सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में “मुस्लिम वक्फ बोर्ड बनाम जिंदल ग्रुप एंड अदर्स” केस में ऐसा निर्णय दिया है जो देश के भविष्य और न्याय प्रणाली में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
मामला क्या था?
राजस्थान सरकार ने 2010 में जिंदल ग्रुप को खनन के लिए एक जमीन आवंटित की। इस जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि यह उनकी संपत्ति है। इस पर मामला राजस्थान हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
वक्फ बोर्ड का दावा क्यों खारिज हुआ?
वक्फ बोर्ड 1965 और 1995 के अपने सर्वेक्षण के आधार पर इस जमीन को वक्फ संपत्ति बता रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ एक्ट, 1995 की धारा 3(R) का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि:
1.वक्फ संपत्ति वही मानी जाएगी जो दान, धार्मिक उपयोग, या कानूनी ग्रांट से आई हो।
2.केवल सर्वे रिकॉर्ड में चढ़ा होना पर्याप्त नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि 1947 से पहले की संपत्तियों के कागजात मान्य नहीं होंगे और वक्फ बोर्ड को प्रत्येक संपत्ति का कानूनी प्रमाण देना होगा।
फैसले का महत्व:
इस ऐतिहासिक फैसले से देशभर में वक्फ बोर्ड द्वारा कब्जा की गई जमीनों पर पुनर्विचार हो सकेगा। यदि वक्फ बोर्ड कागजात नहीं दिखा पाता, तो:
जमीन मूल मालिक को लौटाई जाएगी।
अगर मालिक नहीं है, तो वह जमीन “शत्रु संपत्ति अधिनियम, 2017” के तहत सरकार के अधीन आ जाएगी।
क्या करें?
अगर आपके क्षेत्र में कोई ऐसी संपत्ति है जो गलत तरीके से वक्फ बोर्ड के नाम दर्ज है, तो इस फैसले का हवाला देकर संबंधित प्राधिकरण को सूचित करें। जागरूकता फैलाना भी आपका दायित्व है।
ध्यान दें:
1947 में विभाजन के समय पाकिस्तान को पहले ही 10 लाख वर्ग किलोमीटर जमीन दी जा चुकी थी। आज भारत में वक्फ बोर्ड के पास कथित रूप से इसी के बराबर जमीन है।
इस पोस्ट को साझा कर राष्ट्रहित में अपना योगदान दें।
जय मातृभूमि!
अधिक ब्लॉग्स के लिए कृपया www.saveindia108.in पर जाएं। हमारे व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें: https://chat.whatsapp.com/HxGZvlycYPlFvBO17O3eGW