सुन्दर पिचाई की प्रेरणादायक यात्रा
सुन्दर पिचाई: इस सुर्खियों और हैशटैग के युग में भी, विनम्रता के सच्चे क्षण बनते हैं नेतृत्व और प्रेरणा की मिसाल
🎥 एक ऐसा शाम जो हमेशा के लिए याद रह जाएगी
नई दिल्ली के ग्रैंड कन्वेंशन सेंटर में उस शाम एक अलग ही ऊर्जा थी। तेज़ रोशनी, सजी-धजी मीडिया वैनें, राजनयिक, उद्योगपति, अफसर—हर कोई मौजूद था। भारत और दुनिया के सबसे प्रभावशाली लोग एकत्र थे।
लेकिन इस भव्य माहौल में, एक सादगी भरी उपस्थिति ध्यान खींच रही थी—एक महिला, पीली कॉटन की साड़ी में, सिर झुका हुआ, हाथ गोद में रखे हुए, तीसरी पंक्ति में चुपचाप बैठी थीं।
वह थीं लक्ष्मी पिचाई।
बहुत कम लोग उन्हें पहचानते थे। लेकिन उनका बेटा—सुंदर पिचाई, गूगल के सीईओ—उस शाम का मुख्य आकर्षण थे। भारत एक ऐसे व्यक्ति का सम्मान कर रहा था जो एक मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि से उठकर वैश्विक मंच पर पहुँचा था।
✨ सिर्फ सफलता का नहीं, बलिदान का भी सम्मान
प्रोग्राम शुरू हुआ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तालियों की गूंज के बीच मंच पर आए। उनका भाषण एक आधुनिक भारत की परिकल्पना था—जो अपनी जड़ों में गहराई से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने वैज्ञानिकों, उद्यमियों, युवाओं की सराहना की। फिर अचानक वो रुके और बोले:
- “आज हम सिर्फ सुन्दर पिचाई की सफलता का जश्न नहीं मना रहे,
हम एक माँ के सफ़र को सम्मान दे रहे हैं—उस महिला को, जिसने चुपचाप इस सफलता की नींव रखी।” - पूरा सभागार एक पल के लिए ठहर गया।
सुंदर पिचाई स्तब्ध रह गए। उनकी आँखों में अतीत तैरने लगा।
💫 वो क्षण जिसने पूरे देश को झकझोर दिया
- बिना कुछ कहे, पीएम मोदी मंच से नीचे उतरे—ना कि सुंदर की ओर, बल्कि सीधे तीसरी पंक्ति की ओर बढ़े।
- लक्ष्मी पिचाई हैरान थीं। कैमरे उनकी ओर घूम गए।
- और फिर, भारत के प्रधानमंत्री ने उनके चरण स्पर्श किए।
“आपके त्याग के बिना यह संभव नहीं था।“
- सन्नाटा छा गया… फिर तालियों की गूंज से सभागार भर उठा।
- कुछ पत्रकारों की आँखें नम हो गईं।
- सुंदर की आँखों से आँसू छलक पड़े।
📖 सिलिकॉन वैली के सितारे की असली कहानी
उस पल में सुंदर के सामने उनका बचपन घूम गया:
- चेन्नई का छोटा–सा दो कमरों वाला घर, बिना फ्रिज के।
- पिता रातों तक बैठकर सर्किट बनाते थे।
- खिलौने नहीं थे, टूटे हुए रेडियो ही प्रयोगशाला थे।
- माँ चावल के दानों से गणित सिखाती थीं।
- कॉलेज की फीस के लिए माँ ने अपने कंगन बेच दिए।
- अमेरिका की फ्लाइट टिकट के लिए अंतिम सोने की चेन तक बेच दी।
और यह सब, बिना किसी शिकायत, बिना कभी कुछ माँगे।
🌍 दुनिया में नाम, जड़ों में सम्मान
- सुंदर ने व्हाइट हाउस में भाषण दिए, राष्ट्राध्यक्षों से मिले, लेकिन किसी ने उनकी माँ को यह सम्मान नहीं दिया था।
- जब पीएम मोदी ने लक्ष्मी पिचाई को मंच पर बुलाया, तो उन्होंने संकोच किया।
लेकिन मोदी जी ने आग्रह किया। - और जब वह बेटे के बगल में खड़ी हुईं, भारत को सफलता की एक नई परिभाषा मिली—धन या शोहरत नहीं, बल्कि मूल्य।
🕊️ एक माँ–बेटे की वो शांत बातचीत
रात को होटल के कमरे में, कैमरों की चकाचौंध से दूर, लक्ष्मी ने सुंदर का हाथ पकड़ते हुए धीरे से कहा:
- “तुमने याद रखा… बस, यही बहुत है।“
और सुंदर ने उत्तर दिया:
- “माँ, मैं कैसे भूल सकता था?
क्योंकि आपने… कभी कुछ माँगा ही नहीं।“
🔱 मोदी का भारत: एक गहरी सोच
यह सिर्फ भावनात्मक क्षण नहीं था।
यह नेतृत्व का असली उदाहरण था।
एक छोटे से इशारे में, पीएम मोदी ने पूरी दुनिया को बताया:
- हर चमकते सितारे के पीछे कोई अनदेखा नायक होता है।
- भारत सिर्फ प्रतिभा नहीं, उसे सींचने वालों का भी सम्मान करता है।
- हमारा भविष्य विनम्रता और परंपरा में निहित होना चाहिए।
- यही है वो भारत, जिसे मोदी जी बनाना चाहते हैं।
जहाँ प्रगति के साथ संस्कृति चलती है,
जहाँ तकनीक के साथ परंपरा जुड़ी होती है,
जहाँ नेतृत्व का मतलब है—अपने मूल को नहीं भूलना।
🧡 इसलिए कहते हैं—‘मोदी है तो मुमकिन है’
क्योंकि सिर्फ वही नेता…
- …जो संघर्ष से निकला हो,
…जिसने बलिदान को नज़दीक से देखा हो,
…जो जानता हो कि सच्ची महानता विनम्र होती है…
…वही एक माँ को बेटे से पहले सम्मान दे सकता है।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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