वक्फ संशोधन बिल हाल ही में संसद से पास हुआ है। सरकार इसे एक अहम क़दम मान रही है, लेकिन कई जानकारों का मानना है कि इससे जुड़े कई जरूरी मुद्दे अब भी अनछुए हैं। सवाल ये है—क्या ये बिल वाकई पर्याप्त है?
सुनिए ध्यान से…
वक्फ संशोधन बिल लोकसभा से पारित हो गया।
पर क्या आपने सोचा —
क्या यह वो ऐतिहासिक फैसला है जिसकी हम अपेक्षा कर रहे थे?
नहीं।
क्योंकि इस बार मोदी मजबूत नहीं, मजबूर है।
वो मोदी जिसे आपने पूरा बहुमत नहीं दिया।
400 पार की मांग सिर्फ चुनावी नारा नहीं था —
वो एक राष्ट्रवादी मिशन की बुनियाद थी।
एक संकल्प था — कि अब देश के विवादित, छुपे, और अन्यायपूर्ण कानूनों की सफाई होगी।
❌ मगर आपने क्या किया?
आपने सोचा —
चलो, मोदी को मजा चखाते हैं।
उसकी भी अकड़ निकालनी है।
थोड़ा घमंड तोड़ेंगे, थोड़ा रागद्वेष निकालेंगे।
पर असल में मज़ा आप खुद चख रहे हैं।
और अब अगले चार साल तक चखते रहेंगे।
मोदी ने क्या खोया? शायद कुछ नहीं।
लेकिन आपने क्या खोया? सब कुछ।
वो मोदी, जो बिना विवादों में पड़े,
आराम से सत्ता भोग सकता था,
या सन्यास लेकर हिमालय चला जाता…
उसने ऐसा क्यों नहीं किया?
क्योंकि उसने संकल्प लिया है – आखिरी सांस तक देश के लिए जियूंगा।
उसने कहा है –
“मुझे कुर्सी का सुख नहीं चाहिए,
राष्ट्र की रक्षा करनी है,
सनातन की गरिमा बचानी है।”
जब तुमने कमज़ोर मोदी चुना,
तो तुमने वक्फ को खत्म करने वाली ताक़त छीन ली।
अब जो बिल आया है —
वो केवल सुधार है, खात्मा नहीं।
क्यों?
क्योंकि मजबूत फैसले उठाने के लिए मजबूत जनमत चाहिए।
240 सीटों के मोदी से आप कैसे उम्मीद कर सकते हो कि वो
हर पवित्र कार्य को बिना बाधा पूरा कर सके?
सोचो अगर और कम सीटें आतीं…
तो क्या होता?
वक्फ को खत्म करने की जगह, उसे और अधिक शक्तियां दे दी जातीं।
आपके मंदिरों की ज़मीनें भी वक्फ घोषित हो जातीं।
आप कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाते रहते।
कोई सुनवाई नहीं होती।
और तब?
- जो आज मोदी को गाली दे रहे हो,
- उनके खिलाफ कुछ कहने की भी हिम्मत नहीं होती।
क्योंकि शासन भी उनका होता, और सिस्टम भी।
सच्चाई सिर्फ एक है:
- या तो तुम मोदी के लायक नहीं,
- या फिर मोदी तुम्हारे लायक नहीं।
और दोनों ही सूरत में हार सिर्फ हिंदू की है।
- तुम्हारी हार है।
- धर्म की हार है।
- संस्कृति की हार है।
- संविधान की आत्मा की हार है।
और आख़िर में…
- जब तुम अपनों को ही कमजोर करोगे,
तो शत्रु ताक़तवर हो जाएंगे। - जब तुम अपने नेता को घायल करोगे,
तो तुम्हारे धर्म की रक्षा कौन करेगा?
जब तुम्हारा भरोसा न्याय के पक्ष में नहीं होगा,
तो फिर अराजकता ही बचेगी।
अब भी समय है:
- सोचो, समझो और सीखो।
- 2029 से पहले मानसिक बदलाव लाओ।
- धर्म, देश और संस्कृति के लिए संकल्प लो।
और अगली बार मज़बूत मोदी दो — ताकि मज़बूत फैसले हो सकें।
जय भारत! जय श्रीराम!! हर हर महादेव 🚩
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