प्रस्तावना
- सनातन धर्म केवल एक धर्म नहीं है, यह एक जीवन पद्धति और शाश्वत सभ्यता है जिसने हज़ारों वर्षों के आक्रमणों और षड्यंत्रों के बावजूद स्वयं को जीवित रखा है।
अन्य मज़हब तलवार, छल और जबरन धर्मांतरण से फैले, जबकि सनातन धर्म ज्ञान, करुणा और सत्य से पनपा।- इसका मूल सिद्धांत है वसुधैव कुटुम्बकम – समस्त विश्व एक परिवार है।
- लेकिन यही उदारता हमारे शत्रुओं द्वारा शोषण का माध्यम बनी। मुगलों और अंग्रेज़ों से लेकर कांग्रेस, वामपंथियों और आज के ठगबन्धन तक, सनातन समाज को तोड़ने, कमजोर करने और मिटाने की कोशिश लगातार जारी रही।
- आज की जंग केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और डिजिटल भी है – जातिवाद, फर्जी नैरेटिव और वोटबैंक की राजनीति के ज़रिए।
यह लेख इन साजिशों को उजागर करता है और हर सनातनी को जागरूक होकर कृष्णनीति अपनाने का आह्वान करता है।
1. सनातन धर्म का शाश्वत सत्य
- केवल सनातन धर्म ही सच्चे अर्थों में वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करता है।
- अन्य मत भले ही एकता की बात करते हों, लेकिन उनका अभ्यास केवल वर्चस्व और विस्तार का रहा है।
- हज़ारों वर्षों की हिंसा, जबरन धर्मांतरण और सांस्कृतिक आक्रमणों के बावजूद सनातन धर्म आज भी जीवित है क्योंकि यह छल पर नहीं, सत्य पर आधारित है।
2. ब्राह्मणों को निशाना क्यों बनाया गया?
- ब्राह्मण वे थे जिन्होंने वेद, शास्त्र और गुरुकुल परंपरा को सुरक्षित रखा।
- इसलिए आक्रमणकारियों की पहली साजिश रही कि ब्राह्मणों को तोड़ा और बदनाम किया जाए।
- गुरुकुल जलाए गए, धर्मग्रंथों को नष्ट या विकृत किया गया, और ब्राह्मणों को जातिवाद का दोषी ठहराया गया।
- जबकि वास्तविकता यह थी कि सनातन समाज 36 व्यवसायिक दायित्वों (36 बिरादरी) पर आधारित था, न कि कठोर जाति-व्यवस्था पर।
असली मकसद था – ब्राह्मण गिरे तो धर्म स्वतः गिर जाएगा।
3. नेहरू की सनातन विरोधी साजिश
जवाहरलाल नेहरू ने, वामपंथ और मुस्लिम तुष्टिकरण से प्रेरित होकर, सुनियोजित तरीके से हिन्दुओं को उनकी धार्मिक शक्ति से वंचित किया।
- अनुच्छेद 28 के तहत सरकारी स्कूलों में धार्मिक शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया गया – इसका असर केवल हिन्दुओं पर पड़ा, जबकि अल्पसंख्यकों को अपने स्कूलों में धार्मिक शिक्षा देने की छूट रही।
- 1951 में नेहरू ने मंदिर दान अधिनियम बनाकर हिन्दू मंदिरों की आय पर कब्ज़ा कर लिया।
- इस आय का उपयोग हिन्दू गुरुकुल या संस्थानों के बजाय मुसलमानों और ईसाइयों के धार्मिक संस्थानों को मज़बूत करने में किया गया।
- यह सब हिन्दुओं को हमेशा कमजोर और असंगठित बनाए रखने की गहरी चाल थी।
4. अन्य मज़हबों के धार्मिक अगुआ और हिन्दुओं की विडंबना
- मुसलमानों के पास मौलवी होते हैं, जो घर-घर जाकर धार्मिक शिक्षा और नमाज़ की ट्रेनिंग देते हैं।
- ईसाइयों के पास पादरी और वेटिकन का संगठित ढांचा है।
- बौद्धों के पास भिक्षु और जैनियों के पास आचार्य हैं।
- लेकिन केवल सनातन हिन्दुओं के गुरुओं, आचार्यों और ब्राह्मणों को समाज में बदनाम और निशाना बनाया जाता है।
कारण साफ है: अगर हिन्दू नेतृत्व टूटेगा तो पूरा समाज बिखर जाएगा।
