भारत आज जिस मुकाम पर खड़ा है, वहाँ उसे केवल बाहरी दुश्मनों से ही नहीं, बल्कि अंदर बैठे गद्दारों से भी सबसे बड़ा ख़तरा है। देश में आज विपक्षी गठबंधन, जिसे जनता ठगबंधन कहती है, अपनी राजनीतिक पराजयों और लगातार होती हार से इतना हताश हो चुका है कि किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करने के लिए अराजकता और अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहा है। नेपाल और बांग्लादेश की राजनीतिक उथल-पुथल ने ठगबंधन को यह भ्रम दे दिया कि भारत में भी इसी तरह का माहौल बनाया जा सकता है। यही कारण है कि इनके नेताओं में कोई मलेशिया जाकर “कोचिंग” लेता है, कोई विदेशी NGOs से फंडिंग जुटाता है और कोई मंचों से खुलेआम मोदी सरकार को हटाने की धमकी देता है। लेकिन यह भूल जाते हैं कि यह वही भारत है, जहाँ प्रधानमंत्री मोदी और हमारी सेना हर परिस्थिति का तोड़ रखते हैं। यही है असली सच — ठगबंधन की साज़िशें और मोदी टीम की रणनीति, जिसने हर बार राष्ट्रविरोधी प्रयासों को नाकाम किया है।
🟥 ठगबंधन की चालें और अराजक प्रयास
- शाहीनबाग आंदोलन – इसे “लोकतांत्रिक विरोध” के नाम पर प्रस्तुत किया गया, जबकि असलियत यह थी कि विदेशी NGOs और विपक्षी दलों ने मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति के लिए इस आंदोलन को खड़ा किया। यहाँ भारत विरोधी नारे लगे और देश को बदनाम करने की कोशिश हुई।
- किसान आंदोलन – किसानों की genuine समस्याओं को हाईजैक कर लिया गया। खालिस्तानी तत्व, विदेशी एजेंसियाँ और विपक्षी दल इसमें कूद पड़े। लाल क़िले पर झंडा फहराना, हिंसा फैलाना और आर्थिक नुक़सान पहुँचाना इसका असली चेहरा था।
- अन्य आंदोलन (लौरा आंदोलन, लेसुन आंदोलन आदि) – अलग-अलग नामों से समय-समय पर अराजकता फैलाने की कोशिश हुई, लेकिन हर बार जनता ने इन्हें पहचान लिया और मोदी सरकार ने सटीक रणनीति बनाकर इन्हें असफल कर दिया।
👉 यह साफ़ है कि ठगबंधन और इनके समर्थक NGOs/विदेशी ताक़तें जनता के मुद्दों को केवल बहाने की तरह इस्तेमाल करते हैं। असली मक़सद है – भारत को अस्थिर करना और सत्ता हथियाना।
🟩 मोदी टीम की रणनीतिक और संवैधानिक ताक़त
- प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम को विपक्ष ने हमेशा कम आंकने की कोशिश की, लेकिन सच यह है कि मोदी टीम की रणनीति ही इन सबकी विफलता का कारण है।
- मोदी सरकार हर आंदोलन को पहले संवाद और चर्चा से हल करने की कोशिश करती है।
- जब यह प्रयास विफल हो जाता है और आंदोलन हिंसा या अराजकता का रूप ले लेता है, तब कानून और संविधान के दायरे में सख़्त कदम उठाए जाते हैं।
- यही कारण है कि शाहीनबाग, किसान आंदोलन और बाकी सारे प्रयास पूर्ण असफल हुए और सरकार और भी मज़बूत होकर निकली।
विपक्ष यह भूल गया है कि मोदी सरकार और भारत की सेनाएँ वही हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर मात्र 21 मिनट में जीत लिया था। जब देश की सुरक्षा की बात आती है तो यह टीम दुश्मनों को कभी भी खुला मैदान नहीं देती।
🟨 कब ज़रूरी होती है सख़्ती?
- लोकतंत्र का आधार है संवाद और शांति। लेकिन जब:
- आंदोलनकारी केवल विदेशी ताक़तों के इशारे पर हिंसा फैलाएँ,
- अराजकता से जनता की सुरक्षा और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाएँ,
- और बार-बार संवाद का अवसर ठुकराकर राष्ट्रविरोधी एजेंडा चलाएँ…
- तो सरकार का कर्तव्य है कि सख़्त कार्रवाई करे।
👉 यह सख़्ती किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि देश की एकता, सुरक्षा और संप्रभुता के लिए होती है।
👉 यह कदम संविधान, क़ानून और न्याय के दायरे में उठाए जाते हैं ताकि निर्दोष नागरिक सुरक्षित रहें और गद्दार तत्वों को सबक मिले।
🟦 नागरिकों की भूमिका
- भारत के नागरिकों को भी इस पूरे खेल को समझना होगा।
- हमें हर झूठे नैरेटिव, अफवाह और प्रोपेगैंडा से बचना होगा।
- हमें समझना होगा कि ठगबंधन और विदेशी NGOs सिर्फ़ अपने स्वार्थ और सत्ता के लिए देश को दाँव पर लगाते हैं।
- हमें अपनी आवाज़ मोदी सरकार और देशहित में मज़बूती से उठानी होगी।
सामाजिक स्तर पर हर नागरिक को सजग रहकर ऐसे अराजक प्रयासों का पर्दाफ़ाश करना होगा।
⚔️ निष्कर्ष — भारत सजग है, भारत मज़बूत है
ठगबंधन चाहे जितनी भी चालें चले, विदेशी NGOs चाहे जितनी भी साज़िश करें, भारत आज पहले से कहीं अधिक मज़बूत है। मोदी टीम के नेतृत्व में:
- लोकतंत्र की जड़ें और गहरी हुई हैं,
- संविधान की रक्षा और मजबूत हुई है,
- और देश की सुरक्षा अडिग खड़ी है।
भारत अछूता नहीं है, लेकिन भारत आज सजग और सक्षम है।
मोदी सरकार हर पैटर्न, हर साज़िश और हर षड्यंत्र का तोड़ ढूँढने में माहिर है।
जहाँ विरोधियों की सोच खत्म होती है, वहीं से मोदी टीम की सोच शुरू होती है।
👉 इसलिए चाहे ठगबंधन हो, विदेशी NGO नेटवर्क हो, या अराजक ताक़तें — सभी को समझ लेना चाहिए कि भारत को अस्थिर करने का उनका सपना कभी पूरा नहीं होगा।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
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