उज्जैन ताजिया कांड
🔥 क्या हुआ उज्जैन में?
31 जुलाई 2025, उज्जैन, मध्यप्रदेश —
शहर में निकाला जा रहा एक मुस्लिम ताजिया जुलूस अचानक अपने निर्धारित रूट को तोड़ता है और एक हिंदू मंदिर की ओर आगे बढ़ने की कोशिश करता है।
▪️ पुलिस द्वारा बनाई गई बैरिकेडिंग को उग्र भीड़ तोड़ती है।
▪️ लाउडस्पीकर, नारेबाज़ी और भारी भीड़ मंदिर की ओर बढ़ती है।
▪️ स्थिति तनावपूर्ण हो जाती है — लेकिन पुलिस सख्त कार्रवाई करती है और भीड़ को पीछे हटने पर मजबूर कर देती है।
💡 यह मध्य प्रदेश है — जहां मुख्यमंत्री मोहन यादव किसी तुष्टिकरण की राजनीति के पक्षधर नहीं हैं।
👉 लेकिन ये कहानी वहीं खत्म नहीं होती…
🧠 ये घटना सिर्फ कानून-व्यवस्था की नहीं — सोच की लड़ाई है
यह घटना कट्टरपंथी मानसिकता की प्रतीक है — जिसमें:
- ताजिया के बहाने हिंदू क्षेत्रों में घुसपैठ करना,
- मंदिरों के सामने शक्ति प्रदर्शन करना,
- जानबूझकर उत्तेजक नारे लगाना,
- और जब प्रतिक्रिया हो, तो खुद को “अल्पसंख्यक पीड़ित” बताना।
👉 यह एक सोची–समझी रणनीति है: “ताजिया के बहाने परीक्षण करना कि हिंदू कितना सहन करता है और पुलिस कितनी सख्ती दिखाती है।”
🚨 क्या केवल सरकार का कर्तव्य है धर्म की रक्षा?
❌ नहीं।
- भारत में कई घटनाएं यह स्पष्ट कर चुकी हैं कि:
- मुस्लिम समुदाय अपनी सुरक्षा व्यवस्था खुद बनाता है।
- वे किसी भी मुद्दे पर संगठित होकर एक स्वर में प्रतिक्रिया देते हैं।
- उनकी हर मस्जिद और मदरसे के पास सामूहिक शक्ति और फंडिंग की व्यवस्था होती है।
🟥 लेकिन हिंदू?
- मंदिरों की सुरक्षा के लिए न कोई समिति, न फंड, न निगरानी।
- कथा मंच, मूर्तियों की स्थापना, धार्मिक यात्राएं — सबकुछ बिना सुरक्षा रणनीति के।
हर बात के लिए सरकार पर ही निर्भर रहता है।
🛕 ताजिया जुलूस और मंदिर टकराव: एक पैटर्न बनता जा रहा है
✅ रामनवमी या दुर्गा विसर्जन में दंगा होता है।
✅ कावड़ यात्रा में पत्थरबाज़ी होती है।
✅ होलिका दहन में मस्जिद से आपत्ति आती है।
✅ रथ यात्रा के रूट पर अड़चनें आती हैं।
अब तो ये एक रणनीति बन गई है: “हिंदू त्योहारों और मंदिरों के आसपास तनाव पैदा करो — और जब हिंदू प्रतिक्रिया दे, तो ‘अल्पसंख्यकों पर अत्याचार‘ का नैरेटिव फैलाओ।”
📢 सोशल मीडिया और सेकुलर गिरोह की भूमिका
- उज्जैन में जब पुलिस ने सख्ती दिखाई — तो कुछ वामपंथी पत्रकारों और सेक्युलर एक्टिविस्ट्स ने इसे “मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला” कहा।
👉 लेकिन जब हिंदू मूर्तियों पर हमला होता है, तब ये सब चुप रहते हैं।
👉 जब कांवड़ियों पर पत्थर चलते हैं, तब कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं होती।
🧱 समाधान क्या है? सिर्फ सरकार बदलने से नहीं — समाज को बदलना होगा
✅ हर मंदिर के लिए “धर्म सुरक्षा समिति” बनाएं:
– CCTV, स्वयंसेवक, आपातकालीन नंबर, कानूनी टीम
✅ युवाओं को प्रशिक्षित करें:
– वैदिक और आधुनिक रणनीतिक शिक्षा दें
– धर्म पर हमले के विरुद्ध कानूनी जवाब की तैयारी
✅ “एक मंदिर, एक सैनिक” सिद्धांत लागू करें:
– हर हिंदू मंदिर के लिए स्थानीय युवाओं की सुरक्षा समिति
– नियमित संवाद, ड्रिल, संगठित उपस्थिति
✅ धर्म और राजनीति का विवेकपूर्ण मिलन जरूरी है:
– जब तक राजनीति में धर्मनिरपेक्षता का मतलब “हिंदू विरोध” रहेगा, तब तक हमें राजनीतिक रूप से भी सक्रिय होना होगा और अपनी सुरक्षा की तैयारी भी करना होगी।
🧘♂️ हिंदू समाज की सबसे बड़ी कमजोरी: निष्क्रियता
जब तक:
▪️ हम मंदिरों की रक्षा खुद नहीं करेंगे,
▪️ हम कथा, पूजा, धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा नहीं सोचेंगे,
▪️ हम सिर्फ सोशल मीडिया पर “जय श्री राम” तक सीमित रहेंगे…
…तब तक जिहादी मानसिकता वाले तत्व इसी तरह हमारी सीमाओं की परीक्षा लेते रहेंगे।
अब देर नहीं — धर्म रक्षा के लिए तैयार हो जाइए
📛 यह ताजिया उज्जैन में था — कल आपके शहर, गांव, मोहल्ले में हो सकता है।
📛 पुलिस और सरकार सीमित हैं — पर हिंदू समाज की शक्ति अनंत है, यदि वह जागे।
🛡 हिंदू जागेगा तो ही सनातन बचेगा।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम
🕉 जय श्री राम • जय भारत • जय सनातन धर्म
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