनीति— दीर्घकालिक राष्ट्रीय नेतृत्व को स्थिर समर्थन दें।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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