TRF पर अमेरिका का फैसला
🎯 1. TRF क्या है? और यह किसका मोहरा है?
- The Resistance Front (TRF) को 2019 में लश्कर–ए–तैयबा (LeT) और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI द्वारा खड़ा किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य था:
- जम्मू-कश्मीर में आतंक को स्थानीय आंदोलन जैसा दिखाना।
- कश्मीर में आतंकी गतिविधियों की वैधता गढ़ना।
- वैश्विक मंच पर यह दिखाना कि भारत “अल्पसंख्यकों के खिलाफ दमन” कर रहा है।
- असल में TRF, लश्कर की रीब्रांडिंग है — ताकि अंतरराष्ट्रीय बैन के बावजूद नए नाम से आतंक फैलाया जा सके।
🩸 2. TRF का क्रूर इतिहास — भारत के लिए कितना घातक?
- हिंदुओं की टारगेटेड हत्याएं, विशेषकर कश्मीर में रह रहे सरकारी कर्मचारियों और पंडित समुदाय पर हमले।
- सेना और CRPF के काफिलों पर IED अटैक।
- कश्मीरी मुस्लिम युवाओं को भड़काकर उन्हें “स्थानीय आतंकी“ की पहचान देना — ताकि पाकिस्तान को दोष न लगे।
- PFI, ISI और अन्य कट्टरपंथी संगठनों से फंडिंग और मीडिया प्रोपेगेंडा चलाना।
🕵🏻♂️ 3. पाकिस्तान की भूमिका — एक ‘आतंकी पालक राष्ट्र’
- TRF जैसे संगठनों को ISI ट्रेनिंग, पैसे और हथियार उपलब्ध कराता है।
- पाकिस्तान में खुलेआम TRF के मॉड्यूल तैयार किए जाते हैं।
- Rawalpindi, Muzaffarabad, Bahawalpur में इनकी बैठकें होती हैं।
- पाकिस्तान के जनरल TRF जैसे संगठनों को “freedom fighters” बता कर वैश्विक समुदाय को गुमराह करते हैं।
💵 अमेरिका की पाखंडी नीति — आतंक का गॉडफादर?
1. पाकिस्तान को सैन्य मदद देना:
- जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर और अन्य सैन्य कार्रवाइयों से पाकिस्तान को दबाया — उसी समय अमेरिका ने पाकिस्तान को $450 मिलियन का सैन्य पैकेज दिया।
- ये पैसा सीधे-सीधे आतंकवाद को फंडिंग करने जैसा है।
2. ISI के जनरल को अमेरिका बुलाना:
- पाकिस्तानी सेना का शीर्ष अधिकारी मुल्ला मुनीर, जो TRF और अन्य आतंकी मॉड्यूल का संरक्षक है — उसे अमेरिका ने State Guest बना दिया।
- वह राष्ट्रपति की डिनर टेबल पर बैठा — क्या ये आतंकवाद का परोक्ष सम्मान नहीं है?
3. TRF को आतंकी घोषित करने का समय? क्यों अब?
- वर्षों से भारत कहता रहा कि TRF लश्कर का ही नया नाम है।
- जब भारत ने कूटनीतिक दबाव, सैन्य कार्रवाई और वैश्विक मंचों पर TRF के खिलाफ प्रमाण दिए, तभी अमेरिका को “बैन” करने की याद आई?
- अब TRF को आतंकी घोषित करना एक “Damage Control Exercise” है — न कि वास्तविक प्रतिबद्धता।
🧠 इतिहास गवाह है — अमेरिका आतंक के साथ दोहरी चालें चलता रहा है
- अफगानिस्तान में पहले तालिबान को हथियार दिए, फिर उन्हें ‘आतंकी’ बता कर हमले किए।
- सीरिया और इराक में ISIS के खिलाफ बमबारी की, लेकिन उन्हीं को सीक्रेट हथियार सप्लाई होती रही।
- पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के नाम पर अरबों डॉलर दिए, जबकि उसी फंड से भारत पर हमले करवाए गए।
🇮🇳 भारत अब खेल समझ गया है — और भारत अब रुकने वाला नहीं
- Modi Doctrine भारत की विदेश नीति को अब आत्मनिर्भर और निर्णायक बना चुकी है।
- सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक ने बता दिया कि भारत को अब किसी की “इजाजत” नहीं चाहिए।
- भारत अब आतंक के खिलाफ प्रॉक्सी वार नहीं लड़ रहा — सीधे दुश्मन के घर में घुसकर कार्रवाई कर रहा है।
⚔️ भारत का स्पष्ट संदेश: शब्द नहीं, कर्म देखेंगे
- ❝ अमेरिका अगर भारत का सच्चा मित्र है तो उसे पाकिस्तान की आतंक नीति के हर पक्ष को सार्वजनिक रूप से नंगा करना होगा — केवल TRF पर बैन लगाकर नहीं, बल्कि पाकिस्तान को ‘State Sponsor of Terrorism’ घोषित करके। ❞
अब दुनिया को भारत के दृष्टिकोण से देखना होगा, अमेरिका के नहीं
- अमेरिका की “terror-then-ban” पॉलिसी अब उजागर हो चुकी है।
- भारत पश्चिमी approval पर निर्भर नहीं, बल्कि अपने हितों पर केंद्रित नीति अपना रहा है।
- पाकिस्तान और उसके पाले हुए आतंकी अब किसी वैश्विक मंच की दया पर नहीं — भारत की सर्जिकल नीति पर टिके हैं।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮
पुराने मेसेजेस के लिए कृपया हमारी वेबसाईट www.saveindia108.in पर जाएं।
👉Join Our Channels👈