काँग्रेस मुस्लिम लीग का नया रूप
भारत के स्वतंत्र होने के बाद भी असली आज़ादी हम भारतीयों को नहीं मिली। सत्ता के गलियारों में बैठी कांग्रेस पार्टी ने खुद को भारतीय स्वतंत्रता का वारिस घोषित कर लिया और यह भ्रम फैलाया कि जो कुछ भी हुआ, वही “राष्ट्रहित” था। लेकिन सच्चाई यह है कि कांग्रेस मुस्लिम लीग की सोच से प्रभावित कांग्रेस का हर बड़ा निर्णय और हर बड़ा कानून एक ही दिशा में झुका हुआ था — हिंदुओं की कीमत पर मुस्लिम तुष्टिकरण और वोट बैंक राजनीति।
1. कांग्रेस और “सलाहकारों” की असलियत
गांधी परिवार के इतिहास को देखें तो यह साफ हो जाता है कि उनके राजनीतिक सलाहकार हमेशा मुस्लिम रहे। क्या यह संयोग है? नहीं — यह सुनियोजित रणनीति है।
- इंदिरा गांधी – मोहम्मद यूनुस
- सोनिया गांधी – अहमद पटेल
- प्रियंका गांधी – इमरान मसूद
क्या वजह है कि हर बार “विश्वासपात्र” किसी हिंदू को नहीं, बल्कि मुस्लिम को चुना गया? यह वही सोच है जिसने कांग्रेस को धीरे-धीरे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से मुस्लिम लीग 2.0 में बदल दिया।
2. आज़ादी के बाद का कांग्रेस का “ब्लूप्रिंट“
कांग्रेस का असली चेहरा उन कानूनों और नीतियों से सामने आता है जिन्हें उसने लागू किया:
- 1950 – अनुच्छेद 370: जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देकर भारत को भीतर से कमजोर करने की नींव रखी गई।
- 1951 – जनसंख्या नियंत्रण कानून से मुस्लिम छूट: परिवार नियोजन को हिंदुओं पर थोप दिया गया, लेकिन मुस्लिम समाज को छूट देकर जनसंख्या असंतुलन की नींव डाली गई।
- 1985 – शाहबानो केस: सुप्रीम कोर्ट का आदेश कांग्रेस सरकार ने पलट दिया, सिर्फ इसलिए कि मुस्लिम कट्टरपंथी नाराज़ न हों। हिंदू समाज के अधिकारों की कोई परवाह नहीं।
- 1991 – वक्फ एक्ट: मुस्लिम वक्फ बोर्ड को असीमित संपत्ति अधिकार दिए गए, जबकि हिंदू मंदिरों की संपत्ति पर सरकारी कब्जा कर लिया गया।
- 2006 – सच्चर कमेटी: कांग्रेस ने मुस्लिमों के लिए “विशेष पैकेज” लाया, जबकि हिंदुओं के लिए गरीबी और भेदभाव की अनदेखी की गई।
- 2009 – RTE एक्ट (Right to Education): हिंदू स्कूलों पर 25% मुफ्त कोटा थोप दिया गया, लेकिन मदरसों और अल्पसंख्यक संस्थाओं को छूट दे दी गई।
हर कानून, हर नीति का मकसद सिर्फ एक ही था — मुस्लिम appeasement।
3. कांग्रेस का असली चरित्र = मुस्लिम लीग की छाया
आज अगर आप कांग्रेस की नीतियों को गौर से देखें, तो यह पार्टी बिल्कुल मुस्लिम लीग की तरह दिखती है।
- मुस्लिम समाज को विशेषाधिकार और “सुपीरियर नागरिक” का दर्जा।
- हिंदू समाज को दोषी ठहराना, दबाना और उसकी धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करना।
- हिंदू मंदिरों, संस्कृत और परंपराओं को “सांप्रदायिक” बताना।
- “भारत” की जगह “भारत की एक सेक्युलर प्रयोगशाला” का झूठ फैलाना।
असल में कांग्रेस भारत को भारत नहीं रहने देना चाहती थी। वह इसे “इस्लामिक वर्ल्ड ऑर्डर” की तरफ धकेल रही थी।
4. अगर कांग्रेस का शासन चलता रहता…
अगर आज तक कांग्रेस की सत्ता बरकरार रहती, तो
- देश की अधिकांश नीतियाँ शरिया–फ्रेंडली हो चुकी होतीं।
- हिंदुओं के मंदिर पूरी तरह सरकार के अधीन और उनकी संपत्ति लुट चुकी होती।
- जनसंख्या असंतुलन और बढ़कर कई राज्यों को मुस्लिम-बहुल बना चुका होता।
- CAA, NRC जैसे राष्ट्रहित कानून कभी नहीं आते।
- भारत धीरे-धीरे पाकिस्तान के रास्ते पर बढ़ चुका होता।
5. असली स्वतंत्रता — 2014
भारत को असली मुक्ति 2014 में मिली, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक राष्ट्रवादी सरकार सत्ता में आई।
- 370 हटाया गया, कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा बना।
- CAA लाया गया, ताकि विभाजन के शिकार हिंदू सुरक्षित भारत में जी सकें।
- ट्रिपल तलाक खत्म किया गया, जिससे मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिला।
- मंदिरों की पुनर्स्थापना और सांस्कृतिक गौरव का पुनर्जागरण शुरू हुआ।
- जनसंख्या नियंत्रण और समान नागरिक संहिता पर चर्चा शुरू हुई।
यही वजह है कि 2014 को असली “स्वतंत्रता वर्ष” कहा जा सकता है।
6. संदेश स्पष्ट है
कांग्रेस अब एक पार्टी नहीं है, बल्कि मुस्लिम लीग की बची हुई शाखा है।
- उनका हर निर्णय मुस्लिम वोट बैंक के लिए है।
- उनका हर कानून हिंदू समाज को कमजोर करता है।
- उनका हर “सलाहकार” इस्लामी एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए चुना जाता है।
भारत को अब तय करना होगा कि वह फिर से गुलामी की जंजीरों में बंधना चाहता है या सनातन गौरव और राष्ट्रीय स्वतंत्रता की राह पर आगे बढ़ना चाहता है।
निष्कर्ष
यह कोई संयोग नहीं — यह सुनियोजित साज़िश थी ।
- आज हमें स्पष्ट रूप से पहचानना होगा कि कौन भारत को मजबूत राष्ट्र बनाना चाहता है और कौन इसे फिर से इस्लामिक प्रयोगशाला में बदलना चाहता है।
भारत जाग चुका है — अब हिंदुओं को भी जागना होगा।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
पुराने ब्लॉग्स के लिए कृपया हमारी वेबसाईट www.saveindia108.in पर जाएं।
👉Join Our Channels👈