परिचय:
धर्म संसद का आयोजन शांति सेवा संस्थान द्वारा पंडित देवकीनंदन ठाकुर जी के कुशल मार्गदर्शन में 16 नवंबर 2024 को नई दिल्ली में किया गया। इस महत्त्वपूर्ण आयोजन में संपूर्ण भारतवर्ष से सैकड़ों संत, जिनमें प्रमुख रूप से श्री शंकराचार्य जी भी उपस्थित थे, और लाखों हिंदू अनुयायी सम्मिलित हुए। इस धर्म संसद का प्रमुख उद्देश्य हिंदू समुदाय की चुनौतियों पर विचार करना, उनके अधिकारों की सुरक्षा, और हिंदू समाज को संगठित करने के लिए सनातन बोर्ड की स्थापना करना था। यह बोर्ड वक्फ बोर्ड के समान सुविधाएं प्रदान करने के लिए बनाया जाएगा, जिससे हिंदुओं को समान अधिकार मिलें और अन्यायपूर्ण भेदभाव समाप्त हो।
मुख्य उद्देश्य और एजेंडा:
इस धर्म संसद का मुख्य एजेंडा निम्नलिखित था:
सनातन बोर्ड की स्थापना:
सनातन बोर्ड का गठन वक्फ बोर्ड की तर्ज पर किया जाएगा, ताकि हिंदू धार्मिक स्थलों, मंदिरों, और सांस्कृतिक संस्थाओं का स्वतंत्र प्रबंधन हो सके।
हिंदुओं के लिए शिक्षा में हिंदुत्व के अध्ययन की समान अधिकार की मांग की गई, जैसे अल्पसंख्यक संस्थानों में बाइबल और कुरान का अध्ययन कराया जाता है।
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की मांग, जिससे सभी भारतीय नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू हो सके और संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना को बनाए रखा जा सके।
संवैधानिक भेदभाव और अन्याय की समाप्ति:
स्वतंत्रता के बाद के शुरुआती दशकों में कांग्रेस सरकारों द्वारा किए गए संवैधानिक संशोधनों की आलोचना की गई, जिनसे अल्पसंख्यकों को विशेष सुविधाएं देकर हिंदू बहुसंख्यक समुदाय को नुकसान पहुँचाया गया।
संतों ने कांग्रेस की वोट-बैंक राजनीति का विरोध किया, जिसने मुस्लिम समुदाय को तुष्टिकरण नीतियों के माध्यम से विशेष अधिकार दिए और हिंदुओं के अधिकारों का हनन किया।
वर्तमान मोदी सरकार के प्रयासों की सराहना की गई, जो हिंदुओं के अधिकारों की बहाली के लिए प्रयासरत है, लेकिन उसे संसद में पर्याप्त समर्थन न मिलने के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
धर्म संसद के प्रमुख मुद्दे और विचार-विमर्श:
- हिंदू जागरूकता और मानसिकता का सुधार:
संतों ने हिंदुओं की मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि:
हिंदू समाज पिछले 75 वर्षों से मुस्लिम तुष्टिकरण और भेदभावपूर्ण नीतियों को सहन कर रहा है। अब समय आ गया है कि हम इस अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों।
अगर हम इसी तरह निष्क्रिय और विभाजित रहे, तो भविष्य में भारत एक इस्लामी राष्ट्र बन सकता है, जहाँ शरिया कानून लागू हो जाएगा। यह हिंदू संस्कृति और परंपराओं के अस्तित्व के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
- सनातन बोर्ड की आवश्यकता:
सनातन बोर्ड की स्थापना का उद्देश्य हिंदुओं के धार्मिक, शैक्षणिक, और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा करना है।
बोर्ड का गठन हिंदू धार्मिक स्थलों और मंदिरों के प्रबंधन, शिक्षा में हिंदुत्व के प्रचार, और हिंदू विवाह एवं व्यक्तिगत कानूनों को सुरक्षित करने के लिए किया जाएगा।
समान नागरिक संहिता की मांग, जिससे हर नागरिक को एक समान अधिकार मिले और कानून के सामने सभी समान हों। - मोदी सरकार का समर्थन और हिंदू एकता का आह्वान:
धर्म संसद ने हिंदू समुदाय से आग्रह किया कि वे मोदी सरकार को पूरा समर्थन दें, ताकि हिंदू हितों की रक्षा के लिए किए जा रहे सुधार कार्यों में तेजी आ सके।
अयोध्या राम मंदिर, NRC, और समान नागरिक संहिता की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की गई और भविष्य में भी ऐसे कदमों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता बताई गई।
संतों ने कहा कि हिंदुओं को राजनीतिक रूप से संगठित होकर मतदान करना चाहिए और अपने वोट विभाजित नहीं करने चाहिए। - आत्मरक्षा और सुरक्षा की तैयारी:
धर्म संसद ने मुसलमानों और विपक्षी दलों द्वारा बढ़ते आतंकवाद, हिंसा, और हिंदुओं पर हमलों की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की।
हिंदुत्व संगठनों, जैसे कि RSS, VHP, बजरंग दल, को एकजुट होकर हिंदू समाज की सुरक्षा के लिए तैयार रहने का आह्वान किया गया।
संतों ने कहा कि अगर आवश्यक हो, तो हिंदू समाज को आत्मरक्षा के लिए हथियार उठाने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। - आर्थिक बहिष्कार और जिहाद का मुकाबला:
धर्म संसद ने मुसलमानों द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न प्रकार के जिहाद जैसे फूड जिहाद, मेडिकल जिहाद, मॉल जिहाद का मुकाबला करने के लिए उनके व्यवसायों का आर्थिक बहिष्कार करने का आह्वान किया।
इससे हिंदू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और जिहादी तत्वों की आर्थिक रीढ़ तोड़ने में मदद मिलेगी। - सांस्कृतिक संरक्षण और शिक्षा में सुधार:
हिंदू धर्म की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और युवा पीढ़ी को इसके महत्व से अवगत कराने के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार की मांग की गई।
स्कूलों और कॉलेजों में वेद, उपनिषद, भगवद गीता, और अन्य हिंदू ग्रंथों के अध्ययन को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव रखा गया।
भविष्य की रणनीति:
धर्म संसद ने पूरे भारत में स्वयंसेवक टास्क फोर्स गठित करने का निर्णय लिया, जो स्थानीय स्तर पर सनातन बोर्ड की गतिविधियों का समन्वय करेगा। यह टास्क फोर्स हिंदू समुदाय को संगठित करेगा और बोर्ड की मांगों को सरकार तक पहुँचाने में मदद करेगा। इसके अलावा, अगले वर्ष एक और धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सनातन बोर्ड की स्थापना और उसकी कार्यप्रणाली पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।
निष्कर्ष:
धर्म संसद का समापन इस आह्वान के साथ हुआ कि अब समय आ गया है कि हिंदू समाज जागरूक हो, संगठित हो, और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाए। हिंदुओं को अब और अधिक अन्याय सहन नहीं करना चाहिए और अपने धर्म, संस्कृति, और राष्ट्र की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
“हमारा संघर्ष तभी समाप्त होगा जब हमें संविधान के अनुरूप समान अधिकार मिलेंगे और हिंदू धर्म की रक्षा सुनिश्चित होगी।