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जिहाद और आतंकवाद के विरुद्ध एकजुटता

वैश्विक संकट: जिहाद, आतंकवाद और जनसांख्यिकीय आक्रमण के विरुद्ध एकजुट हों

आज पूरी दुनिया — यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया — एक भयावह संकट की ओर बढ़ रही है। यह संकट है इस्लामिक जिहाद, आतंकवाद, कट्टरपंथ और जनसंख्या विस्फोट का, जो वैश्विक शांति और मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है।

लेकिन इससे भी बड़ी विडंबना यह है कि जिन देशों को यह संकट सबसे अधिक नुकसान पहुँचा रहा है, वही देश इन जिहादियों और आतंकियों को सहायता दे रहे हैं — आर्थिक सहायता, हथियार, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर राजनीतिक समर्थन।

🇪🇺 पश्चिमी देश अपने ही भीतर से खोखले हो रहे हैं

आज फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन जैसे देश:

  • आंतरिक आतंकवाद और अलगाववादी मानसिकता से जूझ रहे हैं।
  • कट्टर इस्लामिक प्रवासियों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे मूल संस्कृति, कानून और सामाजिक ढांचा खतरे में है।
  • नोगोजोन, शरिया कानून की मांग, और जातीय गेटो इन देशों में आम हो गए हैं।
  • लेकिन इन देशों की सरकारें राजनीतिक सहीता (Political Correctness) और वोटबैंक की राजनीति में उलझ कर आंखें मूंदे बैठी हैं।

यह तुष्टिकरण नहीं, अब सांस्कृतिक आत्महत्या बन चुका है।

🧠 जिहादी मानसिकता का निर्माण: मदरसे और मस्जिदें बन गईं आतंक की फैक्ट्रियाँ

गरीब इस्लामिक देशों में बच्चों को:

  • सिखाया जा रहा है कि काफिरोंको मारना अल्लाह को प्रसन्न करता है।
  • जन्नत और 72 हूरों का सपना दिखाकर जिहाद के लिए तैयार किया जा रहा है।
  • उन्हें धन, शोहरत और स्वर्ग का लालच देकर मौत के लिए तैयार किया जा रहा है।

मदरसे और मस्जिदें न केवल यह विचार फैला रही हैं, बल्कि कई जगहों पर हथियार, विस्फोटक और आतंकी नेटवर्क भी छिपा रही हैं।

💣 विसंगति की पराकाष्ठा: जो सबसे ज्यादा पीड़ित हैं, वही आतंक को पाल रहे हैं!

⚠️ आज जिन देशों को जिहाद और आतंकवाद से सबसे अधिक खतरा है, वही देश इन ताकतों को आर्थिक सहायता और सैन्य उपकरण बेच रहे हैं सिर्फ व्यापारिक लाभ के लिए।

  • पाकिस्तान, तुर्की, ईरान जैसे आतंक प्रायोजक देशों को हथियार और डॉलर भेजे जाते हैं।
  • वहीं भारत और इज़राइल जैसे देश, जो आतंक से जूझ रहे हैं, उनके खिलाफ UN में निंदा प्रस्ताव लाए जाते हैं, उन्हें “संयम” की सलाह दी जाती है।

यह नीति मात्र पाखंड नहीं, सभ्यता का आत्मघात है।

🇮🇳🇮🇱 भारत और इज़राइल: आतंक के विरुद्ध अग्रिम मोर्चे पर

भारत और इज़राइल:

  • सीमा पार और आंतरिक आतंकवाद का शिकार हैं।
  • फिर भी बिना किसी अंतरराष्ट्रीय समर्थन के साहसपूर्वक लड़ रहे हैं।
  • लेकिन वैश्विक समुदाय इनके साथ खड़ा होने के बजाय उन्हें ही कठघरे में खड़ा कर देता है।

क्या यह न्याय है?

🔥 सिर्फ आतंकियों को मारना समाधान नहीं पूरे तंत्र को खत्म करना होगा

जब तक मदरसे, मस्जिदें और कट्टरपंथी संस्थाएं चलती रहेंगी, आतंकी बनते रहेंगे।

आतंक के उत्पादन को जड़ से खत्म करना होगा।

दो स्तरों पर समाधान जरूरी है:

आतंकी तंत्र का विनाश करें

  • कट्टरपंथी मदरसों और मस्जिदों को बंद करें।
  • इन संस्थाओं को मिलने वाली विदेशी फंडिंग पर रोक लगाएँ।
  • आतंक प्रायोजक देशों पर कड़ी आर्थिक और सैन्य कार्रवाई करें।

शांति प्रिय मुसलमानों को सशक्त करें

  • मानवता आधारित इस्लाम, जैसा कि UAE जैसे देशों में देखा जाता है, को बढ़ावा दें।
  • मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथ से निकालकर सच्चे इस्लाम और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की शिक्षा दें।
  • उन्हें आधुनिक शिक्षा, रोजगार और आर्थिक उन्नति के अवसर उपलब्ध पराए जाना चाहिए। 

🤝 अब समय है वैश्विक जागरूकता और एकजुटता का

यह समस्या अब सिर्फ भारत या इज़राइल की नहीं रही।
यह अब मानव सभ्यता के अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है।

वैश्विक समुदाय को चाहिए कि:

  • राजनीतिक स्वार्थ और व्यापारिक लालच से ऊपर उठकर सच्चाई के साथ खड़ा हो।
  • पाकिस्तान और अन्य आतंक समर्थक देशों को तुरंत सहायता देना बंद करें।
  • भारत और इज़राइल के साथ मिलकर वैश्विक आतंकवाद विरोधी गठबंधन बनाएं।
  • शांति प्रिय मुसलमानों को साथ लेकर कट्टरपंथ को खत्म करें।

अब भी न चेते, तो विनाश निश्चित है

🔔 आखिर कब तक वैश्विक समुदाय खुद को झूठी उम्मीदों से बहलाता रहेगा और धरती माता को कट्टरपंथ और आतंक की आग में जलने देगा?

यदि अभी भी दुनिया:

  • सच्चाई को स्वीकार नहीं करती,
  • भारत और इज़राइल का साथ नहीं देती,
  • और आतंक की जड़ों को नष्ट नहीं करती…

तो आने वाली पीढ़ियाँ शांति, स्वतंत्रता और सभ्यता को इतिहास की किताबों में ही पढ़ेंगी।

अब या कभी नहीं।
भारत और इज़राइल के साथ खड़े हों।
जिहाद और आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकें।

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳

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