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शांतिपूर्ण क्रांति मोदी के साथ प्रगतिशील मुसलमान

शांतिपूर्ण क्रांति: मोदी के साथ प्रगतिशील मुसलमान

आज भारत में एक नई और सकारात्मक परिवर्तन की लहर उठ रही है। पढ़े-लिखे, सभ्य और राष्ट्रभक्त मुसलमान अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रवादी और विकास-केंद्रित शासन का खुलकर समर्थन कर रहे हैं और अपने ही समुदाय के जिहादी एवं कट्टरपंथी तत्वों का विरोध कर रहे हैं, जिनकी गतिविधियों ने पूरी मुस्लिम कौम की छवि को न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में भी प्रभावित किया है।

यह सिर्फ एक राजनीतिक झुकाव नहीं है, बल्कि राष्ट्र की एकता, सांप्रदायिक सौहार्द और चरमपंथ के खिलाफ एक जन-जागरण है।

1. वक्फ संशोधन अधिनियम: एक ऐतिहासिक मोड़

2024 में पारित हुआ वक्फ संशोधन अधिनियम भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था। दशकों तक वक्फ बोर्डों के पास जमीनों पर नियंत्रण रहा, जिसमें पारदर्शिता की भारी कमी और भ्रष्टाचार की आशंकाएं थीं।

इस कानून ने:

  • वक्फ बोर्ड की मनमानी पर रोक लगाई,
  • बिना प्रमाण के किसी भी ज़मीन को वक्फ घोषित करने से मना किया,
  • सरकारी और गरीबों की ज़मीनों की रक्षा सुनिश्चित की।

कुछ कट्टरपंथी संगठनों ने इसका विरोध किया, लेकिन भारत के कई मुसलमानों ने इसका स्वागत किया। उनके अनुसार, यह कानून इस्लाम के खिलाफ नहीं है, बल्कि पारदर्शिता और सुधार की दिशा में एक कदम है।

2. AIMPLB के खिलाफ जांच की मांग

वक्फ संशोधन कानून के विरोध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।

इस पर प्रगतिशील मुस्लिम नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। हाल ही में एक पदयात्रा के दौरान AIMPLB के खिलाफ जांच की मांग उठाई गई।

सिद्दीकी साहब ने AIMPLB पर सवाल उठाते हुए कहा:

“मैं समझ नहीं पा रहा कि AIMPLB को ‘बोर्ड’ क्यों कहा जाता है। यह संस्था कभी भी मुसलमानों की मदद नहीं करती, बल्कि हर बार उन लोगों के साथ खड़ी दिखती है जो समुदाय को भड़काना चाहते हैं। मैंने पहले भी पत्र लिखकर उनसे कहा था कि अपने नाम से ‘बोर्ड’ शब्द हटाएं। अब मैं जल्द ही गृहमंत्री अमित शाह जी से मिलकर उनके कारनामों की जांच की मांग करूंगा।”

3. शाहीन बाग: विरोध से सहयोग तक की यात्रा

जो शाहीन बाग पहले CAA विरोध के लिए जाना जाता था | अब सकारात्मक बदलाव का प्रतीक बन रहा है। हाल ही में वहां एक बड़ी रैली आयोजित हुई, जिसमें कई प्रगतिशील मुसलमानों ने भाग लिया—लेकिन इस बार उद्देश्य अलग था: विकास, अमन और राष्ट्र निर्माण का समर्थन।

इस रैली में:

  • मौलवियों ने कट्टरता के खिलाफ भाषण दिए और युवाओं को शिक्षा व रोजगार की ओर मोड़ने की बात कही,
  • वक्फ संशोधन का स्वागत किया गया और वक्फ बोर्डों की भ्रष्ट व्यवस्था पर सवाल उठाए गए,
  • “विकास और अमन ज़िंदाबाद” जैसे नारों ने माहौल को सकारात्मक बना दिया।

यह बदलाव इस बात का प्रमाण है कि मुस्लिम समाज अब जाग रहा है और वास्तविक प्रगति का रास्ता अपना रहा है।

4. देश के भविष्य के लिए मोदी ही एकमात्र विकल्प

आज का यथार्थ यह है कि अगर भारत को अमेरिका और जापान जैसे विकसित देशों की श्रेणी में लाना है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।

अगर हम अभी भी झूठे वादों, तुष्टिकरण की राजनीति, जातिवाद और भ्रष्टाचार में उलझे रहे, तो भारत भी पाकिस्तान, बांग्लादेश या लेबनान जैसे देशों की तरह गरीबी, अराजकता और अस्थिरता में डूब जाएगा, जहाँ लोग आज भी रोटी, पानी, बिजली और दवाइयों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

जो मुसलमान भारत के साथ खड़े हैं, वे अब समझ चुके हैं:

  • मोदीजी का शासन न्यायपूर्ण, पारदर्शी और भविष्यदर्शी है,
  • उनके नेतृत्व में देश सुरक्षित भी है और समृद्ध भी हो रहा है,
  • विकास और राष्ट्रवाद अब मुसलमानों की भी प्राथमिकता बन रही है।

5. मुसलमानों की नई पहचान: कट्टरता नहीं, राष्ट्रवाद

अब तक कुछ चरमपंथियों की वजह से पूरे मुसलमान समुदाय की छवि पर धब्बा लगता रहा है। चाहे वह ISIS हो, तालिबान हो या स्थानीय आतंकवादी संगठन—इनके कारण:

  • इस्लाम की शांतिपूर्ण छवि बिगड़ी,
  • गैर-मुस्लिमों के बीच अविश्वास फैला,
  • और आम मुसलमानों को भी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी।

अब पढ़े-लिखे, राष्ट्रभक्त और समझदार मुसलमान कह रहे हैं:

“हम कट्टरपंथियों से नहीं, बल्कि अपने राष्ट्रभक्त कार्यों से पहचाने जाना चाहते हैं। हम भारत के नागरिक हैं, और हमें विकास, समानता और शांति चाहिए—जिहाद नहीं।”

सामाजिक सौहार्द का एक नया अध्याय

आज भारत में मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग खुलकर मोदी सरकार के सुधारवादी कदमों और विकास एजेंडे के साथ खड़ा हो रहा है। वक्फ संशोधन अधिनियम, तीन तलाक पर रोक, महिलाओं की आज़ादी, और AIMPLB जैसी संस्थाओं के खिलाफ आवाज़ उठाना—ये सब इस दिशा में मजबूत कदम हैं।

अब मुसलमान यह बता रहे हैं कि वे कट्टरपंथियों के बंधक नहीं हैं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में समान भागीदार हैं।

अगर हम भारत को दुनिया का अगला विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं, तो हमें मोदीजी का साथ देना ही होगा। अन्यथा हम भी गरीबी और असफलता के गर्त में चले जाएंगे।

🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम 🇳🇪

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