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सेला टनल और दिव्यास्त्र: हमसे उलझने की गलती न करें

9 मार्च, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरुणाचल प्रदेश यात्रा ने चीन की बौखलाहट और इरादों को फिर से उजागर कर दिया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने अरुणाचल प्रदेश को “जंगनान” कहा और भारत को क्षेत्र में “यथास्थिति बदलने” के खिलाफ चेतावनी दी।
लेकिन आज का भारत 1962 का भारत नहीं है। डर और कमजोरी का युग अब बीत चुका है। आज का भारत एक ऐसे नेता के नेतृत्व में है जो चीन के दावों का साहसपूर्वक सामना करता है।

नेहरू से मोदी: भारत का बदलता स्वरूप
कांग्रेस का डर बनाम मोदी का आत्मविश्वास
कांग्रेस के शासनकाल में चीन सीमा पर भारत की नीतियां डर और संकोच से भरी थीं। 2013 में, तत्कालीन रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने संसद में स्वीकार किया था कि चीन द्वारा संभावित हमले के डर से सीमा के पास सड़कों का निर्माण जानबूझकर नहीं किया गया।
यह डर केवल परिस्थितिजन्य नहीं था। 2008 में कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के बीच हुए समझौता ज्ञापन (MOU) ने यह सवाल खड़ा किया कि क्या भारत ने अपनी सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास को सीमित करने की सहमति दी थी।
मोदी युग का आत्मविश्वास
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत ने पिछले एक दशक में:
चीन सीमा पर सड़कों, पुलों और टनलों का मजबूत नेटवर्क तैयार किया।
महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारतीय सेना की उपस्थिति को सुदृढ़ किया।
गलवान घाटी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में चीन की हेकड़ी पर अंकुश लगाया।

सेला टनल: चीन को भारत की चुनौती
13,000 फीट पर इंजीनियरिंग का कमाल
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटित सेला टनल भारत की रणनीतिक उपलब्धि का प्रतीक है:
13,000 फीट की ऊंचाई पर ₹825 करोड़ की लागत से निर्मित।
असम के तेजपुर को अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले से जोड़ता है।
सालभर एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) तक भारतीय सेना की पहुंच सुनिश्चित करता है।
सैनिकों और रसद के निर्बाध आवागमन में मदद करता है।
चीन को राजनीतिक संदेश
चीन अरुणाचल प्रदेश को “जंगनान” कहकर भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश करता है। लेकिन सेला टनल का उद्घाटन यह साफ संदेश देता है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा।
यह ध्यान देने योग्य है कि कांग्रेस, जिसने अपने शासनकाल में इस क्षेत्र में एक भी सड़क का निर्माण नहीं किया, इस उपलब्धि पर बधाई देने से चुप रही। यह चुप्पी कांग्रेस की ऐतिहासिक उपेक्षा को उजागर करती है।

दिव्यास्त्र: भारत की रणनीतिक शक्ति
अग्नि-5 मिसाइल परीक्षण: भारत की शक्ति का प्रतीक
सेला टनल के उद्घाटन के तुरंत बाद, भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इसे “दिव्यास्त्र” नाम दिया गया है, जो भारत की रणनीतिक शक्ति को दर्शाता है:
रेंज: 5,000–5,500 किमी, जो एशिया, यूरोप और पूरे चीन को कवर कर सकती है।
एमआईआरवी तकनीक: (मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल) एक साथ कई जगहों पर हमला करने में सक्षम।
ग्लोबल एलीट क्लब: भारत अमेरिका, रूस, चीन, यूके और फ्रांस जैसे देशों के साथ एमआईआरवी तकनीक में शामिल हो गया।
विरोधियों को चेतावनी
“दिव्यास्त्र” केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है; यह एक स्पष्ट संदेश है। भारत अब वैश्विक रणनीतिक क्षेत्र में एक मजबूत शक्ति है। चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधियों के लिए यह सीधी चेतावनी है:
“यह नया भारत है। हमारी परीक्षा लेने की गलती न करें।”

कांग्रेस: दुश्मन का मित्र या देश का गद्दार?
कांग्रेस का इतिहास नीतियों से भरा है जो अक्सर भारत की सुरक्षा के खिलाफ प्रतीत होती हैं:
2008 में चीन के साथ समझौता ज्ञापन (MOU) ने यह सवाल उठाया कि क्या राष्ट्रीय हितों की बलि दी गई थी।
चीन और पाकिस्तान के प्रति कांग्रेस की तुष्टीकरण नीतियां भारत की रणनीतिक क्षमता को कमजोर करती रहीं।
इसके विपरीत, मोदी सरकार ने एक सख्त और निर्णायक रुख अपनाया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देता है।

“हमसे उलझने की गलती न करें”: एक आत्मनिर्भर भारत की पुकार
आज का भारत पुरानी कमजोरियों से मुक्त हो चुका है। सेला टनल और अग्नि-5 मिसाइल परीक्षण की उपलब्धियां यह साबित करती हैं:
एक बदला हुआ राष्ट्र, आत्मविश्वास से भरा हुआ।
एक ऐसी सरकार जो राजनीतिक खेलों के बजाय सुरक्षा और संप्रभुता को प्राथमिकता देती है।
चीन को स्पष्ट संदेश: भारत को कमजोर समझने की भूल न करें।
युवाओं के लिए आह्वान
भारत के युवाओं, यह आपके लिए एक आह्वान है:
उन नेताओं का समर्थन करें जो भारत के विकास और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
उन ताकतों के खिलाफ सतर्क रहें जो भारत की प्रगति में बाधा डालती हैं।
भारत की उपलब्धियों पर गर्व करें और इसकी रक्षा करें।
जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था:
“उठो, जागो, और लक्ष्य प्राप्ति तक रुको मत।”
यह नया भारत है – साहसी, निर्णायक और अडिग। संदेश स्पष्ट है:
“हमसे उलझने की गलती न करें।”
जय हिन्द! जय भारत!!

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