🐍 भारत में साज़िश – शाहीन बाग़ और किसान आंदोलन
भारत में पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा:
- शाहीन बाग़ – CAA/NRC के नाम पर मुसलमानों को भड़काकर दिल्ली को महीनों तक बंधक बनाया गया।
- किसान आंदोलन – कृषि सुधारों के खिलाफ ट्रैक्टरों से दिल्ली को घेरकर हिंसा फैलाई गई।
👉 ये दोनों आंदोलन वास्तव में जन आंदोलन नहीं थे, बल्कि एंटी-हिंदू और एंटी-इंडिया इकोसिस्टम का हिस्सा थे।
👉 विपक्षी पार्टियाँ, वामपंथी, लेफ्ट-लिबरल मीडिया, विदेशी NGOs, पाकिस्तान-खालिस्तानी नेटवर्क और पश्चिमी डीप स्टेट ने मिलकर इन्हें आयोजित किया।
🌍 अंतर्राष्ट्रीय पैटर्न – भारत अकेला नहीं
भारत में जो हुआ, वह नया नहीं है। यही पैटर्न यूरोप और पश्चिमी देशों में भी अपनाया गया है:
- जर्मनी और स्वीडन – शरणार्थी संकट के नाम पर लाखों मुस्लिम शरणार्थी बसाए गए। आज वहाँ बलात्कार, अपराध और इस्लामिक कट्टरपंथ का बोलबाला है।
- फ्रांस – मुसलमान शरणार्थियों ने protest और riots को हथियार बनाया, पुलिस पर हमले किए, चर्चों और स्कूलों पर हमला हुआ।
- ब्रिटेन – “Refugee Rights” और “Minority Oppression” के नाम पर सड़क पर आंदोलन कराए गए। नतीजा: लंदन और बर्मिंघम में खुलेआम शरिया गैंग सक्रिय।
- अमेरिका (BLM आंदोलन का पैटर्न) – “Black Lives Matter” जैसे आंदोलनों के नाम पर शहरों को जलाया गया। असल में इनका मकसद था law and order को खत्म कर सत्ता और जनता में दूरी पैदा करना।
👉 भारत में शाहीन बाग़ और किसान आंदोलन इन्हीं ग्लोबल पैटर्न्स की कॉपी-पेस्ट स्ट्रैटेजी थे, जिन्हें विदेशी NGOs और वामपंथी नेटवर्क ने भारत की धरती पर लागू किया।
💣 पश्चिमी देशों की चिंता
- अमेरिका और यूरोप को डर है कि भारत, रूस और चीन का गठबंधन एक नया multipolar world order बना देगा।
- यह गठबंधन डॉलर की बादशाहत तोड़ेगा, पश्चिमी हथियार-तेल व्यापार को खत्म करेगा और पश्चिम के “colonial control” का अंत करेगा।
- इसलिए भारत को अंदर से कमजोर करने के लिए इस तरह के आंदोलन और प्रदर्शन करवाए जाते हैं।
⚠️ असली मकसद
- भारत को विकास की राह से भटकाना।
- मोदी सरकार की स्थिर और मज़बूत छवि को धक्का देना।
- हिंदू समाज को जाति, धर्म और क्षेत्रीय आधार पर तोड़ना।
- पश्चिमी देशों की hegemonic politics को बचाना।
🚜 किसान आंदोलन बनाम असली किसान
- चार लाख ट्रैक्टर दिल्ली घेरने के लिए तो आ गए, लेकिन आपदा में एक भी ट्रैक्टर राशन पहुँचाने पंजाब नहीं गया जब वहाँ भीषण बाढ़ आई।
- यह साफ़ साबित करता है कि यह आंदोलन किसानों का नहीं, बल्कि विदेशी फंडेड प्रोजेक्ट था।
- असली किसान तो चाहता था आधुनिक तकनीक और सुधार, लेकिन आंदोलन में हावी थे खालिस्तानी और पाकिस्तान-समर्थित गुंडे।
🕌 शाहीन बाग़ और वोट बैंक की राजनीति
- CAA और NRC से भारतीय मुसलमानों का कोई लेना-देना नहीं था – यह केवल घुसपैठियों (बांग्लादेशी और रोहिंग्या) को रोकने का कानून था।
- लेकिन विपक्ष ने इसे मुस्लिम वोट बैंक को बचाने का हथियार बना लिया और मासूम महिलाओं-बच्चों को सड़क पर बैठाकर पूरे देश को ब्लैकमेल किया।
🛑 राष्ट्र को चेतावनी
- आज हिंदू समाज को समझना होगा:
- ये आंदोलन केवल “स्थानीय मुद्दे” नहीं हैं, बल्कि एक ग्लोबल स्ट्रैटेजी का हिस्सा हैं।
- विपक्ष और पश्चिमी देशों का गठजोड़ भारत को रोकना चाहता है।
- अगर हम एकजुट नहीं हुए और इन चालों को नहीं समझा, तो भारत की प्रगति और हमारी सभ्यता दोनों खतरे में पड़ सकती हैं।
👉 शाहीन बाग़ और किसान आंदोलन जैसे “ड्रामा” केवल शुरुआत हैं।
👉 असली लक्ष्य है भारत को कमजोर करना और हिंदू समाज को बांटना।
👉 इसका समाधान है – पूर्ण बहुमत वाली प्रो-सनातन बीजेपी सरकार, जो देश को अंदर-बाहर से मज़बूत करे और भारत को विश्व की टॉप-3 सुपरपावर बनाए।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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