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सीमापुरी पत्रकार हमला कट्टरपंथ की बर्बरता

पत्रकारिता पर हमला नहीं, राष्ट्र पर संकट है — सीमापुरी की घटना एक गंभीर चेतावनी है।

4 जुलाई 2025 को दिल्ली में हुआ सीमापुरी पत्रकार हमला पत्रकारिता, हिंदू पहचान और कानून व्यवस्था पर सीधा हमला था।

  • ऑल इंडिया न्यूज़ की पत्रकार सुप्रिया पाठक और कैमरामैन श्याम को एक इस्लामी उन्मादी भीड़ने बेरहमी से पीटा, घसीटा, लूटा और लगभग जान से मार ही डाला।
  • उनका अपराध? वे सरकारी जमीन पर हो रहे अवैध अतिक्रमण और बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठियों पर रिपोर्टिंग कर रहे थे।

🚨 यह हमला कोई इत्तेफ़ाक नहीं, बल्कि एक सुनियोजित सांप्रदायिक साज़िश थी।

  • हमलावरों में बुर्काधारी महिलाएं, किशोर मुस्लिम लड़के और कट्टरपंथी पुरुषशामिल थे, जो बेल्ट, पत्थरों, लाठियों और घूंसे-लातों से लैस थे।
  • सुप्रिया को बाल पकड़कर सड़क पर घसीटा गया, उनके पैर की हड्डी टूट गई और शरीर पर गंभीर घाव आए। श्याम को चेहरे पर लात-घूंसे मारे गए और उनके कैमरे व उपकरण लूट लिए गए।
  • जब वे जान बचाने के लिए DTC बस में चढ़े, भीड़ ने बस को चारों ओर से घेर लिया, शीशे तोड़े और उन्हें बाहर खींच लिया।
  • भीड़ हिंदू विरोधी और सांप्रदायिक नारे लगा रही थी, और धमकी दे रही थी कि “हमारी बस्ती में रिपोर्टिंग की तो यही अंजाम होगा।”

यह हमला न सिर्फ दो पत्रकारों पर था — यह एक चेतावनी थी हर राष्ट्रवादी, हर हिंदू, और हर सच्चे पत्रकार के लिए।

🧨 यह सिर्फ एक हमला नहीं — यह पूरे कट्टरपंथी तंत्र की परछाई है

  • सीमापुरी की ये अवैध झुग्गियाँ रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों से भरी हुई हैं, जिनका राजनीतिक दल वोटबैंक के लिए संरक्षणकरते हैं।
  • मीडिया, NGO और कुछ विपक्षी पार्टियाँ इन अतिक्रमणों को “मानवाधिकार का मुद्दा” बताकर देश-विरोधी गतिविधियों को ढँकने का काम कर रही हैं।
  • पुलिस पूरी तरह से असहाय, डरपोक या राजनीतिक दबाव मेंहै — न FIR, न गिरफ्तारी, न कार्रवाई।

🔥 यह घटना हर भारतीय के लिए चिंता की बात क्यों है?

  • पत्रकारों पर जानलेवा हमला सिर्फ इसलिए क्योंकि वे सच दिखाना चाहते थे।
  • कट्टरपंथी भीड़ के सामने राज्य प्रशासन और पुलिस की घुटने टेक देने वाली चुप्पी।
  • धार्मिक पहचान के नाम पर हिंसा को जायज़ ठहराना — भारत के संविधान और मूल्यों का अपमान।

अगर ये हमला दिल्ली में हो सकता है — तो सोचिए देश के सुदूर इलाकों में क्या हो रहा होगा?

⚠️ यह कोई पहली बार नहीं है

  • इससे पहले भी मुस्लिम बहुल इलाकों में पत्रकारों पर हमले हुए हैं।
  • सोशल मीडिया पर हिंदू पत्रकारों और राष्ट्रवादियों को बदनाम किया जाता है।
  • तथाकथित सेक्युलर गैंगवामपंथी पत्रकार और फॉरेन फंडेड एक्टिविस्ट ऐसी घटनाओं पर खामोश रहते हैं।
  • एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडियामानवाधिकार संगठन, और “पुरस्कार लौटाने वाले” अब कहाँ हैं?

🛡️ अब क्या होना चाहिए?

✅ वीडियो फुटेज के आधार पर तत्काल गिरफ्तारी

✅ अवैध अतिक्रमण, रोहिंग्या बस्तियों और बाहरी घुसपैठ की सांस्थानिक जांच

✅ सीमापुरी जैसे संवेदनशील इलाकों में NRC और CAA को लागू किया जाए।

✅ पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाया जाए।

✅ असहाय पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई

📢 यह केवल दो पत्रकारों की बात नहीं — यह भारत के आत्मसम्मान की बात है

अगर आज इसे नजरअंदाज किया गया, तो कल यही उन्माद आपके परिवार, आपके मंदिर, और आपके अस्तित्व पर हमला करेगा।

🚩 संदेश:

यह हमला भारत की आत्मा पर सीधा प्रहार है।
अब नहीं जागे — तो कल बहुत देर हो जाएगी।

🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳

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