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नौकरी के पीछे मत भागो

गुलामी नहीं, नेतृत्व चुनो:  नौकरी के पीछे मत भागो, अपना काम शुरू करो

🔔 एक जागरण का आह्वान

भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रीढ़ होने के बावजूद, आज हिंदू युवा एक गंभीर संकट से गुजर रहे हैं – डिग्रियाँ तो हैं, पर दिशा नहीं। ज्ञान तो है, पर गर्व और गाली के अलावा कुछ नहीं। हम सरकार को कोसते हैं, व्यवस्था को दोष देते हैं, और अपने ही भविष्य को तबाह कर रहे हैं। दूसरी ओर, हमारे मुस्लिम भाई छोटे स्तर से काम शुरू करते हैं – दर्जी, ढाबा, गाड़ियों की मरम्मत, मोबाइल दुकान, फास्ट फूड स्टॉल, छोटे पार्लर या कुरियर फ्रेंचाइज़ी। वे अपने बच्चों को व्यापार सिखाते हैं, और खुद रोजगार देने वाले बनते हैं। लेकिन हिंदू युवा अपनी डिग्री के घमंड में खाली बैठे रहते हैं – और उन्हीं से नौकरी मांगते हैं जो उनसे कहीं कम पढ़े हैं। यह सिर्फ आर्थिक संकट नहीं है – यह एक सभ्यतागत पतन है।

🔧 समाधान: हिंदू आर्थिक पुनर्जागरण की योजना

📚 1. शिक्षा प्रणाली में स्किल और व्यापारिक प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाना होगा

  • 10वीं तक: बिजली, प्लंबिंग, कंप्यूटर, डिज़ाइन, भाषा कौशल, बहीखाता और जीएसटी जैसे व्यावहारिक कौशल सिखाए जाएं।
  • 12वीं तक: विषय के अनुसार व्यवसायिक प्रशिक्षण मिले – जैसे कॉमर्स छात्र को ई-कॉमर्स स्टोर खोलना आना चाहिए।
  • कॉलेज स्तर पर: हर डिग्री के साथ स्किल ट्रेनिंग और “अपना स्टार्टअप शुरू करें” प्रोजेक्ट अनिवार्य हो।
  • मंदिरों और धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से स्किल मंदिर प्रोग्राम शुरू किए जाएं।

✳️ हर पढ़ालिखा हिंदू युवा कम से कम एक उपयोगी स्किल और एक बुनियादी व्यवसाय योजना के साथ डिग्री ले।

🔄 2. नौकरी को प्रतिष्ठा और व्यापार को शर्म मानने की मानसिकता को तोड़ें

  • स्कूलों और गुरुकुलों में श्रम की गरिमा और कर्मयोग का पाठ पढ़ाया जाए।
  • नाटकों, कहानियों और सोशल मीडिया से यह भाव फैलाया जाए कि व्यापार धर्म का कर्म है।
  • बड़े बिज़नेस आइकनों के साथ-साथ स्थानीय छोटे व्यापारियों को भी आदर्श के रूप में सामने लाया जाए।

🔥 स्वधर्मे निधनं श्रेयः” – यह गीता का संदेश है कि अपना काम छोटा हो तो भी श्रेष्ठ है।

💰 3. जरूरतमंदों के लिए फंडिंग और सहयोग की व्यवस्था हो

  • मुद्रा योजना को स्कूल-कॉलेजों, धार्मिक आयोजनों और गांवों तक पहुँचाया जाए।
  • मंदिर ट्रस्ट, संत संस्थाएं और एनआरआई हिंदू माइक्रोफाइनेंस नेटवर्क तैयार करें।
  • हिंदू क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म बनें जो युवाओं की योजनाओं में निवेश करें।
  • हर सांसद और विधायक के क्षेत्रीय कार्यालय को स्टार्टअप सहयोग केंद्र बनाया जाए।

🏛️ हिंदू युवाओं को भरोसे और समर्थन की ज़रूरत है रिजेक्शन और कागज़ों की नहीं।

🏗️ 4. सरकार मार्गदर्शक है, लेकिन हर रोजगार नहीं दे सकती

भारत में हर साल लगभग 1.5 करोड़ युवा रोज़गार की तलाश में निकलते हैं।

  • कोई सरकार या उद्योग अकेले इतने लोगों को नौकरी नहीं दे सकता।
  • लेकिन मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे, उद्योग और निवेश के ज़रिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं:
  • ₹11 लाख करोड़ का इंफ्रास्ट्रक्चर बजट
  • मेक इन इंडिया: चीन से निकलकर भारत आ रहे कई अंतरराष्ट्रीय उद्योग
  • डिजिटल इंडिया, UPI, ONDC, ग्रीन एनर्जी, डिफेंस कॉरिडोर

🔧 ये सिर्फ नौकरी के ही नहीं, व्यवसाय के अवसर हैं जो तैयार हैं उनके लिए।

🛕 क्या कर सकते हैं हमारे मंदिर और धार्मिक संस्थान?

🌟 आर्थिक धर्म के केंद्र बनें

हर बड़ा मंदिर, मठ, अखाड़ा, आश्रम शुरू करे:

  • स्किल डेवलपमेंट कैंप
  • स्मॉल बिजनेस बूटकैम्प
  • महिला उद्यमी सहायता केंद्र
  • गाँव आधारित बाजार नेटवर्क

मंदिरों के परिसर का प्रयोग शाम या सप्ताहांत में प्रशिक्षण केंद्र के रूप में हो।

संघ, विहिप, बजरंग दल जैसी संस्थाएं व्यापारिक मेंटर्स, सेवा-निवृत्त अधिकारियों और निवेशकों से जुड़ें। 🙏 जैसे प्राचीन काल में मंदिरों ने ऋषियों को शरण दी, अब हिंदू युवाओं को आत्मनिर्भरता दें।

🙋‍♂️ हर हिंदू युवा संकल्प ले:

“मैं नौकरी की भीख नहीं मांगूंगा। मैं कुछ अपना शुरू करूंगा और दूसरों को भी रोजगार दूंगा।”

यह अहंकार नहीं – धर्म का कर्म है

बनो आर्थिक शिवाजी

शिवाजी महाराज ने किसी से राज्य नहीं मांगा – उसे खड़ा किया। हिंदू युवाओं को अब अवसर नहीं मांगने, उन्हें बनाने की जरूरत है।

यही है आत्मनिर्भर भारत की आत्मा।
यही है सनातनी युवा शक्ति की पहचान।

अब समय है – तलवार नहीं, स्किल, स्टार्टअप और संकल्प से भारत को फिर से महाशक्ति बनाने का।

🇮🇳जय भारत, वन्देमातरम 🇮🇳

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