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सनातन समाज की वर्तमान स्थिति

सनातन समाज की वर्तमान स्थिति: आत्ममुग्धता में डूबा समाज

सनातन समाज की वर्तमान स्थिति

  • सनातन समाज, आज एक ऐसी मानसिक स्थिति में जी रहे हैं जिसे “मूर्खों का स्वर्ग” कहा जा सकता है।
    हमारी दुनिया में सबकुछ ठीक-ठाक लगता है —
  • घर ठीक चल रहा है,
  • नौकरी या व्यापार में दिक्कत नहीं,
  • परिवार में त्योहार, पूजा, जन्मदिन हो रहे हैं,
  • मंदिरों में भीड़ है,
  • WhatsApp पर भगवान के फोटो, चुटकुले और बधाई संदेशों की भरमार है।

यही हमारी दुनिया है हमारा छोटा सा आत्ममुग्ध स्वर्ग।
लेकिन यही सबसे बड़ा धोखा है — क्योंकि हम अपने ही चारों ओर मंडराते हुए खतरों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।

चारों ओर क्या हो रहा है?

जब हम अपनी सीमित दुनिया में मग्न हैं,
हमारे विरोधी विपक्षी पार्टियाँ, इस्लामिक कट्टरपंथी, वामपंथी, सेक्युलर मीडिया, लिबरल गिरोह
हमारी कब्र खोदने में लगे हुए हैं।

  • राजनीति में तुष्टिकरण चरम पर है, जहां हिंदुओं की आस्था पर प्रहार हो रहा है और आतंकियों को संरक्षण मिल रहा है।
  • धार्मिक परिवर्तन के लिए मिशनरी गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं।
  • जनसंख्या जिहाद, लव जिहाद, ज़मीन जिहाद — ये सुनियोजित हथियार बन गए हैं।
  • मीडिया समाज में भ्रम फैलाकर असली मुद्दों से ध्यान भटका रहा है।
  • फिल्में और वेबसीरीज, हमारी संस्कृति और देवी-देवताओं का मज़ाक उड़ाकर मानसिक रूप से हमें कमजोर कर रही हैं।
  • यह सब होते हुए भी हम मौन हैं। क्यों?
    क्योंकि हमें लगता है कि
  • “यह सब राजनीति है”
  • “हमें इससे क्या लेना?”

“हम तो बस अपने परिवार और स्वार्थ को देख रहे हैं।”

सनातन समाज की सबसे बड़ी भूल: राष्ट्रधर्म से दूरी

हमने यह मान लिया है कि

  • देश की बात करना यानी राजनीति करना,
  • धर्म की रक्षा की बात करना यानी हिंदूमुस्लिम करना।

इस सोच के कारण आज:

  • किसी ग्रुप में देश की चिंता मत उठाओ, नहीं तो कहेंगे “राजनीति मत करो”।
  • हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर बोलो, तो कहेंगे “दंगा भड़काओगे क्या?”
  • सनातन की रक्षा की बात करो, तो कहेंगे “कट्टर बन गए हो!”

लेकिन अगर हम अपनी बात नहीं रखेंगे, तो हमारी आवाज़ कौन उठाएगा?

नेतृत्व की विफलता: संत, साधु और संगठन

हमारे धार्मिक संगठन और संत-महात्मा आज:

  • या तो केवल प्रवचन और धन संचय तक सीमित हैं,
  • या फिर राजनीति से दूरी बनाकर समाज से कटे हुए हैं,
  • और कुछ तो कायरता या व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण खुलकर बोलने से डरते हैं।

जब धर्म के रक्षक ही मौन हैं, तो अधर्म का बोलबाला होना स्वाभाविक है।

अगली पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय क्यों है?

आज का युवा:

  • सनातन इतिहास नहीं जानता,
  • संघर्षों की जानकारी नहीं है,
  • धर्म की गहराई और विज्ञान से दूर हो चुका है।

अगर हम आज नहीं जागे, तो कल हमारी संतानें एक ऐसे भारत में आँखें खोलेंगी,
जहाँ उनका अस्तित्व ही खतरे में होगा।

अब क्या करें? — समाधान की दिशा

1. चेतना फैलाओ, चुप मत रहो:

  • धर्म और राष्ट्र की बात को “राजनीति” मानने की सोच को खत्म करो।
  • हर मंच पर — घर, मंदिर, ऑफिस, समाज — सनातन की बात को सामान्य बनाओ।

2. हर वर्ग को संगठित करो:

डॉक्टर्स, वकील, टीचर्स, व्यापारी, युवा —
सबको सनातन रक्षा के लिए एकजुट करो।

3. सोशल मीडिया का उपयोग कर क्रांति लाओ:

मेसेज, पोस्ट, विडियो, पॉडकास्ट —
धर्मजागरूकता फैलाओ, झूठा नैरेटिव तोड़ो।

4. राष्ट्रवादी विचारधारा का समर्थन करो:

उन राजनीतिक दलों और संगठनों को समर्थन दो
जो भारत और सनातन धर्म के रक्षक हैं।

5. धार्मिक नेतृत्व को जिम्मेदार बनाओ:

अपने संतों और धर्मगुरुओं को चुप्पी तोड़ने के लिए प्रेरित करो।

6. अगली पीढ़ी को संस्कारित बनाओ:

उन्हें सनातन का गौरव, विज्ञान, संस्कृति और संघर्ष सिखाओ।
यही सबसे दीर्घकालिक निवेश होगा।

अंतिम चेतावनी: समय खत्म हो रहा है

समय किसी का इंतजार नहीं करता।
अगर अब भी हम नहीं जागे —

  • तो भारत भारत नहीं रहेगा,
  • सनातन सिर्फ किताबों में बचेगा,
  • और हमारी अगली पीढ़ी हमसे पूछेगी —
    आपने हमारे लिए क्या किया था?”

अब भी अवसर है।
उठो, जागो, और जब तक लक्ष्य न प्राप्त हो रुको मत।


जय श्रीराम। जय सनातन। जय भारत।

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