5. कांग्रेस और ठगबन्धन की जातिवादी राजनीति
कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों ने दशकों तक हिन्दुओं को जाति के नाम पर तोड़ने की राजनीति की।
- झूठा इतिहास गढ़ा गया कि जातिवाद ब्राह्मणों ने बनाया।
- आज सोशल मीडिया पर फर्जी हिन्दू अकाउंट्स बनाए जाते हैं जो हिन्दू नाम से जातीय जहर फैलाते हैं:
> “ब्राह्मण बनाम दलित”
> “राजपूत बनाम मराठा”
> “ओबीसी बनाम सवर्ण”
- मकसद यही कि हिन्दू आपस में लड़ते रहें और वोटों में बंट जाएं।
- इसी बीच मुसलमान वोट-बैंक एकजुट होकर कांग्रेस और ठगबन्धन को जीताता है।
6. मुस्लिम वोट–बैंक की रणनीति
- हर चुनाव में मुसलमान बिना बंटे एकतरफा वोट करते हैं, चाहे उम्मीदवार कैसा भी हो।
- उनकी यह रणनीति 15-20% आबादी होते हुए भी राजनीति पर प्रभाव डालती है।
- दूसरी ओर हिन्दू जातियों में बंटकर वोट करते हैं और अपनी ही शक्ति खो देते हैं।
- कांग्रेस का फॉर्मूला हमेशा रहा है: हिन्दुओं को बांटो + मुसलमानों को जोड़ो = सत्ता में वापसी।
7. हिन्दू एकता का नया संकल्प
- आज समय आ गया है कि हिन्दू पहचानें: हम पहले हिन्दू हैं, जाति बाद में।
- चाहे ब्राह्मण हों, राजपूत, मराठा, दलित या ओबीसी – हमारी जड़, परंपरा और देवता एक हैं।
- अगर हम आपस में लड़ते रहे तो भारत का हाल अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसा होगा जहाँ हिन्दुओं का सफाया हो गया।
- अगर हम एकजुट हुए तो भारत फिर से विश्वगुरु बनेगा।
8. कृष्णनीति की आवश्यकता
- केवल अहिंसा और सहनशीलता अब कारगर नहीं।
- शत्रु केवल शक्ति को समझता है, कमजोरी को नहीं।
- श्रीकृष्ण की नीति अपनानी होगी:
> साम (मनाना)
> दाम (संसाधन देना)
> दंड (सज़ा देना)
> भेद (शत्रु में फूट डालना)
> छल (रणनीतिक धोका)
- हिन्दुओं को अपने धर्मग्रंथ पढ़ने के साथ आत्मरक्षा और शस्त्र प्रशिक्षण भी लेना चाहिए।
- आरएसएस, वीएचपी, बजरंग दल, अखाड़ा परिषद, ISKCON, ब्रह्मकुमारी जैसे संगठन एकजुट होकर न केवल राजनीति में सहयोग करें बल्कि समाज को जमीनी स्तर पर रक्षा के लिए तैयार करें।
9. सनातनियों के लिए अंतिम संदेश
- सोशल मीडिया पर फैल रहे फर्जी नैरेटिव्स से सावधान रहें।
- जाति के नाम पर फूट डालने वाले एजेंडों का विरोध करें।
- वोटों में बंटने से बचें और एकजुट होकर केवल प्रो–सनातन उम्मीदवारों को समर्थन दें।
- जैसे मुसलमान वोट-बैंक बनकर कांग्रेस को जिताते हैं, वैसे ही हिन्दुओं को एकजुट वोटिंग करनी होगी।
हिन्दू एकता ही हमारे अस्तित्व और भविष्य की गारंटी है।
निष्कर्ष
- आज की लड़ाई आधुनिक महाभारत से कम नहीं है। जिस तरह कौरव छल से पांडवों को कमजोर करना चाहते थे, वैसे ही कांग्रेस, वामपंथी और जिहादी ताकतें हिन्दुओं को जाति और फर्जी नैरेटिव्स से कमजोर करना चाहती हैं।
- लेकिन यदि हिन्दू एकजुट होकर कृष्णनीति अपनाएं और वोट रणनीतिक रूप से करें, तो एक बार फिर धर्म की विजय सुनिश्चित होगी।
- भारत का भविष्य है विश्वगुरु बनना। लेकिन इसके लिए हिन्दुओं को यह समझना होगा कि हमारी असली ताकत हमारी एकता में है, विभाजन में नहीं।
🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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