स्वर्ग की करेंसी: सच्ची धन की पहचान
✨ एक सपना… जो सच्चाई से भी बड़ा है
कल रात मैंने एक सपना देखा…
- मेरी मृत्यु हो गई थी।
- अचानक शरीर छोड़ देने के बाद, एक शांति सी महसूस हो रही थी — न कोई चिंता, न कोई दर्द। मैं जैसे किसी नए लोक में प्रवेश कर गया।
- अचानक एक प्रकाशमान आकृति सामने आई — यमदूत। उन्होंने विनम्रता से कहा, “आपका समय हो चुका है। कृपया चलिए।”
- मैं घबराया… लेकिन फिर उन्होंने आश्वासन दिया, “आपने जीवन में कुछ अच्छे कर्म किए हैं, इसलिए आपको स्वर्ग ले जाया जा रहा है।”
🏰 स्वर्ग का द्वार और देवराज इंद्र का स्वागत
- स्वर्ग के द्वार पर मुझे एक दिव्य आलोक में लिपटा हुआ देवराज इंद्र दिखाई दिए।
- उन्होंने मुस्कराकर मेरा स्वागत किया और मेरी पीठ पर टंगी एक भारी बैग की ओर इशारा करते हुए पूछा –
“क्या लाए हो?” - मैंने गर्व से कहा —
“मेरी ज़िंदगी की पूरी कमाई – पाँच करोड़ रुपये!” - उन्होंने मेरी ओर करुणा से देखा और कहा —
“इसे उस लॉकर BRP-16011966 में रख दो।” - मैंने संतोषपूर्वक वो बैग जमा कर दिया।
🛍️ स्वर्गीय बाज़ार और पहला झटका
- कमरे में थोड़ा विश्राम कर मैं निकल पड़ा — देवलोक की मार्केटमें।
- जो दृश्य वहाँ देखा, वह मेरी कल्पना से परे था — चमत्कारी औषधियाँ, अद्भुत वस्त्र, प्रकाशमान रत्न, दिव्य संगीत, निर्मल सुगंध…
- मैंने कुछ सामान पसंद किया और गर्व से ₹2000 के नोट काउंटर पर रख दिए।
- काउंटरवाले देव ने मुस्कुराकर कहा:
“यह करेंसी यहाँ नहीं चलती।” - मैं चौंक गया। “क्या मतलब?”
😟 वास्तविकता का बोध: एक कड़वा सत्य
- मैं सीधा देवराज इंद्र के पास दौड़ा और कहा –
“मेरे जीवनभर की कमाई का कोई मूल्य नहीं?” - उन्होंने गंभीर स्वर में कहा –
**”मृत्युलोक की दौलत स्वर्गलोक में नहीं चलती।
यहाँ तो केवल एक ही करेंसी चलती है —
‘पुण्य’ (Good Karma)। - यहाँ जमशेद टाटा के 55,000 करोड़ पड़े हैं,
बिरला जी के अरबों रुपये,
अंबानी जी के डॉलर भी…
लेकिन ये सब ‘रद्दी’ बन चुके हैं।”
📿 तो क्या चलता है वहाँ…?
- “यदि तुमने किसी भूखे को खाना दिया,
- किसी बेसहारा की मदद की,
- किसी अनाथ को पढ़ाया,
- किसी दुखी को मुस्कुराया,
- किसी असहाय लड़की की शादी करवाई,
- किसी बुज़ुर्ग को सहारा दिया,
- या सेवा, दया और भक्ति के काम किए —
तो वह पुण्य यहाँ ‘स्वर्गीय करेंसी’ में बदल जाता है।
तब तुम्हें मिलता है – ‘Credit Card of Good Karma’,
जिससे तुम यहाँ का हर सुख भोग सकते हो।”
😢 पछतावा और प्रार्थना
मैं फूट-फूट कर रोने लगा —
**”हे प्रभु! मैंने क्या किया?
- मैंने माँ-बाप की सेवा छोड़ दी,
- पत्नी को अकेला छोड़ दिया,
- बच्चों को समय नहीं दिया,
- रिश्तों को तोड़ा,
- मित्रों से दूर रहा —
- बस एक ही रट – पैसा, पैसा, पैसा…
अब जब यहाँ आया…
तो वो सब कुछ ‘व्यर्थ’ साबित हो गया।”
- मैंने इंद्र से करुणा भरी प्रार्थना की –
“एक बार फिर मौका दीजिए,
मैं वह दौलत कमाना चाहता हूँ जो यहाँ काम आए!” - इंद्र ने दया की दृष्टि से देखा और कहा –
“तथास्तु।”
🌅 नींद खुली… और आत्मा जागी
- मेरी आँखें खुलीं,
शरीर बिस्तर पर था,
लेकिन मन और आत्मा किसी नए यथार्थ में प्रवेश कर चुकी थी।
अब मैं जान चुका था —
✅ यह जीवन अवसर है
✅ पैसा जरूरी है, लेकिन पुण्य उससे अधिक मूल्यवान है
✅ असली दौलत वो है जो मृत्यु के पार भी साथ जाती है
📿 अब मेरा संकल्प है…
☑ माँ-बाप की सेवा करूँगा
☑ जरूरतमंदों की मदद करूँगा
☑ गरीब बच्चों को शिक्षित करूँगा
☑ दीन-दुखियों की दुआएँ कमाऊँगा
☑ धर्म, भक्ति और सेवा के कार्य करूँगा
☑ और वह दौलत जरूर कमाऊँगा — जो स्वर्ग में भी चलेगी।
🌟 आपके लिए प्रश्न:
- क्या आप भी सिर्फ वही दौलत कमा रहे हैं जो मृत्यु के साथ छूट जाएगी?
- या वह भी, जो मृत्यु के बाद भी आपके साथ चलेगी?
वक़्त अभी भी है। जागिए। समझिए। और वो करेंसी कमाइए जो वास्तव में अनमोल है।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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