पहलगाम नरसंहार : धर्म के नाम पर 27 निर्दोष हिंदुओं की निर्मम हत्या
जम्मू-कश्मीर के शांत पहलगाम में वहशीपन की एक और बर्बर कहानी लिखी गई —
इस्लामिक आतंकवादियों ने धर्म के आधार पर 27 निर्दोष हिंदुओं की निर्मम हत्या कर दी।
इन आतंकियों ने—
- जात नहीं पूछी,
- भाषा नहीं पूछी,
- प्रदेश नहीं पूछा,
- राजनीतिक विचारधारा नहीं पूछी।
पूछा तो सिर्फ “नाम” — ताकि पता चले कि सामने वाला हिंदू है या नहीं।
अगर नाम से पहचान नहीं बनी — तो पैंट उतरवाकर खतना देखा गया।
अगर खतना नहीं हुआ — तो सीधे गोली मार दी गई।
क्या यह नरसंहार धर्म के आधार पर नहीं हुआ?
अब सवाल उठता है — क्या हम सिर्फ रोते रहेंगे, श्रद्धांजलि देते रहेंगे?
- श्रद्धांजलि ज़रूरी है —
- लेकिन यह भी सच है कि श्रद्धांजलि देने से न तो शहीदों के परिवारों का दर्द कम होगा,
- न आगे ऐसे हमले रुकेंगे।
अब ज़रूरत है एक ठोस, प्रभावी और अहिंसक प्रतिकार की।
समाधान क्या है? प्रतिहिंसा नहीं, परंतु पूर्ण सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार।
- अब वक्त आ गया है कि हम उन तत्वों का पूरी तरह से सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार करें
- जो या तो सीधे इस मानसिकता से जुड़े हैं, या जिनमें ऐसे कट्टरपंथियों को छुपाने और बढ़ावा देने की प्रवृत्ति है।
इसका अर्थ है:
- उनसे कोई सेवा न लें।
- उनके व्यापार, दुकान, होटल, टूरिज़्म या कारोबार से कोई खरीदारी न करें।
- उन्हें किसी तरह की नौकरी या सहूलियत न दें।
अपने बच्चों और महिलाओं को उनसे दूर रखें।
यह बहिष्कार सिर्फ बदला नहीं — बल्कि आत्म–सुरक्षा का उपाय है
आज अगर आप उनके ग्राहक हैं, कर्मचारी हैं या पड़ोसी हैं —
तो आप भी खतरे में हैं।
क्योंकि—
जिन्हें धर्म के नाम पर कत्ल करने में संकोच नहीं होता,
वे किसी भी नैतिक, मानवीय या संवैधानिक मर्यादा को नहीं मानते।
हमें हिंदू एकता और आत्मरक्षा के लिए संगठित होना ही होगा
जातिवाद, प्रांतवाद, भाषावाद — यही हमारी कमजोरी है, जिसे वो अपने मजहबी आतंक के लिए इस्तेमाल करते हैं।
अब वक्त है:
- हर हिंदू एकजुट हो।
- धर्म को जीवन का केंद्र बनाकर जीना सीखे।
- आत्मरक्षा के लिए संगठित तैयारी करे — कानूनी, वैचारिक और सामाजिक रूप से।
- अपने घर, परिवार और समाज को इस्लामिक कट्टरपंथ से बचाने के लिए सतर्क रहे।
न तो कोई नेता, न कोई पार्टी, न कोई NGO इन्हें रोक सकता है,
जब तक हिंदू खुद जागरूक और संगठित नहीं होता।**
यह न भूलें:
“जब आखिरी हिंदू मारा जाएगा, तब ही उनकी हिंसा रुकेगी।
इसलिए इससे पहले कि वे हमें मिटा दें, हमें जागना ही होगा।“
श्रद्धांजलि के साथ प्रतिकार का संकल्प लें
हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि
पहलगाम नरसंहार में मारे गए सभी निर्दोष हिंदू वीरों की आत्मा को शांति मिले।
लेकिन साथ ही हम प्रार्थना करते हैं कि—
- अब हिंदू समाज और जागे,
- जातिवाद, दलवाद और भाषावाद को त्यागे,
- और एक अटूट, अपराजेय हिंदू शक्ति बनकर खड़ा हो।
याद रखें — “जहां धर्म है, वहीं विजय है”
धर्म की रक्षा से ही जीवन बचेगा, समाज बचेगा, राष्ट्र बचेगा।
जय भारत, वन्देमातरम
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