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विभाजन के बाद कांग्रेस

विभाजन के बाद से कांग्रेस – एक ऐतिहासिक धोखे की सच्ची गवाही

विभाजन के बाद से कांग्रेस

“जो राष्ट्र अपना इतिहास भूल जाता है, वह बार-बार वही गलतियां दोहराता है।” 1947 में भारत स्वतंत्र तो हुआ, लेकिन विभाजन के बाद से कांग्रेस पार्टी ने ऐसी नीतियों को अपनाया जो अक्सर राष्ट्रहित के विपरीत रही हैं। सत्ता में आते ही कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ और वोटबैंक की राजनीति को प्राथमिकता दी, जिससे देश की सांस्कृतिक पहचान, हिंदू समाज और राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ा। दशकों तक कांग्रेस का एकछत्र शासन रहा, लेकिन उस काल में तुष्टिकरण, अल्पसंख्यक वोटबैंक और इतिहास के साथ छेड़छाड़ जैसी प्रवृत्तियाँ उभरकर सामने आईं। विभाजन के बाद से कांग्रेस की नीतियों ने भारत की अस्मिता को कमजोर करने का काम किया, जो आज भी कई स्तरों पर महसूस किया जा सकता है।

आइए देखें कैसे कांग्रेस का इतिहास भारत माता के साथ गद्दारी की श्रृंखला रहा है:

1. ⚖️ हिंदुओं के अधिकारों की कीमत पर मुस्लिम तुष्टीकरण

कांग्रेस ने मुस्लिम तुष्टीकरण को नीतिगत आधार बना लिया — जिससे बहुसंख्यक हिंदू समाज के साथ बार-बार अन्याय हुआ।

🔹 विभाजन की शर्म और राजनीति:

देश का विभाजन धार्मिक आधार पर हुआ, लेकिन कांग्रेस ने कभी हिंदुओं को “बहुसंख्यक अधिकारों” के रूप में नहीं पहचाना।

  • विभाजन के समय लाखों हिंदुओं की हत्या, बलात्कार और पलायन हुआ — पर कोई न्याय, कोई राष्ट्रीय स्मृति नहीं।🔹 शाह बानो केस (1985):
  • सुप्रीम कोर्ट ने एक वृद्ध मुस्लिम महिला को तलाक के बाद भरण-पोषण देने का आदेश दिया।
  • राजीव गांधी सरकार ने इस फैसले को मुल्ला लॉबी के दबाव में पलट दिया, और मुस्लिम महिला अधिनियम लाकर भारतीय संविधान के ऊपर शरिया को स्थापित कर दिया।

वक्फ बोर्ड को विशेष शक्तियाँ:

  • कांग्रेस सरकारों ने वक्फ बोर्ड को 6 लाख एकड़ से अधिक भूमि का मालिक बना दिया, जबकि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में रखा गया।

कश्मीरी हिंदू नरसंहार (1990):

  • इस्लामी आतंकवादियों द्वारा 4 लाख कश्मीरी पंडितों का पलायन — लेकिन कांग्रेस की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं, कोई पुनर्वास नहीं।

2006 का सच्चर आयोग:

  • कांग्रेस ने सिर्फ मुस्लिमों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सच्चर समिति बनाई — लेकिन गरीब दलितों, पिछड़ों और हिंदुओं के लिए कोई विशेष योजना नहीं।

2. 💸 भ्रष्टाचार की परंपरा भारत की आत्मा की खुली बिक्री

कांग्रेस शासन काल में भ्रष्टाचार व्यवस्था का हिस्सा बन गया।

बोफोर्स घोटाला (1986):

  • रक्षा सौदों में घोटाले से भारत की छवि खराब हुई। इसमें राजीव गांधी का नाम भी आया, लेकिन जांच को दबा दिया गया।

2G स्पेक्ट्रम घोटाला (2008):

  • ₹1.76 लाख करोड़ का नुकसान। यह दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक घोटालों में से एक माना गया।

कोल ब्लॉक घोटाला (2012):

  • कोयला खदानों का आवंटन बिना नीलामी के — ₹1.86 लाख करोड़ का घोटाला।

नेशनल हेराल्ड घोटाला:

  • सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कांग्रेस फंड से अरबों की संपत्ति पर कब्जा कर लिया — मामला अब भी कोर्ट में है।

3. 🛕 सनातन धर्म का दमन, पाश्चात्य अपसंस्कृति का महिमामंडन

कांग्रेस ने सुनियोजित तरीके से भारत की आध्यात्मिक परंपराओं, मंदिरों और संस्कृति को निशाना बनाया।

मंदिरों का सरकारी नियंत्रण:

  • दक्षिण भारत और महाराष्ट्र के हजारों मंदिरों पर कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों की सरकारों ने कब्जा कर रखा है।
  • मंदिरों की आय सरकारी योजनाओं या अल्पसंख्यक संस्थाओं में खर्च होती है, लेकिन मस्जिदों-चर्चों को कोई छू नहीं सकता।

शिक्षा प्रणाली में विकृति:

  • स्कूलों की किताबों में आर्य, वेद, उपनिषद, गीता और हिंदू वैज्ञानिक उपलब्धियों को या तो नजरअंदाज किया गया या मज़ाक बनाया गया।
  • अकबर-अशोक-औरंगजेब जैसे आक्रमणकारियों को “महान” बताने की परंपरा कांग्रेस शासन में बनी।

🔹 राम सेतु केस (2007):

l  कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा — “राम का कोई ऐतिहासिक अस्तित्व नहीं है।”

4. 🔥 हिंदुत्व को बदनाम करना, आतंकियों को संरक्षण देना

कांग्रेस की “छद्म धर्मनिरपेक्षता” हिंदू संगठनों को बदनाम करने और कट्टरपंथियों को बचाने की नीति बन गई।

भगवा आतंक का झूठा नैरेटिव (2007–2013):

  • यूपीए सरकार ने साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद और आरएसएस को मालेगांव और समझौता विस्फोट में फंसाया।
  • सालों बाद सब बरी हो गए, लेकिन कांग्रेस ने कभी माफी नहीं मांगी।

बटला हाउस एनकाउंटर:

  • आतंकियों से मुठभेड़ में मारे गए पुलिस अधिकारी मोहन चंद्र शर्मा को शहीद मानने के बजाय कांग्रेस नेताओं ने मुठभेड़ को “फर्ज़ी” कहा।

रोहिंग्या-बांग्लादेशी घुसपैठियों के समर्थन में:

  • कांग्रेस नेताओं ने सीएए और एनआरसी का विरोध किया, लेकिन इस्लामी घुसपैठियों के लिए समर्थन माँगा, जिनसे देश की सुरक्षा और जनसंख्या संतुलन को खतरा है।

अब और नहीं

📜 यह सिर्फ आलोचना नहीं — चेतावनी है

  • कांग्रेस पार्टी ने बार-बार सिद्ध किया है कि उनका लक्ष्य भारत नहीं, सत्ता और वंशवाद है।
  • अब यह सिर्फ चुनावी संघर्ष नहीं — यह एक सभ्यतागत युद्ध है।
    हमें अपने धर्म, संस्कृति और भारत माता की रक्षा के लिए एकजुट होना ही होगा।

🔥 अब यही संकल्प हो:

  • अब और चुप्पी नहीं — जब सनातन का अपमान हो।
  • अब और सहन नहीं — जब तुष्टीकरण के नाम पर हमें कुचला जाए।
  • अब और धोखा नहीं — जब भारत माता को बेचा जाए।
  • सनातन उठेगा भारत जागेगा।

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳

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