शिक्षा और प्रशासन में “संख्यात्मक जेहाद”
भारत की सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित परीक्षाओं – UPSC, सिविल सेवा, विश्वविद्यालय प्रवेश – अब एक सुनियोजित रणनीति के तहत “संख्यात्मक जेहाद” (Number Jihad) और उर्दू माध्यम की आड़ में षड्यंत्र का केंद्र बनती जा रही हैं। यह कोई सामान्य संयोग नहीं, बल्कि एक योजनाबद्ध प्रयास है जो हमारी प्रशासनिक व्यवस्था, न्याय प्रणाली और सामाजिक संतुलन को कमजोर करने की साजिश जैसा प्रतीत होता है।
❗ 1. केरल से फैला “संख्यात्मक जेहाद” – प्रवेश परीक्षा में 100% नंबरों की बाढ़
- हाल ही में केरल बोर्ड के हज़ारों छात्रों ने दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों में 100% अंकों के साथ आवेदन किया और चौंकाने वाले तरीके से लगभग सभी को मनचाहे कॉलेजों और विषयों में प्रवेश भी मिल गया।
- इतिहास, भूगोल, बायोलॉजी, अंग्रेज़ी जैसे विषयों में 100% अंक मिलना अकादमिक दृष्टि से असंभव माना जाता है, फिर भी ये छात्र चयनित हुए।
- इस पूरे खेल को उजागर किया प्रो. राकेश पांडेय ने, जिन्हें वामपंथी गैंग और कथित प्रगतिशील नेताओं द्वारा निशाना भी बनाया गया।
⚠ 2. UPSC में उर्दू माध्यम से मुस्लिम अभ्यर्थियों की बाढ़ – प्रणालीगत पक्षपात?
- पिछले एक दशक में बड़ी संख्या में मुस्लिम छात्र IAS, IPS जैसी ऊँची सेवाओं में चयनित हुए, विशेषकर उर्दू माध्यम के माध्यम से।
- उर्दू में लिखी गई उत्तर पुस्तिकाओं की जांच प्रायः मुस्लिम परीक्षकों द्वारा की जाती है, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
- बहुत से मामलों में इन अभ्यर्थियों को असाधारण अंक मिले, जबकि अन्य माध्यमों के छात्र औसत या निम्न अंक ही प्राप्त कर पाए।
🔥 3. जहाँ-जहाँ हिंसा हुई, वहाँ प्रशासक मुस्लिम क्यों निकले?
- भारत में जब-जब हिंदुओं पर भीषण जिहादी हमला हुआ – चाहे वह बंगाल हो, उत्तर प्रदेश या दिल्ली – अधिकतर मामलों में वहाँ के डीएम, एसपी, पुलिस कमिश्नर जैसे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मुस्लिम निकले।
- इन अधिकारियों पर हिंदुओं को बचाने की बजाय निष्क्रिय रहने या पक्षपात का आरोप भी लगता रहा है।
- यह संयोग नहीं हो सकता कि जहाँ भी हिन्दू मारे गए, वहाँ के प्रशासनिक निर्णय मुस्लिम अधिकारियों के अधीन थे।
🚨 4. भविष्य में “शरिया लॉ” के वकील उच्च न्यायालयों में?
- केरल में कानून की डिग्री में शरिया कानून को एक विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है।
- ऐसे वकील जब उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँचेंगे, तब भारतीय संविधान की रक्षा कैसे होगी?
🛡 5. हिंदू समाज और सरकार के लिए चेतावनी
- यदि इन मुद्दों की जाँच समय रहते नहीं हुई, तो आने वाले वर्षों में न केवल प्रशासनिक संतुलन बिगड़ेगा, बल्कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा, अखंडता और बहुसंख्यक हिंदू समाज की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी।
- यह एक “धीमा लेकिन घातक” साजिश है, जिससे देश के भीतर से उसकी नींव को कमजोर किया जा रहा है।
✊ अब क्या करना चाहिए?
- हर सजग नागरिक, हिन्दू धार्मिक संगठन और राष्ट्रवादी संस्था को अब खुलकर सामने आना होगा।
- सरकार को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए – क्या वाकई उर्दू माध्यम के अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ मिल रहा है?
शिक्षा और प्रशासन को धर्मनिरपेक्ष और निष्पक्ष बनाने के लिए कठोर कानूनों और नियमों की आवश्यकता है।
❗ याद रखिए:
अगर हमने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो भविष्य में भारत की न्याय व्यवस्था, पुलिस व्यवस्था और प्रशासन ऐसे हाथों में चली जाएगी, जो राष्ट्रवाद की जगह मजहबी सोच से प्रेरित होंगे।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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