1. प्रस्तावना: डर का झूठा कारोबार
भारत में कुछ खुद को “लिबरल” और “बुद्धिजीवी” कहने वाले पत्रकार, नेता और कार्यकर्ता हमेशा एक ही बात दोहराते रहते हैं —
👉 “भारत में मुसलमान डरे हुए हैं!”
- ये वही लोग हैं जो आलीशान घरों में रहते हैं, विदेशी फंड से पलते हैं और सोशल मीडिया पर डर का व्यापार करते हैं।
 - लेकिन विडंबना देखिए — जिन्हें भारत में “फासीवाद” दिखता है, वे यहीं की आज़ादी, सुरक्षा और लोकतंत्र का पूरा लाभउठाते हैं।
 - अब उनके लिए खुशखबरी है — तालिबान ने दरवाज़े खोल दिए हैं!
 
2. तालिबान का “शानदार ऑफर”
- अफगानिस्तान का तालिबानी शासन, जहाँ शरीयत कानून चलता है, लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध है और अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न होता है — अब भारत के “डरे हुए” लोगों को बुला रहा है!
 - जो भारत में “असहिष्णुता” की रट लगाते हैं, अब वहां जाकर खालिस इस्लामी स्वर्ग का अनुभव ले सकते हैं।
 - वहाँ न “मोदी”, न “हिंदू राष्ट्र”, न “सांप्रदायिकता” — बस शरीयत की मिठास और जन्नत का सुकून!
 - जो लोग भारत में “फासिस्ट” चिल्लाते हैं, उनके लिए अफगानिस्तान का तालिबान शासन वाकई लोकतंत्र का आदर्श उदाहरणहोगा!
 
3. लिबरल विरोधाभास: ट्विटर पर बहादुरी, आतंक पर चुप्पी
- ये तथाकथित “बुद्धिजीवी” जो दिन-रात सनातन धर्म को गालियां देते हैं, कभी तालिबान, ईरान या पाकिस्तान के इस्लामी अत्याचारों पर एक शब्द नहीं बोलते।
 - उनकी “हिम्मत” सिर्फ भारत में ही चलती है क्योंकि हिंदू सहिष्णु हैं — यहाँ कोई फतवा नहीं, कोई सार्वजनिक फांसी नहीं, कोई धमकी नहीं।
 
इनकी असली चाल है —
- जब हिंदू मंदिर बचाते हैं → “सांप्रदायिकता”
 - जब मुसलमान दंगे करते हैं → “दबे-कुचले की प्रतिक्रिया”
 - जब मोदी जीतते हैं → “लोकतंत्र खतरे में”
 - जब तालिबान आता है → “संस्कृति की स्वतंत्रता”
 
यही मिथ्या-नैरेटिव और तुष्टिकरण की राजनीतिभारत को अंदर से कमजोर करती है।
4. असल सच्चाई: सुरक्षा और स्वतंत्रता का झूठा रोना
- मोदी सरकार के शासन में भारत ने सभी नागरिकों को बराबरी, सुरक्षा और विकास के अवसर दिए हैं — चाहे वह किसी भी धर्म का हो।
 - फिर भी कुछ मीडिया और विपक्षी दल जानबूझकर “डर का माहौल” बनाते हैं ताकि मुसलमानों को भावनात्मक कैदी और हिंदुओं को दोषी बनाया जा सके।
 
अगर भारत सच में मुसलमानों के लिए “असुरक्षित” होता तो:
मुस्लिम आबादी लगातार क्यों बढ़ रही है?
- हजारों मुसलमान सेना, पुलिस, न्यायपालिका और नौकरशाही में क्यों हैं?
 - देश में मुस्लिम राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश क्यों हुए?
 - जवाब साफ़ है — “डर” असली नहीं है, यह राजनीतिक व्यापार है।
 
5. ठगबंधन और तुष्टिकरण की राजनीति
- “भारत में असहिष्णुता” का राग किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि ठगबंधन की संयुक्त स्क्रिप्ट है
 - कांग्रेस, लेफ्ट और कुछ क्षेत्रीय दलों की वह टोली जो केवल मुस्लिम वोटबैंकके लिए देशहित से समझौता करती रही है।
 
इन्होंने कभी मुसलमानों को आगे नहीं बढ़ाया, बल्कि:
- मदरसा संस्कृति को बढ़ावा दिया,
 - तीन तलाक़ जैसी प्रथाओं का बचाव किया,
 - CAA और UCC जैसी सुधार योजनाओं का विरोध किया।
 
असल में इन्हें डर है — मुसलमान अगर जागरूक हुए तो इनका वोटबैंक खत्म हो जाएगा।
6. जिहादी तंत्र: सड़क से सोशल मीडिया तक
- “इस्लामोफोबिया” का झूठ फैलाने वाले कभी जिहाद या आतंकवाद की निंदा नहीं करते।
 - दिल्ली दंगों से लेकर केरल के कट्टरपंथ तक — हर जगह यही साज़िश दिखती है कि कट्टरता को नागरिक अधिकारों के नाम पर वैध ठहराया जाए।
 
यह पूरा नेटवर्क तीन स्तंभों पर चलता है:
- सोशल मीडिया पर हिंदू-विरोधी नैरेटिव फैलाने वाले अकाउंट,
 - विदेशी फंड से चलने वाले NGO,
 - और लेफ्ट विचारधारा से प्रेरित शिक्षाविद्।
 
यह मानसिक युद्ध बंदूक से नहीं, बल्कि विचारों और झूठ से भारत को तोड़ने की कोशिश है।
7. हिंदू जागरण: सहिष्णुता का अर्थ कमजोरी नहीं
- सदियों तक हिंदुओं ने आक्रमण, उत्पीड़न और धर्मांतरण का सामना किया, फिर भी किसी और के धर्म को नष्ट नहीं किया।
 - आज वही सहिष्णुता हिंदुओं के खिलाफ हथियार बन रही है।
 
अब समय है एकता और आत्मविश्वास से जवाब देने का —
- जाति और क्षेत्र से ऊपर उठकर हिंदू एकता बनाएं,
 - सोशल मीडिया पर झूठे प्रचार का प्रतिकार करें,
 - राष्ट्रवादी शासन का समर्थन करें जो भारत की अखंडता की रक्षा कर रहा है।
 
सहिष्णु होना कमजोरी नहीं है; यह धर्म का बल है।
8. “डरे हुए” लोगों के लिए सच्चा संदेश
- जो लोग मोदी के भारत में “डर” महसूस करते हैं — वे चाहें तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान या ईरान चले जाएं।
 - वहाँ मिलेगा शरीयत का पूरा स्वाद, और असली “स्वतंत्रता”!
 - लेकिन भारत को बदनाम करना बंद करें —
वही भारत जिसने आपको आवाज़, अधिकार और सुरक्षा दी है। 
देश को अब ढोंगी बुद्धिजीवियों की नहीं, सच्चे देशभक्तों की ज़रूरत है।
🔱 संदेश
- “जो लोग भारत को असहिष्णु कहते हैं, उन्हें एक बार उन देशों में जाकर देखना चाहिए जिन्हें वे पूजते हैं — तभी उन्हें असली आज़ादी का अर्थ समझ आएगा।”
 
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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