एक नदी से जुड़े जलाशय में तीन मछलियां—अन्निका, प्रत्यु और वात्सल्या—रहती थीं। उनके स्वभाव अलग-अलग थे।
- अन्निका संकट के संकेत मिलते ही समाधान ढूंढती थी और तुरंत कार्रवाई करती थी।
- प्रत्यु सोचती थी कि जब संकट आएगा, तभी कुछ किया जाएगा।
- वात्सल्या पूरी तरह भाग्य के भरोसे थी और मानती थी कि जो होना है, वह होकर रहेगा।
संकट की आहट
एक दिन कुछ मछुआरे नदी में मछलियां पकड़ रहे थे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। तभी उन्होंने देखा कि झाड़ियों के ऊपर मछलीखोर पक्षियों के झुंड जा रहे थे, जिनकी चोंच में मछलियां थीं। इससे उन्होंने अनुमान लगाया कि झाड़ियों के पीछे कोई बड़ा जलाशय होगा। जब वे वहां पहुंचे तो बड़ी संख्या में मछलियों को देखकर प्रसन्न हुए और तय किया कि अगली सुबह वहां जाल डालेंगे।
मछलियों की प्रतिक्रिया
तीनों मछलियों ने मछुआरों की बात सुनी।
- अन्निका ने तुरंत निर्णय लिया कि संकट को टालना ही समझदारी है। वह जलाशय छोड़कर नदी की ओर चली गई और सुरक्षित हो गई।
- प्रत्यु ने सोचा कि मछुआरे शायद न आएं, शायद उनका कार्यक्रम रद्द हो जाए, इसलिए उसने इंतजार करने का फैसला किया।
- वात्सल्या ने सोचा कि जो होना है, वह होगा। उसने भाग्य के भरोसे बैठने का निर्णय लिया।
मछुआरों का आगमन और परिणाम
अगली सुबह मछुआरे आए और जाल डाल दिए।
- प्रत्यु ने संकट में फंसने के बाद बुद्धि का प्रयोग किया। उसने एक मरे हुए ऊदबिलाव की लाश से खुद को ढक लिया और जाल में फंसने के बावजूद मरी हुई मछली बनकर पड़ी रही। मछुआरे ने उसे बदबूदार समझकर वापस जलाशय में फेंक दिया, जिससे उसकी जान बच गई।
- वात्सल्या, जो केवल भाग्य के भरोसे थी, जाल में फंस गई और अन्य मछलियों के साथ पकड़ी गई। अंत में, जब संकट आया, तो वह पूरी तरह असहाय थी और उसने तड़प-तड़पकर प्राण त्याग दिए।
यह कहानी आज भारत में हिंदुओं की स्थिति को दर्शाती है
आज हिंदू समाज ठीक तीन मछलियों की तरह विभाजित है:
1. अन्निका की तरह जागरूक हिंदू
कुछ हिंदू समाज में ऐसे हैं जो समय रहते खतरे को पहचानते हैं, सही पक्ष का समर्थन करते हैं, संगठन बनाते हैं और ठोस कदम उठाते हैं। ये वे लोग हैं जो हिंदू समाज और राष्ट्र की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं।
- ये लोग धर्मांतरण, लव जिहाद, कट्टरपंथी ताकतों के षड्यंत्रों, मीडिया की हिंदू विरोधी प्रोपेगेंडा और राजनीतिक षड्यंत्रों को समझते हैं।
- वे यह भी समझते हैं कि अगर हिंदू समाज संगठित और सक्रिय नहीं हुआ, तो आने वाले वर्षों में उनकी संस्कृति, धर्म और अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
- ये लोग BJP और अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों को समर्थन देते हैं, ताकि हिंदुओं की रक्षा के लिए बनी सरकार मजबूत हो और आवश्यक कार्य कर सके।
2. प्रत्यु की तरह निष्क्रिय और भ्रमित हिंदू
भारत में बड़ी संख्या में हिंदू ऐसे हैं जो समस्या को समझते तो हैं लेकिन उसे टालते रहते हैं। वे अपने दायित्वों से बचने के लिए खुद को भ्रम में रखते हैं।
- व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी वाले हिंदू: ये लोग दिन-रात हिंदू विरोधी घटनाओं पर मैसेज शेयर करते रहते हैं लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं करते।
- आशावादी हिंदू: ये सोचते हैं कि शायद चीजें खुद-ब-खुद ठीक हो जाएंगी, शायद कोई बड़ा आंदोलन होगा और हिंदू समाज बच जाएगा, लेकिन ये लोग खुद कोई योगदान नहीं देते।
