मोदी जी और उनकी टीम की दूरदर्शिता, भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक नया युग लेकर आई है। प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व शैली और उनकी टीम की रणनीतिक सोच ने भारत को वैश्विक मंच पर मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है। डिजिटल क्रांति, आर्थिक सुधार, और राजनीतिक दृढ़ता के साथ, यह टीम ने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत नींव तैयार की है।
नोटबंदी की खुदाई शुरू की तो समझ आया कि यह सिर्फ काले धन की लड़ाई नहीं थी — यह तो उस वैश्विक व्यवस्था के खिलाफ पहला वार था, जो भारत को हमेशा उपभोग की मंडी बनाकर रखना चाहती थी।
ठीक उसी समय अमेरिका में ट्रम्प उभर रहे थे — जो टैरिफ की बात कर रहे थे, ग्लोबल सप्लाई चेन पर प्रहार करना चाहते थे।
वेस्ट एशिया में चल रही लड़ाई असल में डॉलर के वर्चस्व को बचाने की लड़ाई थी।
यूरो, युआन, रूस और BRICS की चालें देखकर समझ आया कि वैश्विक सत्ता केंद्रों में बदलाव की छटपटाहट शुरू हो चुकी है।
जैसे-जैसे इलुमिनाटी, IMF, वर्ल्ड बैंक, सोना, पेट्रोडॉलर और भारत के गिरवी रखे सोने की परतें खुलती गईं — एक चीज़ साफ़ हुई: पूरी वैश्विक आर्थिक व्यवस्था शिफ्ट हो रही है और भारत अब उसके केंद्र में आ रहा है।
यहीं मोदी जी की दूरदर्शिता और रणनीतिक सोच सामने आती है।
- क्यों लाया गया UPI?
- क्यों डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया जैसी योजनाएं बनीं?
- क्यों 4G क्रांति लाई गई? क्यों DBT और GST जरूरी बना?
क्योंकि मोदी जी जानते थे — असली लड़ाई “डिजिटल टैरिफ वॉर” की है।
2014 में भारत की स्थिति खतरनाक थी —
- फ्रैजाइल 5 में गिना जाने वाला देश,
- बैंकों की हालत खराब,
- फर्जी आंकड़ों से जनता को गुमराह किया जा रहा था।
मोदी जी चाहते तो श्वेतपत्र लाकर पिछली सरकार की पोल खोल सकते थे — लेकिन उन्होंने चुना सुधार का मार्ग।
देश को अघोषित दिवालिया से निकालने के लिए एक के बाद एक ठोस कदम उठाए।
2014-2019 का समय पूरी तरह आर्थिक स्थिरता के लिए समर्पित था —
नोटबंदी, GST, RERA, इंसोल्वेंसी कानून, आधार, UPI, फ्री इंटरनेट, मोबाइल क्रांति, बेनामी संपत्ति पर वार, लीकेज पर नियंत्रण —
ये सब एक masterplan का हिस्सा थे, जुगाड़ नहीं।
विपक्ष इसे तुक्का समझता रहा — लेकिन 2019 में जब जनता ने फिर मोदी को चुना, तो उनका भ्रम टूट गया।
इसके बाद हुआ असली ideological & geopolitical संघर्ष —
370 हटाना, राम मंदिर निर्माण, CAA-NRC, जनसंख्या संतुलन जैसे कदमों पर CCP और वैश्विक लॉबी ने भारत में “प्रयोग” शुरू किया।
दिल्ली दंगे, शाहीन बाग, कोरोना, विदेशी मीडिया प्रोपेगेंडा, किसान आंदोलन —
हर मोर्चे पर एक सुनियोजित टूलकिट वॉर लड़ा गया।
उसी समय अमेरिका में ट्रम्प को हटाने के लिए CIA, USAID, क्लिंटन गिरोह, सोरोस सब एक्टिव हो गए।
मोदी जी ने इस टूलकिट सिस्टम को पहचान लिया था — NDTV से लेकर अर्बन नक्सल, टुकड़े गैंग तक।
इसलिए 2024 के पहले ही उन्होंने तीसरे कार्यकाल की तैयारी शुरू कर दी थी —
वक्फ बोर्ड पर वार, अवैध मदरसे, NRC, डिलिमिटेशन, शिक्षा सुधार, UCC —
2026 तक की योजना उनके दिमाग में पहले से थी।
मोदी जी की टीम ने जिस रणनीतिक सोच, डेटा, टेक्नोलॉजी, भू–राजनीतिक घटनाक्रम और भविष्य की आर्थिक जंग को ध्यान में रखकर ये रूपरेखा खींची — वह अभूतपूर्व है।
- जब अमेरिका खुद “रिवर्स ग्लोबलाइजेशन” की बात कर रहा है,
- जब यूरोप युद्ध से टूट चुका है,
- जब चीन अपनी ही चालों में फंस चुका है —
- तब भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
मोदी जी का “आपदा में अवसर” मंत्र अब परिणाम दे रहा है —
लोकल मैन्युफैक्चरिंग, आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, वैश्विक सप्लाई चेन में भारत का स्थान —
ये सब एक दशक पहले शुरू की गई नींव के कारण संभव हो पाया है।
अब 2026 तक NRC, जनसंख्या नियंत्रण, UCC, शिक्षा बिल, वक्फ कानून संशोधन —
सभी पेंडिंग सुधार पूरे होंगे।
ये केवल एक सरकार नहीं, एक सदी को दिशा देने वाला युगदृष्टा नेतृत्व है —
जिसने समय से पहले बदलते विश्व को पढ़ लिया,
देश को झकझोरा, खड़ा किया,
और अब भारत को उसके गौरवशाली भविष्य की ओर ले जा रहा है।
अब यह कालचक्र पलट चुका है — और अगली सदी भारत की होगी। यह तो बस शुरुआत है।
| जय भारत, वन्देमातरम |
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