आज का भारत एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। हिंदुत्व की लहर लगातार तेज़ हो रही है, जिससे विपक्ष और राष्ट्रविरोधी ताकतें तेजी से अपनी ज़मीन खो रही हैं। जैसे-जैसे ये शक्तियाँ कमजोर हो रही हैं, वैसे-वैसे वे हिंसा, अराजकता और सांप्रदायिक उग्रता फैलाने की कोशिश कर रही हैं। उनके पास अब कोई राजनीतिक आधार नहीं बचा है, इसलिए वे सड़कों पर उतरकर दंगे-फसाद और अशांति फैलाकर देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं।
सवाल यह है कि क्या हम तैयार हैं?
अगर हम इस षड्यंत्र को समय रहते नहीं समझे और सही कदम नहीं उठाए, तो इसकी कीमत हमें अपनी जान देकर चुकानी पड़ सकती है। अगर हम स्वयं की रक्षा के लिए तैयार नहीं हुए, तो हमारे मंदिर, हमारे त्योहार और हमारी सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में इन्हें ज़रा भी देर नहीं लगेगी।
क्या हमारी तैयारी पूरी है?
1. विपक्ष की हताशा और हिंसक रणनीति
आज जब हिंदुत्व की लहर मजबूत हो रही है, तो विपक्ष, जिहादी संगठन और टुकड़े-टुकड़े गैंग बौखलाए हुए हैं। चुनावी पराजय के बाद वे लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता पाने में विफल हो चुके हैं, इसलिए वे अब सड़कों पर अराजकता फैलाकर, हिंदुओं पर हमले करके और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देकर अपनी असली मानसिकता उजागर कर रहे हैं।
2. संगठित परिवार बनाम बिखरा हुआ हिंदू समाज
हमारे विरोधी संगठित परिवारों में रहते हैं, जहाँ 15-70 सदस्य होते हैं, जबकि हिंदू परिवारों में 3-6 सदस्य ही होते हैं। इसका सीधा प्रभाव किसी भी संघर्ष में दिखता है – अगर हमारे विरोधियों के कुछ लोग मारे भी जाएँ, तो उनकी ताकत कमजोर नहीं होती, लेकिन हिंदू परिवारों में एक भी बलिदान बड़ा झटका बन जाता है।
3. धर्म परिवर्तन बनाम आत्मरक्षा
हमारे विरोधी विचारधारा के लिए मरने-मारने तक को तैयार हैं, लेकिन हिंदू समाज बलिदान देने के बजाय धर्म परिवर्तन को आसान रास्ता मानने लगा है। गांधीवादी अहिंसा ने हमें संघर्ष और आत्मरक्षा से विमुख कर दिया है। यह मानसिकता खतरनाक है क्योंकि अगर हम आत्मरक्षा नहीं करेंगे, तो हमें मिटा दिया जाएगा।
क्या मोदी-योगी ही सब कुछ संभाल लेंगे?
नहीं! मोदी जी और उनकी टीम भारत को बचाने के लिए पूरी ताकत से संघर्ष कर रही है। वे अपने स्तर पर हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन केवल सरकार से उम्मीद रखना हमारी सबसे बड़ी भूल होगी। राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए हमें भी अपनी भूमिका निभानी होगी।
अब क्या करना होगा? समाधान की ओर बढ़ें!
1. आत्मरक्षा का प्रशिक्षण – तैयार रहना होगा!
अब समय आ गया है कि हम सिर्फ सोशल मीडिया और भाषणों में ही नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर भी अपनी सुरक्षा की तैयारी करें।
- हमें सामूहिक रूप से आत्मरक्षा का प्रशिक्षण लेना होगा।
- सामुदायिक सुरक्षा समूह बनाकर अपने क्षेत्र की रक्षा करनी होगी।
- विरोधी ताकतों को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए सक्षम बनना होगा।
2. हिंदू समाज को संगठित करना होगा
हमें अपने गली-मोहल्लों, गाँवों और शहरों में हिंदू रक्षा समूहों का गठन करना होगा। हमें यह समझना होगा कि व्यक्तिगत रूप से हम कमजोर हो सकते हैं, लेकिन संगठित होकर हम अजेय बन सकते हैं।
3. राजनीतिक, आर्थिक और शारीरिक समर्थन देना होगा
मोदी जी और राष्ट्रवादी सरकार को सिर्फ वोट देकर ही नहीं, बल्कि हर संभव तरीके से समर्थन देना होगा। चाहे वह –
- सोशल मीडिया पर सच फैलाना हो,
- स्थानीय संगठनों को मजबूत करना हो,
- या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए समर्पित संगठनों का हिस्सा बनना हो।
4. मैदान में उतरकर जवाब देना होगा
अब समय आ गया है कि अगर वे सड़कों पर उतरकर दंगे करेंगे, तो हमें भी सड़कों पर उतरकर जवाब देना होगा। हिंदू समाज को यह समझना होगा कि अगर हम मैदान में उतरकर इन्हें हराएँगे, तभी इनकी राष्ट्रविरोधी और हिंदू-विरोधी गतिविधियाँ बंद होंगी।
अब भी समय है, चेतने का समय है!
अगर हम आज भी सोते रहे, तो कल हमें जगाने वाला कोई नहीं बचेगा। हिंदुत्व की रक्षा और भारत की संप्रभुता को बचाने के लिए हमें –
- आत्मरक्षा के लिए तैयार रहना होगा।
- हिंदू समाज को संगठित करना होगा।
- राष्ट्रवादी सरकार का समर्थन करके देश-विरोधी ताकतों को हराना होगा।
- सड़कों पर उतरकर इनका मुकाबला करना होगा।
यह युद्ध सिर्फ मोदी जी, योगी जी या सेना का नहीं है। यह हम सबका युद्ध है। अगर हमें भारत को हिंदू राष्ट्र बनाए रखना है, तो हमें अपनी भूमिका निभानी होगी।
अब सवाल सिर्फ यह नहीं है कि क्या हम लड़ेंगे? सवाल यह है भी है कि हम कब जागेंगे?
🇳🇪 जय भारत, वन्देमातरम🇳🇪