आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती किसी प्राकृतिक आपदा, महामारी या जलवायु परिवर्तन की नहीं, बल्कि कट्टरपंथी जिहादी मानसिकता की है। यह विचारधारा न केवल समाजों को तोड़ रही है, बल्कि सभ्यता के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है। जो देश इस समस्या को समय पर नहीं पहचान रहे, वे धीरे-धीरे इसके जाल में फँसते जा रहे हैं।
🌍 पहले से प्रभावित देश
- भारत:
भारत दशकों से जिहादी आतंकवाद और तुष्टिकरण का शिकार है। कश्मीर से लेकर कन्वर्ज़न और लव जिहाद तक, हिंदुओं पर निरंतर हमले हो रहे हैं। जनसंख्या जिहाद और वोट बैंक की राजनीति ने स्थिति और गंभीर कर दी है। - फ्रांस:
पैगंबर कार्टून विवाद और पेरिस में हुए हमलों ने फ्रांस को हिला दिया। आज फ्रांस के कई शहरों में नो-गो ज़ोन बन चुके हैं, जहाँ फ्रांसीसी क़ानून लागू ही नहीं होता। - जर्मनी और ब्रिटेन:
यहाँ लाखों मुस्लिम शरणार्थियों और प्रवासियों के कारण जनसंख्या असंतुलन बढ़ रहा है। कट्टरपंथी नेटवर्क फल-फूल रहे हैं और समाज दो हिस्सों में बँटता जा रहा है। आतंकवादी घटनाएँ यहाँ सामान्य हो चुकी हैं। - इज़राइल:
दशकों से हमास, हिज़बुल्लाह और ईरान समर्थित जिहादी संगठनों से लड़ रहा है। इज़राइल के लिए यह संघर्ष अस्तित्व की लड़ाई है। - संयुक्त राज्य अमेरिका:
9/11 की भयावह घटना के बाद अमेरिका ने कट्टरपंथ का सामना किया। लेकिन अब भी वहाँ आंतरिक रूप से इस्लामी कट्टरता पनप रही है और नए खतरे सामने आ रहे हैं।
🌐 अन्य देशों की स्थिति
- चीन:
उइगर मुस्लिम कट्टरता और अलगाववाद को कड़ी सख्ती से दबाया। नतीजा यह है कि चीन इस समस्या से बड़े पैमाने पर सुरक्षित है। - जापान:
यहाँ मुस्लिम शरणार्थियों को प्रवेश ही नहीं दिया गया। जापान में शांति और स्थिरता का बड़ा कारण यही है। - ऑस्ट्रेलिया:
आतंकवादी गतिविधियों पर कड़े क़ानून और निगरानी ने कट्टरपंथ को नियंत्रित किया। - म्यांमार:
रोहिंग्या समस्या को सुरक्षा दृष्टिकोण से देखते हुए कठोर कदम उठाए।
❗ असली समस्या: “इग्नोर” करने की प्रवृत्ति
- यूरोप और पश्चिमी देशों का एक बड़ा वर्ग इस समस्या को स्वीकार ही नहीं कर रहा। राजनीतिक शिष्टाचार, वोट बैंक राजनीति और आर्थिक लाभ के लालच में वे उन देशों और संगठनों का समर्थन कर रहे हैं जो जिहादी नेटवर्क को फंडिंग और संरक्षण देते हैं।
- कुछ देश तो ऐसे भी हैं जो तेल और व्यापार के लिए सीधे-सीधे आतंकवाद प्रायोजक देशों के साथ खड़े हैं। यह न केवल कायरता है, बल्कि पूरे विश्व के साथ विश्वासघात भी है।
⚠️ अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो…
- यह संकट प्लेग से भी खतरनाक साबित होगा।
- यह मानव सभ्यता और लोकतंत्र को जड़ से कमजोर कर देगा।
- दुनिया भर में गृहयुद्ध जैसी स्थिति बन सकती है।
- शांति और भाईचारे की जगह भय और असुरक्षा का माहौल होगा।
✅ अब और देर नहीं
- वैश्विक स्वीकृति – सभी देशों को यह स्वीकार करना होगा कि यह इस्लामी कट्टरपंथ ही है जो दुनिया के लिए खतरा है। इसे किसी और नाम से पुकारना, या छुपाना, समस्या को और बढ़ाता है।
- सुरक्षा नीति –
> अवैध प्रवासियों और कट्टर प्रवासियों पर रोक।
> आतंकवाद प्रायोजक देशों पर कठोर आर्थिक प्रतिबंध।
> कट्टरपंथी संगठनों और फंडिंग चैनल्स पर पूर्ण निगरानी।
> सोशल मीडिया पर चल रहे ब्रेनवॉश और नफरत फैलाने वाले नेटवर्क को समाप्त करना।
- जनसंख्या संतुलन – जनसंख्या जिहाद और असंतुलित जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण।
- संयुक्त प्रयास – भारत और इज़राइल दशकों से इस संघर्ष को अकेले लड़ रहे हैं। अब अमेरिका, यूरोप और बाकी दुनिया को खुलकर इनके साथ आना होगा।
🔔 संदेश
यह लड़ाई हिंदू बनाम मुस्लिम, या पूर्व बनाम पश्चिम की नहीं है। यह लड़ाई है –
👉 सभ्यता बनाम बर्बरता
👉 शांति बनाम आतंक
👉 मानवता बनाम जिहाद
- भारत, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, इज़राइल और अमेरिका पहले से ही इसकी चपेट में हैं। लेकिन यदि अभी भी बाकी दुनिया ने आँखें मूँद लीं, तो यह आग पूरे विश्व को निगल जाएगी।
- आज चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और म्यांमार ने कठोर कदम उठाकर खुद को सुरक्षित किया है। लेकिन जो देश अब भी केवल आर्थिक लाभ के लिए आतंकवादियों और उनके प्रायोजक देशों से समझौता कर रहे हैं, वे न केवल अपने नागरिकों बल्कि पूरी मानवता को खतरे में डाल रहे हैं।
🚩 अब समय आ गया है कि दुनिया एकजुट हो, सच्चाई को स्वीकार करे, और इस खतरे को जड़ से खत्म करे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें माफ़ नहीं करेंगी।
🇮🇳 जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳
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