- सरकार को दोष देने वाले हिंदू: ये लोग चाहते हैं कि बिना उनकी भागीदारी के ही सरकार उनके लिए सब कुछ कर दे। लेकिन जब कोई समस्या आती है, तो वे BJP और हिंदुत्ववादी संगठनों की आलोचना करने लगते हैं, यह भूल जाते हैं कि सरकार अकेले सब कुछ नहीं कर सकती।
3. वात्सल्या की तरह भाग्यवादी हिंदू
भारत में बहुत से हिंदू ऐसे हैं जो पूरी तरह भाग्य के भरोसे बैठे हैं।
- “भगवान सब देख रहे हैं” कहने वाले हिंदू: ये लोग सोचते हैं कि भगवान खुद आकर हिंदुओं की रक्षा करेंगे, जबकि हिंदू समाज खुद निष्क्रिय बैठा रहता है।
- “जो होना है, वह होगा” सोच रखने वाले हिंदू: ये लोग मानते हैं कि हिंदू समाज का पतन उनकी किस्मत में लिखा है, इसलिए कोई कोशिश करने का फायदा नहीं।
- “कुछ भी करने से कुछ नहीं होगा” सोचने वाले हिंदू: ये लोग अगर कोई हिंदू संगठन या सरकार हिंदुओं के लिए कुछ करती भी है, तो उसकी आलोचना करते हैं और हतोत्साहित करते हैं।
- ये वही हिंदू हैं जो सबसे ज्यादा नुकसान उठाते हैं, क्योंकि जब संकट आता है, तब वे सबसे असहाय होते हैं, और फिर उनके पास कोई उपाय नहीं बचता।
आज हिंदू समाज और सरकार का संकट
- BJP सरकार पहली सरकार है जो हिंदुओं के पक्ष में खड़ी है, लेकिन अधिकांश हिंदू इसे पूर्ण समर्थन देने के बजाय केवल शिकायतें करते रहते हैं।
- हिंदू समाज जागरूक और संगठित नहीं है, इसलिए कट्टरपंथी ताकतें, विपक्षी दल और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं मिलकर इसे कमजोर करने की साजिशें रचती रहती हैं।
- छह दशकों के कांग्रेस शासन ने जो गड़बड़ियां कीं, उन्हें सुधारने में समय लगेगा।
- अगर हिंदू समाज सक्रिय नहीं होगा और BJP सरकार को पूर्ण समर्थन नहीं देगा, तो भारत में हिंदू समाज की स्थिति और खराब होगी।
सीख (Moral of the Story)
✅ समय पर सही निर्णय लेना ही अस्तित्व बचा सकता है। अन्निका ने खतरे को भांपकर तुरंत निर्णय लिया और सुरक्षित हो गई।
✅ सिर्फ जानकारी इकट्ठा करने से कुछ नहीं होता, संकट में ठोस कदम उठाने होते हैं। प्रत्यु ने अंतिम समय में अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और बच गई, लेकिन यह एक जोखिम भरा तरीका था।
✅ भाग्य के भरोसे बैठे रहने वाले नष्ट हो जाते हैं। वात्सल्या की तरह जो हिंदू निष्क्रिय हैं, वे सबसे ज्यादा नुकसान उठाएंगे।
✅ हमें हिंदू एकता और राष्ट्रहित के लिए सक्रिय होकर कार्य करना होगा। सिर्फ सरकार पर निर्भर रहने से कुछ नहीं होगा, हमें भी संगठित होकर, सही पक्ष का समर्थन कर, हिंदू समाज को मजबूत बनाना होगा।
हिंदुओं को क्या करना चाहिए?
- BJP और हिंदुत्ववादी संगठनों को पूर्ण समर्थन दें।
- हिंदू समाज को संगठित करें और जमीनी स्तर पर काम करें।
- सोशल मीडिया पर केवल चर्चा न करें, बल्कि ठोस कदम उठाएं।
- धर्मांतरण, लव जिहाद, हिंदू विरोधी षड्यंत्रों के खिलाफ एकजुट होकर कार्य करें।
- हिंदू युवाओं को शिक्षित करें और राष्ट्रवादी विचारधारा से जोड़ें।
समय आ गया है कि हम सब अन्निका बनें!
अगर आज भी हिंदू समाज जागरूक और संगठित नहीं हुआ, तो हम वात्सल्या की तरह विनाश का शिकार हो जाएंगे। अब समय आ गया है कि हम हिंदू एकता के लिए आगे बढ़ें, संगठित हों और सरकार को पूर्ण समर्थन दें, तभी हिंदू समाज और भारत का भविष्य सुरक्षित रहेगा।
🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम🇳🇪